No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 60: | पंक्ति 60: | ||
-[[सूरदास]] | -[[सूरदास]] | ||
+[[हरिवंश राय बच्चन]] | +[[हरिवंश राय बच्चन]] | ||
||[[चित्र:Harivanshrai-Bachchan.jpgहरिवंश राय बच्चन| | ||[[चित्र:Harivanshrai-Bachchan.jpgहरिवंश राय बच्चन|150px|right]]'हरिवंश राय बच्चन' का पहला काव्य संग्रह 1935 ई. में प्रकाशित 'मधुशाला' से ही माना जाता है। इसके प्रकाशन के साथ ही 'बच्चन' का नाम एक गगनभेदी रॉकेट की तरह तेज़ी से उठकर साहित्य जगत पर छा गया। 'मधुशाला', 'मधुशाला' और 'मधुकलश'-एक के बाद एक, ये तीनों संग्रह शीघ्र ही सामने आ गये हिन्दी में जिसे 'हालाबाद' कहा गया है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हरिवंश राय बच्चन]] | ||
{जहाँ बिना कारण के कार्य का होना पाया जाए वहाँ कौन सा [[अलंकार]] होता है? | {जहाँ बिना कारण के कार्य का होना पाया जाए वहाँ कौन सा [[अलंकार]] होता है? |
09:17, 27 सितम्बर 2011 का अवतरण
हिन्दी
|