"अनमोल वचन 7": अवतरणों में अंतर

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* मैं इस आसान धर्म में विश्वास रखता हूं। मन्दिरों की कोई आवश्यकता नहीं; जटिल दर्शनशास्त्र की कोई आवश्यकता नहीं। हमारा मस्तिष्क, हमारा हृदय ही हमारा मन्दिर है; और दयालुता जीवन-दर्शन है।  ~ दलाई लामा
* मैं इस आसान धर्म में विश्वास रखता हूं। मन्दिरों की कोई आवश्यकता नहीं; जटिल दर्शनशास्त्र की कोई आवश्यकता नहीं। हमारा मस्तिष्क, हमारा हृदय ही हमारा मन्दिर है; और दयालुता जीवन-दर्शन है।  ~ दलाई लामा
* जब आप कुछ गंवा बैठते हैं, तो उससे प्राप्त शिक्षा को न गंवाएं।  ~ दलाई लामा
* जब आप कुछ गंवा बैठते हैं, तो उससे प्राप्त शिक्षा को न गंवाएं।  ~ दलाई लामा
* हमारी खुशी का स्रोत हमारे ही भीतर है, यह स्रोत दूसरों के प्रति संवेदना से पनपता है।  - दलाईलामा


==अब्राहम लिंकन==
==अब्राहम लिंकन==
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* वह आदमी वास्‍तव में बुद्धिमान है जो क्रोध में भी गलत बात मुंह से नहीं निकालता।  ~ शेख सादी
* वह आदमी वास्‍तव में बुद्धिमान है जो क्रोध में भी गलत बात मुंह से नहीं निकालता।  ~ शेख सादी
* लोभी को पूरा संसार मिल जाए तो भी वह, भूखा रहता है, लेकिन संतोषी का पेट, एक रोटी से ही भर जाता है। - शेख सादी
* लोभी को पूरा संसार मिल जाए तो भी वह, भूखा रहता है, लेकिन संतोषी का पेट, एक रोटी से ही भर जाता है। - शेख सादी
* ग़रीबों के समान विनम्र अमीर और अमीरों के समान उदार ग़रीब ईश्वर के प्रिय पात्र होते हैं।  - शेख़ सादी
* घमंड करना जाहिलों का काम है।  - शेख सादी
* जो नसीहतें नहीं सुनता, उसे लानत-मलामत सुनने का सुख होता है।  - शेख़ सादी
* बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका मुंह बन्द करना ही अच्छा है।  – शेख सादी
* खुदा एक दरवाजा बन्द करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो।  – शेख सादी


* जो पाप में पड़ता है, वह मनुष्य है, जो उसमें पड़ने पर दुखी होता है, वह साधु है और जो उस पर अभिमान करता है, वह शैतान होता है।  ~ फुलर
* जो पाप में पड़ता है, वह मनुष्य है, जो उसमें पड़ने पर दुखी होता है, वह साधु है और जो उस पर अभिमान करता है, वह शैतान होता है।  ~ फुलर
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* कर्म की उत्पत्ति विचार में है, अतः विचार ही महत्वपूर्ण हैं। - साई बाबा
* कर्म की उत्पत्ति विचार में है, अतः विचार ही महत्वपूर्ण हैं। - साई बाबा


* आयु आपकी सोच में है। जितनी आप सोचते हैं उतनी ही आपकी उम्र है। - मुहम्मद अली
* आयु आपकी सोच में है। जितनी आप सोचते हैं उतनी ही आपकी उम्र है। - मुहम्मद अली
* बच्चों को देखकर इच्छा होती है कि जीवन फिर से शुरू करें। - मुहम्मद अली
* बच्चों को देखकर इच्छा होती है कि जीवन फिर से शुरू करें। - मुहम्मद अली
* मैं अपने ट्रेनिंग सत्र के प्रत्येक मिनट से घृणा करता था, परंतु मैं कहता था – 'भागो मत, अभी तो भुगत लो, और फिर पूरी जिंदगी चैम्पियन की तरह जिओ'  – मुहम्मद अली


* इतने मधुर न हों कि लोग आपको निगल लें, इतने कटु भी नहीं कि वे आपको उगल दें। - पश्तो की कहावत
* इतने मधुर न हों कि लोग आपको निगल लें, इतने कटु भी नहीं कि वे आपको उगल दें। - पश्तो की कहावत
* हर शिशु इस संदेश के साथ आता है कि ईश्वर अभी इंसान से थका नहीं है। - टेगोर
* हर शिशु इस संदेश के साथ आता है कि ईश्वर अभी इंसान से थका नहीं है। - टेगोर
* सम्पत्ति उस व्यक्ति की होती है जो इसका आनन्द लेता है न कि उस व्यक्ति को जो इसे अपने पास रखता है। - अफगानी कहावत
* सम्पत्ति उस व्यक्ति की होती है जो इसका आनन्द लेता है न कि उस व्यक्ति को जो इसे अपने पास रखता है। - अफगानी कहावत
* जो जानता नही कि वह जानता नही,वह मुर्ख है - उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ। जो जानता नही कि वह जानता है, वह सोया है - उसे जगाओ। जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है - उसे गुरू बनाओ।  — अरबी कहावत
* यदि आपको भगवान का भय है, तो आपको मनुष्यों से डर नहीं लगेगा। - अल्बानियाई कहावत
* यदि आपको भगवान का भय है, तो आपको मनुष्यों से डर नहीं लगेगा। - अल्बानियाई कहावत
* हमारे आँगन में भी सूरज की धूप अवश्य आएगी। - रूसी कहावत
* हमारे आँगन में भी सूरज की धूप अवश्य आएगी। - रूसी कहावत
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* ऐसे कानून व्यर्थ हैं जिनके अमल की व्यवस्था ही न हो। - इटली की कहावत
* ऐसे कानून व्यर्थ हैं जिनके अमल की व्यवस्था ही न हो। - इटली की कहावत
* अच्छे पत्ते जिसे मिले हों वह कभी नहीं कहेगा कि गलत बांटे हैं। - आयरलैंड की कहावत
* अच्छे पत्ते जिसे मिले हों वह कभी नहीं कहेगा कि गलत बांटे हैं। - आयरलैंड की कहावत
* शिक्षक द्वार खोलते हैं; लेकिन प्रवेश आपको स्वयं ही करना होता है। - चीनी कहावत
* शिक्षक द्वार खोलते हैं; लेकिन प्रवेश आपको स्वयं ही करना होता है। - चीनी कहावत
* अगर आप चाहते हैं कि किसी को मालूम न पड़े, तो ऐसा काम ही न करें। - चीनी कहावत
* अगर आप चाहते हैं कि किसी को मालूम न पड़े, तो ऐसा काम ही न करें। - चीनी कहावत
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* अच्छा क्या है, इसे सीखने के लिए एक हजार दिन भी अपर्याप्त हैं; लेकिन बुरा क्या है, यह सीखने के लिए एक घंटा भी ज्यादा है। - चीनी कहावत
* अच्छा क्या है, इसे सीखने के लिए एक हजार दिन भी अपर्याप्त हैं; लेकिन बुरा क्या है, यह सीखने के लिए एक घंटा भी ज्यादा है। - चीनी कहावत
* अध्यापक मार्गदर्शक का काम करते हैं. चलता आपको स्वयं पड़ता है। - चीनी कहावत
* अध्यापक मार्गदर्शक का काम करते हैं. चलता आपको स्वयं पड़ता है। - चीनी कहावत
* उदार मन वाले विभिन्न धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल अंतर देखते हैं।  - चीनी कहावत
* हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है।  — चीनी कहावत


* उस्ताद वह नहीं जो आरंभ करता है, बल्कि वह है जो पूर्ण करता है। - स्लोवाकिया की कहावत
* उस्ताद वह नहीं जो आरंभ करता है, बल्कि वह है जो पूर्ण करता है। - स्लोवाकिया की कहावत
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* जो स्‍वयं संयमित व नियंत्रित है उसे, व्‍यर्थ में और अधिक नियंत्रित नहीं करना चाहिये, जो अभी अनियंत्रित है, उसी को निय‍ंत्रित किया जाना चाहिए। - अथर्ववेद
* प्रयत्‍न देवता की तरह है जबकि भाग्‍य दैत्‍य की भांति, ऐसे में प्रयत्‍न देवता की उपासना करना ही श्रेष्‍ठ काम है। - समर्थ गुरू रामदास
* सत्‍ता की महत्‍ता तो मोहक भी बहुत होती है, एक बार हांथ में आने पर और कंटीली होने पर भी छोड़ी नहीं जाती। - वृंदावनलाल वर्मा
* आशा अमर है उसकी आराधना कभी निष्‍फल नहीं होती। - महात्‍मा गांधी
* उस मनुष्‍य की सम्‍पत्ति, जिसे लोग प्‍यार नहीं करते हैं, गांव के बीचों- बीच किसी विष-वृक्ष के फलने के समान है।  ~ तिरूवल्‍लुवर
* इच्‍छा रूपी समुद्र सदा अतृप्‍त रहता है उसकी मांगे ज्‍यों-ज्‍यों पूरी की जाती हैं, त्‍यों-त्‍यों और गर्जन करता है। - स्‍वामी विवेकानन्‍द
* शरीर-बल से प्राप्‍त सत्‍ता मानव देह की, तरह क्षणभंगुर रहेगी, जबकि आत्‍मबल से प्राप्‍त सत्‍ता अजर-अमर। - महात्‍मा गांधी
* मन ज्‍यों-ज्‍यों हिंसा से दूर हटता है, त्‍यों-त्‍यों दुख शांत हो जाता है। - महात्‍मा बुद्ध
* सत्‍य से सूर्य तपता है, सत्‍य से आग जलती है,सत्‍य से वायु बहती है सब कुछ सत्‍य में ही प्रतिष्ठित है। - वेदव्‍यास
* व्‍यक्ति को हानि, पीड़ा और चिंताएं, उसकी किसी आंतरिक दुर्बलता के कारण होती है, उस दुर्बलता को दूर करके कामयाबी मिल सकती है। - स्‍वामी रामतीर्थ
* बल की शिकायतें सब सुनते हैं, निर्बल की फरियाद कोई नहीं सुनता। - प्रेमचन्‍द
* जो कला आत्‍मा को आत्‍मदर्शन की शिक्षा नहीं देती, वह कला नहीं है। - महात्‍मा गांधी
* जिस तरह उबलते हुए पानी में हम अपना, प्रतिबिम्‍ब नहीं देख सकते उसी तरह क्रोध की अवस्‍था में यह नहीं समझ पाते कि हमारी भलाई किस बात में है। - महात्‍मा बुद्ध
* गरीब वह नहीं जिसके पास कम है, बल्कि धनवान होते हुए भी जिसकी इच्‍छा कम नहीं हुई है, वह सबसे अधिक गरीब है। - विनोबा भावे
* जो अप्राप्‍त वस्‍तु के लिए चिंता नहीं करता और प्राप्‍त वस्‍तु के लिए सम रहता है, वह संतुष्‍ट कहा जा सकता है। - महोपनिषद
* आत्‍मसंयम, अनुशासन और बलिदान के बिना राहत या मुक्ति की आशा नहीं की जा सकती। - महात्‍मा गांधी
* जल से शरीर शुद्ध होता है, मन से सत्‍य शुद्ध होता है, विद्या और तप से भूतात्‍मा तथा ज्ञान से बुद्धि शुद्ध होती है। - मनुस्‍मृति
* शेष ऋण, शेष अग्नि, तथा शेष रोग पुन: पुन: बढ़ते हैं, अत: इन्‍हें शेष नहीं छोड़ना चाहिये। - अज्ञात
* ताकतवर होने के लिए अपनी शक्ति में भरोसा रखना जरूरी है, वैसे व्‍यक्तियों से अधिक कमजोर कोई नहीं होता जिन्‍हें अपने सामर्थ्‍य पर भरोसा नहीं। - स्‍वामी दयानंद सरस्‍वती
* मूर्खों से बहस करके कोई भी व्‍यक्ति, बु्द्धिमान नहीं कहला सकता, मूर्ख पर विजय पाने का एकमात्र उपाय यही है कि उसकी ओर ध्‍यान नहीं दिया जाए। - संत ज्ञानेश्‍वर
* दौलत से आदमी को जो सम्‍मान मिलता है, वह उसका नहीं, उसकी दौलत का सम्‍मान है। - प्रेमचन्‍द
* दरिद्रता सब पापों की जननी है, तथा लोभ उसकी सबसे बड़ी संतान है। - जयशंकर प्रसाद
* काहिली और मन की पवित्रता, एक साथ नहीं रह सकतीं। - महात्‍मा गांधी
* यदि आप चाहते हैं कि लोग आपके साथ सच्‍चा व्‍यवहार करें तो आप खुद सच्‍चे बनें और अन्‍य लोगों से भी सच्‍चा व्‍यवहार करें। - महर्षि अरविन्‍द
* गुणों से ही मानव की पहचान होती है, ऊंचे सिंहासन पर बैठने से नहीं। महल के उच्‍च शिखर पर बैठने के बावजूद कौवे का गरूड़ होना असंभव है। - चाणक्‍य
* सन्‍यास हृदय की एक दशा का नाम है, किसी ऊपरी नियम या वेशभूषा का नहीं। - श्रीमद् भगवदगीता
* इच्‍छा से दुख आता है, इच्‍छा से भय, आता है, जो इच्‍छाओं से मुक्‍त है वह न दुख जानता है न भय। - महात्‍मा गांधी
* हंसी मन की गांठे बड़ी आसानी से खोल देती है मेरे मन की भी और तुम्‍हारे मन की भी। - महात्‍मा गांधी
* मनुष्‍यता का एक पक्ष वह भी है, जहां वर्ण, धर्म और देश को भूलकर मनुष्‍य, मनुष्‍य के लिए प्‍यार करता हैं। - जयशंकर प्रसाद
* अधिक धन सम्‍पन्‍न होने पर भी जो असंतुष्‍ट रहता है, वह निर्धन है, धन से रहित होने पर भी जो संतुष्‍ट है वह सदा धनी है। - अश्‍वघोष
* श्रेष्‍ठतम मार्ग खोजने की प्रतीक्षा के बजाय, हम गलत रास्‍ते से बचते रहें और बेहतर रास्‍ते को अपनाते रहें। - पं. जवाहर लाल नेहरू
* अवगुण नाव की पेंदी में एक छेद के समान है, जो चाहे छोटा हो या बड़ा एक दिन उसे डुबा दे्गा। - कालिदास
* प्रेम संयम और तप से उत्‍पन्‍न होता है, भक्ति साधना से प्राप्‍त होती है, श्रद्धा के लिए अभ्‍यास और निष्‍ठा की जरूरत होती है। - हजारी प्रसाद द्विवेदी
* शत्रु का लोहा भले ही गर्म हो जाए, पर हथौड़ा तो ठंडा रहकर ही काम, दे सकता है। - सरदार पटेल
* अन्‍याय और अत्‍याचार करने वाला, उतना दोषी नहीं माना जा सकता, जितना कि उसे सहन करने वाला। - बाल गंगाधर तिलक
* सुन्‍दर दिखने के लिये भड़कीले, कपड़े पहनने की बजाय अपने, गुणों को बढ़ाना चाहिए। - महात्‍मा गांधी
* संसार के सारे नाते स्‍नेह के नाते हैं, जहां स्‍नेह नहीं वहां कुछ नहीं है। - प्रेमचन्‍द
* आलस्‍य में दरिद्रता बसती है, लेकिन जो, व्‍यक्ति आलस्‍य नहीं करते उनकी मेहनत में लक्ष्‍मी का निवास होता है। - तिरूवल्‍लुर
* दुनिया में तीन चीजें कभी लम्‍बे समय तक छिपी नहीं रह सकती, पहली है सूर्य, दूसरी चन्‍द्रमा और तीसरी है सत्‍य। - गौतम बुद्ध
* जिसे पुस्‍तकें पढ़ने का शौक है, वह सब जगह सुखी रह सकता है। - महात्‍मा गांधी
* जब तक तुम्‍हारें अन्‍दर दूसरों के, अवगुण ढुंढने या उनके दोष देखने, की आदत मौजूद है ईश्‍वर का साक्षात, करना अत्‍यंत कठिन है। - स्‍वामी रामतीर्थ
* अधिक धन- सम्‍पन्‍न होने पर भी जो असंतुष्‍ट रहता है, वह निर्धन है, धन से रहित होने पर भी जो संतुष्‍ट है, वह सदा धनी है। - अश्‍वघोष
* जिसके मन में राग-द्वेष नहीं है और जो तृष्‍णा को, त्‍याग कर शील तथा संतोष को ग्रहण किए हुए है, वह संत पुरूष जगत के लिए जहाज है।
* दुनियावी चीजों में सुख की तलाश, फिजूल होती है। आनन्‍द का खजाना, तो कहीं हमारे भीतर ही है। - स्‍वामी रामतीर्थ
* किसी कृतज्ञता को तत्‍काल चुकाने, का प्रयत्‍न करना एक प्रकार की, कृतज्ञता ही है। - अज्ञात
* मौन सर्वोत्‍तम भाषण है, अगर बोलना, जरूरी हो तो भी कम से कम बोलो, एक शब्‍द से काम चले तो दो नहीं। - महात्‍मा गांधी
* आदर्श को पकड़ने के लिए सहस्‍त्र बार, आगे बढ़ों और यदि फिर भी असफल, हो जाओ तो एकबार नया प्रयास, अवश्‍य करो। - स्‍वामी विवे‍कानन्‍द
* भलाई से बढ़कर जीवन और, बुराई से बढ़कर मृत्‍यु नहीं है। - आदिभट्ल नारायण दासु
* लक्ष्‍य को ही अपना जीवन कार्य समझो हर, समय उसका चिंतन करो उसी का स्‍वप्‍न, देखो और उसी के सहारे जीवित रहो। - स्‍वामी विवेकानन्‍द
* लक्ष्‍मी शुभ कार्य से उत्‍पन्‍न होती है, चतुरता से बढ़ती है, अत्‍यन्‍त निपुणता से, जड़े जमाती है और संयम से स्थिर रहती है। - महाभारत
* मनुंष्‍य का सच्‍चा जीवन साथी विद्या ही है, जिसके कारण वह विद्वान कहलाता है। - स्‍वामी दयानन्‍द
* धैर्यवान व्‍यक्ति ही समय पर विजय पाता है और असंयमी व्‍यक्ति अपने स्‍वभाव के कारण सब कुछ खो देता है। - अज्ञात
* मन इच्‍छाओं की गठरी है, जब तक इच्‍छाओं को उखाड़कर नहीं फेंका जाएगा, तब तक मन को नष्‍ट करने की आशा व्‍यर्थ होगी। - श्री सत्‍यसाईं
* धर्म जीवन को परमात्‍मा में जीने की विधि है, संसार में ऐसे जिया जा सकता है जैसे, कमल सरोवर के कीचड़ में जीते हैं। - आचार्य रजनीश
* ईर्ष्‍या या घृणा के के विचार मन में प्रवेश होते ही खुशी गायब हो जाती है, प्रेम व शुभ-भावना युक्‍त विचारों से उदासी दूर हो जाती है। - अज्ञात
* पीछे मत देखो आगे देखो, अनंत उर्जा, अनंत उत्‍साह, अनंत साहस और अनंत धैर्य तभी महान कार्य, किये जा सकते हैं। - विवेकानन्‍द
* अपने सामने एक ही साध्‍य रखना चाहिए, जब तक वह सिद्ध न हो तब तक उसी की, धुन में मगन रहो, तभी सफलता मिलती है। - स्‍वामी विवेकानन्‍द
* केवल कर्महीन ही ऐसे होते हैं, जो सदा भाग्‍य को कोसते हैं और जिनके, पास शिकायतों का अंबार होता है। - जवाहर लाल नेहर
* कांच का कटोरा, नेत्रों का जन, मोती और मन यह, एक बार टूटने पर पहले जैसी स्थिति नहीं होती, अत: पहले से ही सावधानी बरतनी चाहिए। - लोकोक्ति
* जिसके जीने से बहुत से लोग जीवित रहें, वहीं इस संसार में वास्‍तव में जीता है। - विष्‍णु शर्मा
* जिस प्रकार काठ अपने ही भीतर से प्रकट हुई अग्नि से भस्‍म होकर खत्‍म हो जाता है, उसी प्रकार मनुष्‍य अपने ही भीतर रहने वाली तृष्‍णा से नष्‍ट हो जाता है। - बाणभट्ट
* जिन्‍दगी हमारे साथ खेल खेलती है, जो इसे खेल नहीं मानते, वे ही एक दूसरे की शिकायत व आलोचना करते हैं। - जैनेंद्र कुमार
* जितनी हम दूसरों की भलाई करते हैं, उतना ही हमारा ह़दय शुद्ध होता है और उसमें ईश्‍वर निवास करता है। - विवेकानन्‍द
* संतोष का वृक्ष कड़वा है, लेकिन इस पर लगने वाला फल मीठा होता है। - स्‍वामी शिवानन्‍द
* सत्‍याग्रह बल प्रयोग के विपरीत होता है, हिंसा के सम्‍पूर्ण त्‍याग में ही सत्‍याग्रह की कल्‍पना की गई है। - महात्‍मा गांधी
* कुल की प्रतिष्‍ठा भी विनम्रता और सद्व्‍यवहार से होती है, हेकड़ी और रूआब दिखाने से नहीं। - प्रेमचन्‍द
* जो सबके दिल को खुश कर देने वाली वाणी बोलता है, उसके पास दरिद्रता कभी नहीं फटक सकती। - तिरूवल्‍लुवर
* जीवन की जड़ संयम की भूमि में जितनी गहरी जमती है और सदाचार का जितना जल दिया जाता है उतना ही जीवन हरा भरा होता है। - दीनानाथ दिनेश
* जिस बंदे को पेट भर रोटी नहीं मिलती, उसके लिए मर्यादा और इज्‍जत ढोंग है। - प्रेमचंद
* बीस वर्ष की आयु में व्‍यक्ति का चेहरा प्रकृति की देन है, तीस वर्ष की आयु का चेहरा जिन्‍दगी के उतार-चढ़ाव की देन है, लेकिन पचास वर्ष वर्ष की आयु का चेहरा उसकी अपनी कमाई है। - अष्‍टावक्र
* पाषाण के भीतर भी मधुर स्‍त्रोत होते हैं, उसमें मदिरा नहीं शीतल जल की धारा बहती है। - जयशंकर प्रसाद
* मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्‍यकता के समय उसकी मदद करो। - अज्ञात
* जो पुस्‍तकें सबसे अधिक सोचने के लिए मजबूर करती हैं, वही तुम्‍हारी सबसे बड़ी सहायक हैं। - जवाहरलाल नेहरू
* चन्‍द्रमा अपना प्रकाश सम्‍पूर्ण आकाश में फैलाता है परन्‍तु अपना कलंक अपने ही पास रखता है। - रवीन्‍द्र
* दरिद्र व्‍यक्ति कुछ वस्‍तुएं चाहता है, विलासी बहुत सी और लालची सभी वस्‍तुएं चाहता है। - अज्ञात
* जो भारी कोलाहल में संगीत को सुन सकता है, वह महान उपलब्धि को प्राप्‍त करता है। - अज्ञात
* जीवन में कोई चीज इतनी हानिकारक और खतरनाक नहीं जितना डांवा डोल स्थिति में रहना। - सुभाष चन्‍द्र बोस
* आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे को अपने से श्रेष्‍ठ नहीं, दिखता और स्‍वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता। - चाणक्‍य
* मुस्‍कान पाने वाला मालामाल हो जाता है, पर देने वाला दरिद्र नहीं होता। - अज्ञात
* उड़ने की अपेक्षा जब हम झुकते हैं, तो विवेक के अधिक निकट होते हैं। - अज्ञात
* काम की समाप्ति संतोषप्रद हो तो परिश्रम की थकान याद नहीं रहती। - कालिदास
* धन से नहीं, संतान से भी नहीं अमृत स्थिति की प्राप्ति केवल त्‍याग से ही होती है। - स्‍वामी विवेकानन्‍द
* रंग में वह जादू है जो रंगने वाले, भीगने वाले और देखने वाले तीनों के मन को विभोर कर देता है। - मुक्‍ता
* जिस व्‍यक्ति के हृदय में संगीत का स्‍पंदन नहीं है वह व्‍यक्ति कर्म और चिंतन द्वारा कभी महान नहीं बन सकता। - सुभाष चन्‍द्र बोस
* जिस त्‍याग से अभिमान उत्‍पन्‍न होता है, वह त्‍याग नहीं, त्‍याग से शांति मिलनी चाहिए, अंतत: अभिमान का त्‍याग ही सच्‍चा त्‍याग है। - विनोबा भावे
* बच्‍चे कोरे कपड़े की तरह होते हैं, जैसा चाहो वैसा रंग लो उन्‍हें निश्चित रंग में केवल डुबो देना पर्याप्‍त है। - सत्‍यसाईं बाबा
* धैर्यवान मनुष्‍य आत्‍मविश्‍वास की नौका पर सवार होकर आपत्ति की नदियों को सफलतापूर्वक पार कर सकते हैं। - भर्तृहरि
* विजय गर्व और प्रतिष्‍ठा कि साथ आती है पर यदि उसकी रक्षा पौरूष के साथ न की जाय तो अपमान का जहर पिला कर चली जाती है। - मुक्‍ता
* खाने और सोने का नाम जीवन नहीं है, जीवन नाम है, आगे बढ़ते रहने की लगन का। - मुंशी प्रेमचंद
* प्रत्‍येक कार्य अपने समय से होता है, उसमें उतावली ठीक नहीं, जैसे पेड़ में कितना ही पानी डाला जाये पर फल वह अपने समय से ही देता है। - वृंद
* उत्‍तमता गुणों से आती है, ऊंचे आसन पर बैठ जाने से नहीं, महल के शिखर पर बैठने से कौआ गरूड़ नहीं हो जाता। - चाणक्‍य नीति
* जाति, धर्म अलग-अलग हो सकते हैं, और इबादत करने के तरीके भी भिन्‍न हो सकते हैं, लेकिन ईश्‍वर एक है। - अज्ञात
* ऐसे देश को छोड़ देना चाहिए जहां, न आदर है, न जीविका, न मित्र, न परिवार और न ही ज्ञान की आशा। - विनोबा
* परोपकारी अपने कष्‍ट को नहीं देखता, क्‍योंकि वह परकष्‍ट जनित करूणा से ओत-प्रोत होता है। - संत तुकाराम
* इस संसार में जो अपने आप पर, भरोसा नहीं करता वह नास्तिक है। - स्‍वामी विवेकानन्‍द
* सज्‍जन पुरूष बिना कहे ही दूसरों की, आशा पूरी कर देते हैं, जैसे सूर्य स्‍वयं ही घर-घर में प्रकाश फैला देता है। - का‍लिदास
* निरंहकारिता से सेवा की कीमत बढ़ती है और अहंकार से घटती है। - अज्ञात
* इस विश्‍व में स्‍वर्ण, गाय और धरती का, दान देने वाले सुलभ हैं, लेकिन प्राणियों को अभयदान देने वाले इंसान दुर्लभ हैं। - भर्तृहरि
* असफलता का मौसम सफलता के बीज बोने के लिए सर्वश्रेष्‍ठ समय होता है। - परमहंस योगानन्‍द
* जिसने स्‍वयं को वश में कर लिया है, संसार की कोई शक्ति उसकी विजय, को पराजय में नहीं बदल सकती। - महात्‍मा बुद्ध
* बुद्धि के सिवाय विचार प्रचार का कोई दूसरा शस्‍त्र नहीं है, क्‍योंकि ज्ञान ही अन्‍याय को मिटा सकता है। - शंकराचार्य
* यदि तुम जीवन से सूर्य के जाने पर रो पड़ोगे तो आंसू भरी आंखे सितारे कैसे देख सकेंगी। - रवीन्‍द्रनाथ ठाकुर
* भोग में रोग का, उच्‍चा-कुल में पतन का, मान में अपमान का, बल में शत्रु का रूप में बुढ़ापे का और शास्‍त्र में विवाद का डर है, भय रहित तो केवल वैराग्‍य ही है। - भगवान महावीर
* इस संसार मे प्‍यार करने लायक दो, वस्‍तुएं हैं एक दुख और दूसरा श्रम, दुख के बिना हृदय निर्मल नही होता, और श्रम के बिना मनुष्‍यत्‍व का विकास नहीं होता। - आचार्य श्रीराम शर्मा
* सत्‍य से कीर्ति प्राप्‍त की जाती है, और सहयोग से मित्र बनाये जाते हैं। - कौटिल्‍य
* पुरूषार्थ से दरिद्रता का नाश होता है, और जप से पाप का, मौन से कलह की उत्‍पत्ति नहीं होती, और सजगता से भय की। - चाणक्‍य
* कृत्रिम प्रेम बहुत दिनों तक चल नहीं पाता, स्‍वाभाविक प्रेम की नकल नहीं हो सकती। - स्‍वामी रामतीर्थ
* केवल प्रकाश का आभाव ही नहीं, प्रकाश की अति भी मनुष्‍य की, आंखों के लिये अंधकार है। - स्‍वामी रामतीर्थ
* अपनी पीड़ा तो पशु-पक्षी भी महसूस करते हैं, मनुष्‍य वह है जो दूसरों की वेदना को अनुभव करे। - रसनिधि
* जब तक शरीर स्‍वस्‍थ है, इन्द्रियों की शक्ति क्षीण नहीं हुई तथा बुढ़ापा नहीं आया है, तब तक समझदार को अपने हित साध लेने चाहिए। - भर्तृहरि
* विद्वता अच्‍छे दिनों में आभूषण, विपत्ति में सहायक, और बुढ़ापे में संचित धन है। - हितोपदेश
* नेकी से विमुख हो जाना और बदी, करना नि:संदेह बुरा है, मगर सामने हंस कर बोलना और पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है। - संत तिरूवल्‍लुवर
* बड़प्‍पन सदैव ही दूसरों की कमजोरियों, पर पर्दा डालना चाहता है, लेकिन ओछापन, दूसरों की कमियों बताने के सिवा और कुछ करना ही नहीं जानता। - तिरूवल्‍लुवर
* मानव जिस लक्ष्‍य में मन लगा देता है, उसे वह श्रम से हासिल कर सकता है। - ऋग्‍वेद
* नियम के बिना और अभिमान के साथ किया गया तप व्‍यर्थ ही होता है। - वेदव्‍यास
* सिर्फ धन कम रहने से कोई गरीब नहीं होता, यदि कोई व्‍यक्ति धनवान है और इसकी इच्‍छाएं ढेरों हैं तो वही सबसे गरीब है। - विनोबा भावे
* जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिम्‍ब नहीं पड़ता, उसी प्रकार मलिन अंत:करण में ईश्‍वर के प्रकाश का प्रतिबिम्‍ब नहीं पड़ सकता ।
* हताश न होना ही सफलता का मूल है और यही परम सुख है। - वाल्‍मीकि
* जंजीरें, जंजीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से तुम्‍हें गुलाम बनाती हैं। - स्‍वामी रामतीर्थ
* जो शिक्षा मनुष्‍य को संकीर्ण और स्‍वार्थी बना देती है, उसका मूल्‍य किसी युग में चाहे जो रहा हो, अब नहीं है। - शरतचन्‍द्र चट्टोपाघ्‍याय
* जो मनुष्‍य अपने साथी से घृणा करता है, वह उसी मनुष्‍य के समान हत्‍यारा है, जिसने सचमुच हत्‍या की हो। - स्‍वामी रामतीर्थ
* हृदय की सच्‍ची प्रार्थना से ही हमें सच्‍चे कर्तव्‍य का पता चलता है, आखिर में तो कर्तव्‍य करना ही प्रार्थना बन जाता है। - महात्‍मा गांधी
* परोपकारी अपने कष्‍ट को नहीं देखता, क्‍योंकि वह परकष्‍ट-जनित करूणा से ओत-प्रोत होता है। - संत तुकाराम
* अगर आप गलतियों को रोकने के लिये दरवाजे बन्‍द करते हैं तो सत्‍य भी बाहर ही रह जाएगा। - रवीन्‍द्रनाथ ठाकुर
* महत्‍व इस बात का नहीं है आप अपने बच्‍चों के लिये क्‍या छोड़कर जाते हैं महत्‍व तो इस बात का है कि आप इन्‍हें कैसा बना कर जाते हैं। - अज्ञात
* विज्ञान को विज्ञान तभी कह सकते हैं, जब वह शरीर, मन और आत्‍मा की भूख मिटाने की पूरी ताकत रखता हो। - महात्‍मा गांधी
* जो लोग अपनी प्रशंसा के भूखे होते हैं, वे साबित करते हैं कि उनमें योग्‍यता नहीं है, जिनमें योग्‍यता है उनका ध्‍यान उस ओर जाता ही नहीं है। - महात्‍मा गांधी
* वह पुरूष धन्‍य है जो काम करने में कभी पीछे नहीं हटता, भाग्‍यलक्ष्‍मी उसके घर की राह पूछती हुई चली आती है। - भगवान महावीर
* अपना चरित्र उज्‍जवल होने पर भी सज्‍जन, अपना दोष ही सामने रखते हैं, अग्नि का तेज उज्‍जवल होने पर भी वह पहले धुंआ ही प्रकट करता है। - कर्णपूर
* सेवा के लिये पैसे की जरूरत नहीं होती जरूरत है अपना संकुचित जीवन छोड़ने की, गरीबों से एकरूप होने की। - विनोबा भावे
* आलस्‍य मृत्‍यु के समान है, और केवल उद्यम ही आपका जीवन है। - स्‍वामी रामतीर्थ
* प्रेम करने वाला व्‍यक्ति कभी भी उद्दंड, अत्‍याचारी और स्‍वार्थी नहीं होता।  - महात्‍मा गांधी
* अवसर आने पर मनुष्‍य यदि कौड़ी (दाम) देने में चूक जाये जो तो फिर लाख रूपया देने से क्‍या होता है ? द्वितीया के चंद्रमा को न देखा जाए फिर पक्ष भर चंद्रमा उदय रहे, उससे क्‍या होगा? - तुलसीदास
* ज्ञान बढ़ने के साथ ही अहंकार घटना चाहिए, और नम्रता में वृद्धि होनी चाहिए!!! - हंसराज सुज्ञ
* जो वर्तमान में कमाया हुआ धन जोड़ता नहीं, उसे भविष्‍य में पछताना पड़ता है। - चाणक्‍य
* जीवन की दुर्घटनाओं में अक्‍सर बड़े महत्‍व के नैतिक पहलू छिपे हुए होते हैं!!! - प्रेमचंद
* कर्म को सचेत होकर और सोच समझकर विवेक द्वारा करना चाहिए अन्‍यथा हानि होती है!!! - महात्‍मा गांधी
* हिंदी हमारी मातृभाषा है, हमारा गर्व है क्या करें - दूर के ढोल सुहाने लगते हैं और उस ढोल पर चाल (स्टाइल) बदल जाती है!!! - रश्मि प्रभा
* तर्क से किसी निष्‍कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता, मूर्ख लोग तर्क करते हैं, जबकि बुद्धिमान विचार करते हैं।  - श्री परमहंस योगानंद
* कोई तुम्हारे काँधे पर हाथ रखता है तो तुम्हारा हौसला बढ़ता है पर जब किसी का हाथ काँधे पर नहीं होता तुम अपनी शक्ति खुद बन जाते हो और वही शक्ति ईश्वर है!!!! - रश्मि प्रभा
* विनयहीन ज्ञानी वस्‍तुत: ज्ञानी ही नहीं है!!! - हंसराज सुज्ञ
* केवल ज्ञान की कथनी से क्‍या होता है, आचरण में, स्थिरता नहीं है, जैसे कागज का महल देखते ही गिर पड़ता है, वैसे आचरण रहित मनुष्‍य शीघ्र पतित होता है। - कबीर
* लोभी को धन से, अभिमानी को विनम्रता से, मूर्ख को मनोरथ पूरा कर के और पंडित को सच बोलकर वश में किया जाता है।  - हितोपदेश
* जिस तरह फूल पौधों के उचित विकास के लिए समय समय पर काट छांट ज़रूरी है ठीक उसी तरह बच्चों को उचित बात सिखाने के लिए समय समय पर डांट ज़रूरी है!!!! - रश्मि प्रभा
* जिसने अपने को वश में कर लिया है, उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते  - भगवान बुद्ध
* नमस्‍कार करने वाला व्‍यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है। - प्रेमचंद
* विनय धर्म का मूल है अत: विनय आने पर, अन्‍य गुणों की सहज ही प्राप्ति हो जाती है। - हंसराज सुज्ञ
* तुम स्वतंत्र होना चाहते तो हो पर स्वतंत्रता देना नहीं चाहते!!! - रश्मि प्रभा
* देह शुद्धि से अधिक, विचारों की शुद्धि आवश्‍यक है। - हंसराज सुज्ञ
* वही पुत्र है जो पितृभक्‍त है, वही पिता है जो ठीक से पालन करता है, वही मित्र है जिस पर भरोसा किया जा सके और वही देश है जहां जीविका हो। - चाणक्‍य
* जीवन का रहस्‍य भोग में स्थित नहीं है, यह केवल अनुभव द्वारा निरंतर सीखने से ही प्राप्‍त होता है। - विवेकानन्‍द
* यदि कोई हमारा एक बार अपमान करे,हम दुबारा उसकी शरण में नहीं जाते। और यह मान (ईगो) प्रलोभन हमारा बार बार अपमान करवाता है। हम अभिमान का आश्रय त्याग क्यों नहीं देते? - हंसराज सुज्ञ
* यदि कोई एक बार हमारे साथ धोखा करे हम उससे मुँह मोड़ लेते है। और हमारा यह लोभ हमें बार बार धोखा देता है, हम अपने लोभ का मुख नोच क्यों नहीं लेते? - हंसराज सुज्ञ
* जीवन एक कहानी है, महत्‍व इस बात का नहीं, यह कहानी कितनी लम्‍बी है, महत्‍व इस बात का है, कि कहानी कितनी सार्थक है। - हंसराज सुज्ञ
* यह सच है कि पानी में तैरने वाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहने वाले नहीं, मगर किनारे पर खड़े रहने वाले कभी तैरना भी नहीं सीख पाते। - वल्‍लभ भाई पटेल
* शरीर के मामले में जो स्‍थान साबुन का है, वही आत्‍मा के सन्‍दर्भ में आंसू का है। - अज्ञात
* दूसरों के दोष देखने और ढूंढने की तीव्रेच्‍छा, इतनी गाढ़ हो जाती है कि अपने दोष देखने का वक्‍त ही नहीं मिलता  - हंसराज सुज्ञ
* पतन का मार्ग ढलान का मार्ग है, ढलान में ही हमें रूकना सम्‍हलना होता है। - हंसराज सुज्ञ
* सच्चा सुधारक वही है  जो पहले अपना सुधार करता है। - हंसराज सुज्ञ
* अच्‍छे कामों की सिद्धि में बड़ी देर लगती है, पर बुरे कामों की सिद्धि में यह बात नहीं। - प्रेमचंद
* परिस्थिति प्रतिकूल देखकर अपना अच्छा भला स्वभाव बदल देना तो स्वेच्छा बरबाद हो जाने के समान है। - हंसराज सुज्ञ
* किताबें समय के महासागर में, जलदीप की तरह रास्‍ता दिखाती हैं - अज्ञात
* उत्तम वस्तु को पचाने की क्षमता भी उत्तम चाहिए। - हंसराज सुज्ञ
* खेत और बीज उत्‍तम हो तो भी, किसानों के बोने में मुट्ठी के अंतर से बीज कहीं ज्‍यादा कहीं कम पड़ते हैं, इसी प्रकार शिष्‍य उत्‍तम होने पर भी गुरूओं की भिन्‍न-भिन्‍न शैली होने पर भी शिष्‍यों को कम ज्ञान हुआ तो इसमें शिष्‍यों का क्‍या दोष। - संत कबीर
* जो समय गया सो गया, उसके लिए पश्चाताप करने की अपेक्षा वर्तमान को सार्थक करने की जरूरत है। - हंसराज सुज्ञ
* प्रशंसा सब को अच्छी लगती है,शायद ही कोई होगा जिसे प्रशंसा सुनना अच्छा नहीं लगता है, प्रशंसा आवश्यक है ,अच्छे कार्य की प्रशंसा नहीं करना अनुचित है पर ये कतई आवश्यक नहीं है, कि अच्छा करने पर ही प्रशंसा की जाए, प्रोत्साहन के लिए साधारण कार्य की प्रशंसा भी कई बार बेहतर करने को प्रेरित करती है,पर देखा गया है लोग झूंठी प्रशंसा भी करते हैं ,खुश करने के लिए या कडवे सत्य से बचने के लिए या दिखावे के लिए .पर इसके परिणाम घातक हो सकते हैं .व्यक्ति सत्य से दूर जा सकता है,एवं वह अति आत्मविश्वाश और भ्रम का शिकार हो सकता है, जो घातक सिद्ध हो सकता है.वास्तविक स्पर्धा में वह पीछे रह सकता है या असफल हो सकता है इसलिए प्रशंसा कब और कितनी करी जाए,यह जानना भी आवश्यक है.साथ ही झूंठी प्रशंसा को पहचानना भी आवश्यक है .इसलिए सहज भाव से संयमित प्रशंसा करें, और सुनें ,प्रशंसा से अती आत्मविश्वाश से ग्रसित होने से बचें.प्रशंसा करने में कंजूसी भी नहीं बरतें  - डा.राजेंद्र तेला,"निरंतर"
* प्रशंसा सब को अच्छी लगती है,शायद ही कोई होगा जिसे प्रशंसा सुनना अच्छा नहीं लगता है, प्रशंसा आवश्यक है ,अच्छे कार्य की प्रशंसा नहीं करना अनुचित है पर ये कतई आवश्यक नहीं है, कि अच्छा करने पर ही प्रशंसा की जाए, प्रोत्साहन के लिए साधारण कार्य की प्रशंसा भी कई बार बेहतर करने को प्रेरित करती है,पर देखा गया है लोग झूंठी प्रशंसा भी करते हैं ,खुश करने के लिए या कडवे सत्य से बचने के लिए या दिखावे के लिए .पर इसके परिणाम घातक हो सकते हैं .व्यक्ति सत्य से दूर जा सकता है,एवं वह अति आत्मविश्वाश और भ्रम का शिकार हो सकता है, जो घातक सिद्ध हो सकता है.वास्तविक स्पर्धा में वह पीछे रह सकता है या असफल हो सकता है इसलिए प्रशंसा कब और कितनी करी जाए,यह जानना भी आवश्यक है.साथ ही झूंठी प्रशंसा को पहचानना भी आवश्यक है .इसलिए सहज भाव से संयमित प्रशंसा करें, और सुनें ,प्रशंसा से अती आत्मविश्वाश से ग्रसित होने से बचें.प्रशंसा करने में कंजूसी भी नहीं बरतें  - डा.राजेंद्र तेला,"निरंतर"
* साधारण मानव परिवेश अनुसार ढलता है, असाधारण मानव परिवेश को ही ढालता है। - हंसराज सुज्ञ
* प्रसिद्ध होने का यह एक दंड है कि मनुष्‍य को निरंतर उन्‍नतिशील बने रहना पड़ता है। - अज्ञात
* दूसरों का दिल जीतने के लिए फटकार नहीं मधुर व्यवहार चाहिए। - हंसराज सुज्ञ
* विपत्ती के समय में इंसान विवेक खो देता है, स्वभाव में क्रोध और चिडचिडापन आ जाता है. बेसब्री में सही निर्णय लेना व् उचित व्यवहार असंभव हो जाता है. लोग व्यवहार से खिन्न होते हैं, नहीं चाहते हुए भी समस्याएं सुलझने की बजाए उलझ जाती हैं जिस तरह मिट्टी युक्त गन्दला पानी अगर बर्तन में कुछ देर रखा जाए तो मिट्टी और गंद पैंदे में नीचे बैठ जाती है, उसी तरह विपत्ती के समय शांत रहने और सब्र रखने में ही भलाई है. धीरे धीरे समस्याएं सुलझने लगेंगी एक शांत मष्तिष्क ही सही फैसले आर उचित व्यवहार कर सकता है - डा.राजेंद्र तेला," निरंतर ''
* विपत्ती के समय में इंसान विवेक खो देता है, स्वभाव में क्रोध और चिडचिडापन आ जाता है. बेसब्री में सही निर्णय लेना व् उचित व्यवहार असंभव हो जाता है. लोग व्यवहार से खिन्न होते हैं, नहीं चाहते हुए भी समस्याएं सुलझने की बजाए उलझ जाती हैं जिस तरह मिट्टी युक्त गन्दला पानी अगर बर्तन में कुछ देर रखा जाए तो मिट्टी और गंद पैंदे में नीचे बैठ जाती है, उसी तरह विपत्ती के समय शांत रहने और सब्र रखने में ही भलाई है. धीरे धीरे समस्याएं सुलझने लगेंगी एक शांत मष्तिष्क ही सही फैसले आर उचित व्यवहार कर सकता है - डा.राजेंद्र तेला," निरंतर ''
* अपने देश की भाषा और संस्‍कृति के समुचित ज्ञान के बिना देशप्रेम की बातें करने वाले केवल स्‍वार्थी होते हैं। - मुक्‍ता
* मनुष्य निरंतर दूसरों का अनुसरण करता है, उनके जीवन से प्रभावित हो कर या उनके कार्य कलापों से प्रभावित होता है अधिकतर अन्धानुकरण ही होता है. क्यों किसी ने कुछ कहा? किन परिस्थितियों में कुछ करा या कहा कभी नहीं सोचता .परिस्थितियाँ और कारण सदा इकसार नहीं होते, महापुरुषों का अनुसरण अच्छी बात है फिर भी अपने विवेक और अनुभव का इस्तेमाल भी आवश्यक है.यह भी निश्चित है जो भी ऐसा करेगा उसे विरोध का सामना भी करना पडेगा.उसे इसके लिए तैयार रहना पडेगा. अगर ऐसा नहीं हुआ होता तो केवल मात्र एक या दो ही महापुरुष होते. नया कोई कभी पैदा नहीं होता .इसलिए मेरा मानना है जितना ज़िन्दगी को करीब से देखोगे. अपने को दूसरों की स्थिती में रखोगे तो स्थितियों को बेहतर समझ सकोगे, जीवन की जटिलताएं स्वत:सुलझने लगेंगी  - राजेंद्र तेला
* मनुष्य निरंतर दूसरों का अनुसरण करता है, उनके जीवन से प्रभावित हो कर या उनके कार्य कलापों से प्रभावित होता है अधिकतर अन्धानुकरण ही होता है. क्यों किसी ने कुछ कहा? किन परिस्थितियों में कुछ करा या कहा कभी नहीं सोचता .परिस्थितियाँ और कारण सदा इकसार नहीं होते, महापुरुषों का अनुसरण अच्छी बात है फिर भी अपने विवेक और अनुभव का इस्तेमाल भी आवश्यक है.यह भी निश्चित है जो भी ऐसा करेगा उसे विरोध का सामना भी करना पडेगा.उसे इसके लिए तैयार रहना पडेगा. अगर ऐसा नहीं हुआ होता तो केवल मात्र एक या दो ही महापुरुष होते. नया कोई कभी पैदा नहीं होता .इसलिए मेरा मानना है जितना ज़िन्दगी को करीब से देखोगे. अपने को दूसरों की स्थिती में रखोगे तो स्थितियों को बेहतर समझ सकोगे, जीवन की जटिलताएं स्वत:सुलझने लगेंगी  - राजेंद्र तेला
* यदि हमारे विचार सकारात्मक होंगे तो सब कुछ सकारात्मक हो जायेगा। - हंसराज सुज्ञ
* समस्या तभी पैदा होती है जब दिनचर्या का महत्त्व ज्यादा हो जाता है सोच नेपथ्य में रह जाता है, धीरे धीरे खो जाता है, केवल भ्रम रह जाता है भौतिक सुख, अपने से ज्यादा" लोग क्या कहेंगे "की चिंता प्रमुख हो जाते हैं आदमी स्वयं, स्वयं नहीं रहता कठपुतली की तरह नाचता रहता, जो करना चाहता, कभी नहीं कर पाता, जो नहीं करना चाहता, उसमें उलझा रहता, जितना दूर भागता उतना ही फंसता जाता। - राजेंद्र तेला
* समस्या तभी पैदा होती है जब दिनचर्या का महत्त्व ज्यादा हो जाता है सोच नेपथ्य में रह जाता है, धीरे धीरे खो जाता है, केवल भ्रम रह जाता है भौतिक सुख, अपने से ज्यादा" लोग क्या कहेंगे "की चिंता प्रमुख हो जाते हैं आदमी स्वयं, स्वयं नहीं रहता कठपुतली की तरह नाचता रहता, जो करना चाहता, कभी नहीं कर पाता, जो नहीं करना चाहता, उसमें उलझा रहता, जितना दूर भागता उतना ही फंसता जाता। - राजेंद्र तेला
* चतुराई और चालबाजी दो ची‍जें हैं, एक में ईश्‍वर की प्रेरणा होती है और दूसरा हमारी फितरत से पैदा होता है  - सुमन सिन्हा
* सपने पूरे होंगे लेकिन आप सपने देखना शुरू तो करें  - अब्‍दुल कलाम
* अच्छे विचार और अच्छी सोच से आचरण भी अच्छा बनता है। - हंसराज सुज्ञ
* जहाँ सारे तर्क ख़त्म हो जाते हैं, वहाँ से आध्यात्म शुरू होता है। - रश्मि प्रभा
* पहले हर अच्‍छी बात का मजाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्‍वीकार कर लिया जाता है। - स्‍वामी विवेकानन्‍द
* सम्बोधन अच्छे होंगे तभी सम्बंध अच्छे बनेंगे। - हंसराज सुज्ञ
* पिता की सेवा करना जिस प्रकार कल्‍याणकारी माना गया है वैसा प्रबल साधन न सत्‍य है न दान है और न यज्ञ है। - वाल्‍मीकि
* आंतरिक सौन्‍दर्य का आ‍ह्वान करना कठिन काम है, सौन्‍दर्य की अपनी भाषा होती है, ऐसी भाषा जिसमें न शब्‍द होते हैं न आवाज।। - अज्ञात
* अंधेरे को कोसने से बेहतर है कि, एक दीपक जलाया जाए।। - उपनिषद
* बैर के कारण उत्‍पन्‍न होने वाली आग एक पक्ष को स्‍वाहा किए बिना कभी शांत नहीं होती। - वेदव्‍यास
* जो अपने को बुद्धिमान समझता है, सामान्‍यत: सबसे बड़ा मूर्ख होता है।। - सुदर्शन
* जो बीत गया है, उसकी परवाह न करें, जो आने वाला है उसके सपने न देखें, अपना ध्‍यान वर्तमान पर लगाएं। - महात्‍मा बुद्ध
* ना तो कोई किसी का मित्र है ना ही शत्रु है, व्‍यवहार से ही मित्र या शत्रु बनते हैं। - हितोपदेश
* मृत्‍यु और विनाश बिना बुलाए ही आया करते हैं क्‍योंकि ये हमारे मित्रों के रूप में नहीं शत्रुओं के रूप में आते हैं। - भगवतीचरण वर्मा
* यदि तुम्‍हें अपने चुने हुए रास्‍ते पर विश्‍वास है, यदि इस पर चलने का साहस है, यदि इस‍की कठिनाईयों को जीत लेने की शक्ति है, तो रास्‍ता तुम्‍हारा अनुगमन करता है। - धीरूभाई अंबानी
* श्रेष्‍ठतम मार्ग खोजने की प्रतीक्षा के बजाय हम गलत रास्‍ते से बचते रहें और बेहतर रास्‍ते को अपनाते रहें!! - जवाहर लाल नेहरू
* जो व्‍यक्ति इंसान की बनाई मूर्ति की पूजा करता है, लेकिन भगवान की बनाई मूर्ति (इंसान) से नफरत करता है, वह भगवान को कभी प्रिय नहीं हो सकता। - स्‍वामी ज्‍योतिनंद
* ईश्‍वर ने संसार को कर्म प्रधान बना रखा है, इसमें जो मनुष्‍य जैसा कर्म करता है उसको, वैसा ही फल प्राप्‍त होता है।। - गोस्‍वामी तुलसीदास
* सांप के दांत में विष रहता है, मक्‍खी के सर में, बिच्‍छूं की पूंछ में, किन्‍तु दुर्जनों के पूरे शरीर में विष रहता है।। - अज्ञात
* फल के आने से वृक्ष झुक जाते हैं, वर्षा के समय बादल झुक जाते हैं, सम्‍पत्ति रहकर भी सज्‍जन झुक जाते हैं, परोपकारी का यही स्‍वभाव होता है। - अज्ञात
* समझौता एक अच्छा छाता भले बन सकता है लेकिन अच्छी छत नहीं।‍‍ - अज्ञात
* बिना ग्रंथ के ईश्वर मौन है, न्याय निद्रित है, विज्ञान स्तब्ध है और सभी वस्तुएं पूर्ण अंधकार में हैं।।‍‍‍‍‍ - मुक्‍ता
* हंसमुख व्‍यक्ति वह फुहार है, जिसके छींटे सबके मन को ठंडा करते हैं।। - अज्ञात
* सपना वो नह‍ीं जो नींद में आए, सपने वे हैं जिसे पूरा किए बिना नींद न आए। - अज्ञात
* जब हर मनुष्‍य अपने आप पर व एक - दूसरे पर विश्‍वास करने लगेगा, आस्‍थावान बन जाएगा तो यह धरती ही स्‍वर्ग बन जाएगी।। - स्‍वामी विवेकानन्‍द
* आशा अमर है, उसकी आराधना कभी निष्‍फल नही होती!! - महात्‍मा गांधी
* प्रसिद्ध होने का यह एक दण्‍ड है कि मनुष्‍य को निरंतर उन्‍नतिशील बने रहना पड़ता है।। - अज्ञात
* श्रद्धा का अर्थ अंधविश्‍वास नहीं है। किसी ग्रंथ में कुछ लिखा हुआ या किसी व्‍यक्ति का कुछ कहा हुआ अपने अनुभव बिना सच मानना श्रद्धा नहीं है। - स्‍वामी विवेकानन्‍द
* अकेलापन कई बार अपने आप से सार्थक बातें करता है, वैसी सार्थकता भीड़ में या भीड़ के चिंतन में नहीं मिलती। - महात्‍मा गांधी
* सच्‍चा पड़ोसी वह नहीं जो तुम्‍हारे साथ, उसी मकान में रहता है, बल्‍ि‍क वह है जो तुम्‍हारे साथ उसी विचार स्‍तर पर रहता है। - स्‍वामी रामतीर्थ
* धन तो वापस किया जा सकता है परन्‍तु सहानुभूति के शब्‍द वे ऋण हैं जिसे चुकाना मनुष्‍य की शक्ति के बाहर है। - सुदर्शन
* अवसर तो सभी को जिन्‍दगी में मिलते हैं, किंतु उनका सही वक्‍त पर सही तरीके से इस्‍तेमाल कुछ ही कर पाते हैं। - श्रीराम शर्मा
* प्रतिभा का अर्थ है बुद्धि में नई कोंपले फूटते रहना, नई कल्‍पना, नया उत्‍साह, नई खोज और नई स्‍फूर्ति प्रतिभा के लक्षण हैं। - विनोबा
* कलियुग में रहना है या सतयुग में, यह तुम स्‍वयं चुनो तुम्‍हारा युग तुम्‍हारे पास है। - विनोबा
* यशस्वियों का कर्तव्‍य है कि जो अपने से होड़ करे उससे अपने यश की रक्षा भी करें। - कालिदास
* बच्‍चे कोरे कपड़े की तरह होते हैं, जैसा चाहो वैसा रंग लो उन्‍हें निश्चित रंग में केवल डुबो देना पर्याप्‍त है। - सत्‍यसाईं बाबा
* हताश न होना सफलता का मूल है और, यही परम सुख है, उत्‍साह मनुष्‍य को कर्मों के लिये प्रेरित करता है और उत्‍साह ही कर्म को सफल बनाता है। - वाल्‍मीकि
* वृक्ष अपने सिर पर गरमी सहता है पर अपनी, छाया में दूसरों का ताप दूर करता है। - तुलसीदास
* झूठ सबसे बड़ा पाप है, झूठ की थैली में अन्‍य सभी पाप समा सकते हैं, झूठ को छोड़ दो तो तुम्‍हारे अन्‍य पाप कर्म धीरे-धीरे स्‍वत: ही छूट जाएंगे। - गौतम बुद्ध
* उदय होते समय सूर्य लाल होता है, और अस्‍त होते समय भी, इसी प्रकार सम्‍पत्ति और वि‍पत्ति के समय महान पुरूषों में एकरूपता होती है। - कालिदास
* पृथ्‍वी पर तीन रत्‍न हैं। जल, अन्‍न और सुभाषित लेकिन अज्ञानी पत्‍थर के टुकड़े को ही रत्‍न कहते हैं। - कालिदास
* गलत को गलत कहना हमें आसान नहीं लगता, सही इतना कमजोर होता है इतना अकेला कि, उसके खिलाफ ही जंग का ऐलान आसान लगता है। - रश्मि प्रभा
* जिस काम की तुम कल्‍पना करते हो, उसमें जुट जाओ, साहस में प्रतिभा, शक्ति और जादू है, साहस से काम शुरू करो पूरा अवश्‍य होगा। - अज्ञात
* धन उत्‍तम कर्मों से उत्‍पन्‍न होता है, साहस, योग्‍यता व दृढ़ निश्‍चय से बढ़ता है, चतुराई से फलता फूलता है और संयम से सुरक्षित होता है। - विदुर
* पराजय से सत्‍याग्रही को निराशा नहीं होती, बल्कि कार्यक्षमता और लगन बढ़ती है। - महात्‍मा गांधी
* दूसरों पर किये गये व्‍यंग्‍य पर हम, हंसते हैं पर अपने ऊपर किये गये व्‍यंग्‍य पर रोना तक भूल जाते हैं। - रामचन्‍द्र शुक्‍ल
* आप ईश्‍वर में तब तक विश्‍वास नहीं, कर पाएंगे जब तक आप अपने आप में विश्‍वास नहीं करते। - स्‍वामी विवेकानन्‍द
* हमारे व्‍यक्तित्‍व की उत्‍पत्ति हमारे विचारों में है, इसलिए ध्‍यान रखें कि आप क्‍या विचारते हैं, शब्‍द गौण हैं, विचार मुख्‍य हैं और उनका, असर दूर तक होता है। - स्‍वामी विवेकानन्‍द
* प्रकृति अपरिमित ज्ञान का भंडार है, परन्‍तु उससे लाभ उठाने के लिये अनुभव आवश्‍यक है। - हरिऔध
* जीवन ताश के खेल के समान है, आप को जो पत्‍ते मिलते हैं वह नियति है, आप कैसे खेलते हैं वह आपकी स्‍वेच्‍छा है। - पं. जवाहर लाल नेहरू
* जिसने अकेले रहकर अकेलेपन को जीता उसने सब कुछ जीता। - विवेकानन्‍द
* जिस मनुष्‍य में आत्‍‍मविश्‍वास नहीं है, वह शक्तिमान होकर भी कायर है और पंडित होकर भी मूर्ख है। - रामप्रताप
* वही काम करना ठीक है, जिसे करने के बाद पछताना न पड़े और जिसके फल को प्रसन्‍न मन से भोग सकें। - गौतम बुद्ध
* जब तक व्‍यक्ति असत्‍य को ही सत्‍य समझता रहता है, तब तक उसके मन में सत्‍य को जानने की जिज्ञासा उत्‍पन्‍न नहीं होती है। - पं. श्रीराम शर्मा
* जब भगवान आपकी समस्‍याएं हल करते हैं, तब आपको उन पर विश्‍वास रहता है और जब, भगवान आपकी समस्‍याएं हल नहीं करते तब, उन्‍हें आप पर विश्‍वास रहता है। - अज्ञात


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19:17, 4 अक्टूबर 2011 का अवतरण

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इन्हें भी देखें: अनमोल वचन, अनमोल वचन 2, अनमोल वचन 3, अनमोल वचन 4, अनमोल वचन 5, अनमोल वचन 6, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत

अनमोल वचन

अल्बर्ट आइंस्टीन

  • विश्व एक महान पुस्तक है जिसमें वे लोग केवल एक ही पृष्ठ पढ पाते हैं जो कभी घर से बाहर नहीं निकलते। ~ आगस्टाइन
  • धर्मरहित विज्ञान लंगडा है, और विज्ञान रहित धर्म अंधा। ~ आइन्स्टाइन
  • अवसर के रहने की जगह कठिनाइयों के बीच है। ~ अलबर्ट आइन्स्टाइन
  • तर्क, आप को किसी एक बिन्दु 'क' से दूसरे बिन्दु 'ख' तक पहुँचा सकते हैं। लेकिन, कल्पना, आप को सर्वत्र ले जा सकती है। ~ अलबर्ट आइन्सटीन
  • हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती। ~ अलबर्ट आइन्स्टीन
  • अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि है। ~ आइन्स्टीन
  • प्रकृति को गहराई से देखें, और आप हर चीज़ को बेहतर समझ पाएंगे। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन
  • आपकी कल्पनाशक्ति आपके जीवन के आने वाले आकर्षणों का पूर्वावलोकन है। ~ एल्बर्ट आइन्स्टाइन
  • ऐसा नहीं है कि मैं कोई अति प्रतिभाशाली व्यक्ति हूँ; लेकिन मैं निश्चित रूप से अधिक जिज्ञासु हूँ और किसी समस्या को सुलझाने में अधिक देर तक लगा रहता हूँ। ~ आइंस्टीन
  • सफल मनुष्य बनने के प्रयास से बेहतर है गुणी मनुष्य बनने का प्रयास। ~ एल्बर्ट आइंस्टीन
  • सफल व्यक्ति होने का प्रयास न करें, अपितु गरिमामय व्यक्ति बनने का प्रयास करें। ~ अल्बर्ट आईंसटीन
  • ऐसा नहीं है कि मैं बहुत चतुर हूं; सच्चाई यह है कि मैं समस्याओं का सामना अधिक समय तक करता हूं। ~ अल्बर्ट आंईस्टीन

जॉर्ज बर्नार्ड शॉ

  • सत्य को कह देना ही मेरा मज़ाक करने का तरीका है। संसार में यह सब से विचित्र मज़ाक है। ~ जार्ज बर्नार्ड शॉ
  • आमतौर पर आदमी उन चीजों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है जिनका उससे कोई लेना देना नहीं होता। ~ जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
  • पुस्तक प्रेमी सबसे धनवान व सुखी होता है, संपूर्ण रूप से त्रुटिहीन पुस्तक कभी पढ़ने लायक़ नहीं होती। ~ जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
  • शिक्षा और प्रशिक्षण का एकमात्र उद्देश्य समस्या-समाधान होना चाहिये। ~ जार्ज बर्नार्ड शा
  • बिना कुछ किए बिताने वाले जीवन की अपेक्षा गलतियाँ करते हुए बिताने वाला जीवन अधिक सम्माननीय होता है। ~ जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
  • संसार मे समस्या यह है कि मूढ लोग अत्यन्त सन्देहरहित होते है और बुद्धिमान सन्देह से परिपूर्ण। ~ जार्ज बर्नार्ड शा
  • आप कुछ देखते हैं; तो कहते हैं, "क्यों?", लेकिन मैं असंभव से सपने देखता हूँ और कहता हूँ, "क्यों नहीं?" ~ जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
  • आप को अच्छा करने का अधिकार बुरा करने के अधिकार के बिना नहीं मिल सकता. माता का दूध शूरवीरों का ही नहीं, वधिकों का भी पोषण करता है। ~ जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
  • आप प्रसन्न है या नहीं यह सोचने के लिए फुरसत होना ही दुखी होने का रहस्य है, और इसका उपाय है व्यवसाय। ~ जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
  • किसी पुरुष या महिला के पालन-पोषण की आज़माइश तो एक झगड़े में उनके बर्ताव से होती है. जब सब ठीक चल रहा हो तब अच्छा बर्ताव तो कोई भी कर सकता है। ~ जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
  • आज अध्‍ययन करना सब जानते हैं, पर क्‍या अध्‍ययन करना चाहिए यह कोई नहीं जानता। ~ जार्ज बर्नाड शॉ
  • सबसे कम खर्चीला मनोरंजन होता है श्रेष्‍ठ पुस्‍तकों के अध्‍ययन से और यह स्‍थाई होता है। ~ जार्ज बनार्ड शॉ

बेंजामिन फ्रैंकलिन

  • मछली एवं अतिथि, तीन दिनों के बाद दुर्गन्धजनक और अप्रिय लगने लगते हैं। ~ बेंजामिन फ्रैंकलिन
  • हँसमुख चेहरा रोगी के लिये उतना ही लाभकर है जितना कि स्वस्थ ऋतु। ~ बेन्जामिन
  • चींटी से अच्छा उपदेशक कोई और नहीं है। वह काम करते हुए खामोश रहती है। ~ बैंजामिन फ्रैंकलिन
  • यदि कोई व्यक्ति अपने धन को ज्ञान अर्जित करने में ख़र्च करता है, तो उससे उस ज्ञान को कोई नहीं छीन सकता! ज्ञान के लिए किये गए निवेश में हमेशा अच्छा प्रतिफल प्राप्त होता है! ~ बेंजामिन फ्रेंकलिन
  • आप रुक सकते हैं लेकिन समय नहीं रुकता। ~ बेंजामिन फ्रैंकलिन
  • खोया समय कभी फिर नहीं मिलता। ~ बेंजामिन फ्रैंकलिन
  • धन से आज तक किसी को खुशी नहीं मिली और न ही मिलेगी. जितना अधिक व्यक्ति के पास धन होता है, वह उससे कहीं अधिक चाहता है। धन रिक्त स्थान को भरने के बजाय शून्यता को पैदा करता है। ~ बेंजामिन फ्रेंकलिन
  • क्रोध कभी भी बिना कारण नहीं होता, लेकिन कदाचित ही यह कारण सार्थक होता है। ~ बेंजामिन फ्रेंकलिन
  • ज्ञान में पूंजी लगाने से सर्वाधिक ब्याज मिलता है। ~ बेंजामिन फ्रेंकलिन
  • क्रोध से शुरू होने वाली हर बात, लज्‍जा पर समाप्‍त होती है। ~ बेंजामिन फ्रेंकलिन

विलियम शेक्सपियर

  • हम जानते हैं कि हम क्या हैं, पर ये नहीं जानते कि हम क्या बन सकते हैं। ~ शेक्सपीयर
  • गहरी नदी का जल प्रवाह शांत व गंभीर होता है। ~ शेक्सपीयर
  • ईमानदारी से बड़ी कोई विरासत नहीं है। ~ विलियम शेक्सपियर
  • अपेक्षा ही मनोव्यथा का मूल है। ~ विलियम शेक्सपियर
  • सभी से प्रेम करें, कुछ पर विश्वास करें और किसी के साथ भी गलत न करें। ~ विलियम शेक्सपियर
  • जिस श्रम से हमें आनन्‍द प्राप्‍त होता है, वह हमारी व्‍याधियों के लिए अमृत, तुल्‍य है, हमारी वेदना की निवृत्‍ित है। ~ शेक्‍सपीयर
  • जिस पर तुम्‍हारा वश नहीं, उसके लिये दुख करना बंद कर दो। ~ शेक्‍सपियर

विंस्टन चर्चिल

  • किसी कम पढे व्यक्ति द्वारा सुभाषित पढना उत्तम होगा। ~ सर विंस्टन चर्चिल
  • सतत प्रयास - न कि ताकत या बुद्धिमानी - ही हमारे सामर्थ्य को साकार करने की कुंजी है। ~ विंस्टन चर्चिल
  • सफलता हमेशा के लिए नहीं होती, असफलता कभी घातक नहीं होती: यह तो लगे रहने की प्रवृत्ति है जो मायने रखती है। ~ विंस्टन चर्चिल
  • आशावादी व्यक्ति हर आपदा में एक अवसर देखता है; निराशावादी व्यक्ति हर अवसर में एक आपदा देखता है। ~ विन्सटन चर्चिल
  • रणनीति कितनी भी सुंदर क्यों न हो, आप को कभी कभी परिणामों पर भी विचार करना चाहिए। ~ सर विंसटन चर्चिल
  • मानव के सभी गुणों में साहस पहला गुण है, क्‍योंकि वह सभी गुणों की जिम्‍मेदारी लेता है। ~ चर्चिल

अरस्तू

  • खुशी ही जीवन का अर्थ और उद्देश्य है, और मानव अस्तित्व का लक्ष्य और मनोरथ। ~ अरस्तू
  • अच्छी शुरुआत से आधा काम हो जाता है। ~ अरस्तू
  • जन्म देने वाले माता पिता से अध्यापक कहीं अधिक सम्मान के पात्र हैं, क्योंकि माता पिता तो केवल जन्म देते हैं, लेकिन अध्यापक उन्हें शिक्षित बनाते हैं, माता पिता तो केवल जीवन प्रदान करते हैं, जबकि अध्यापक उनके लिए बेहतर जीवन को सुनिश्चित करते हैं। ~ अरस्तू
  • मित्र क्या है? एक आत्मा जो दो शरीरों में निवास करती है। ~ अरस्तू
  • शिक्षा की जड़े भले ही कड़वी हों, इसके फल मीठे होते हैं। ~ अरस्‍तू

मार्टिन लुथर किंग

  • आँख के बदले आँख' के प्राचीन सिद्धान्त से तो एक दिन सभी अंधे हो जाएंगे। ~ मार्टिन लुथर किंग, जूनियर
  • हमारे जीवन का उस दिन अंत होना शुरू हो जाता है जिस दिन हम उन विषयों के बारे में चुप रहना शुरू कर देते हैं जो मायने रखते हैं। ~ मार्टिन लुथर किंग, जूनियर
  • मैंने प्रेम को ही अपनाने का निर्णय किया है। द्वेष करना तो बेहद बोझिल काम है। ~ मार्टिन लूथर किंग, जूनियर
  • पत्नी को चाहिए कि पति घर लौटने पर खुश हो, और पति को चाहिए कि पत्नी को उसके घर से निकलने पर दुख हो। ~ मार्टिन लूथर
  • हमें परिमित निराशा को स्वीकार करना चाहिए, लेकिन अपरिमित आशा को कभी नहीं खोना चाहिए। ~ मार्टिन लूथर किंग, जूनियर (1929-1967), अश्वेत मानवाधिकारी नेता
  • हमे सीमित मात्रा में निराशा को स्वीकार करना चाहिये, लेकिन असीमित आशा को नहीं छोडना चाहिये। ~ मार्टिन लुथर किंग

हेनरी वार्ड बीचर

  • हम जब तक खुद मां बाप नहीं बन जाएं, मां बाप का प्यार कभी नहीं जान पाते। ~ हेनरी वार्ड बीचर, (1813-1887), अमरीकी पादरी
  • संगीत की धुनों में जो स्वर्ग की ऊंचाइयों तक पहूंची है, वह है एक स्नेहभरे दिल की धड़कन। ~ हेनरी वार्ड बीचर
  • प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह याद रखना बेहतर होगा कि सभी सफल व्यवसाय नैतिकता की नींव पर आधारित होते हैं। ~ हैनरी वार्ड बीचर
  • इस दुनिया में जो कुछ हम अर्जित करते हैं, उससे नहीं अपितु जो कुछ त्याग करते हैं, उससे समृद्ध बनते हैं। ~ हैनरी वार्ड बीचर
  • अपने मित्र को उसके दोषों को बताना मित्रता की सबसे कठोर परीक्षा होती है। ~ हैनरी वार्ड बीचर
  • विचारों को मूर्त रूप देने की क्षमता ही सफलता का रहस्य है। ~ हैनरी वार्ड बीचर
  • कठिनाईयां भगवान का संदेश होती हैं, उनका सामना करते समय हमें भगवान के विश्‍वास के रूप में, भगवान से अभिनंदन के रूप में उनका सम्‍मान करना चाहिये। ~ हेनरी वार्ड बीचर

राल्फ वाल्डो एमर्सन

  • यदि किसी असाधारण प्रतिभा वाले आदमी से हमारा सामना हो तो हमें उससे पूछना चाहिये कि वो कौन सी पुस्तकें पढता है। ~ एमर्शन
  • प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं। ~ इमर्सन
  • आओं हम मौन रहें ताकि फ़रिस्तों की कानाफूसियाँ सुन सकें। ~ एमर्शन
  • डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है। ~ एमर्सन
  • सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है। जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है। ~ इमर्सन
  • जैसे जैसे हम बूढ़े होते जाते हैं, सुंदरता भीतर घुसती जाती है। ~ रॉल्फ वाल्डो इमर्सन
  • लम्बी आयु का महत्व नहीं है जितना महत्व इसकी गहनता है। ~ राल्फ वाल्डो एमर्सन
  • हर सुबह जब आप जागते हैं तो अपने भगवान को धन्यवाद दें तथा आप अनुभव करते है कि आपने वह कार्य करना है जिसे अवश्य किया जाना चाहिए, चाहे आप इसे पसंद करें या नहीं. इससे चरित्र का निर्माण होता है। ~ एमरसन
  • प्रत्येक कलाकार एक दिन नौसिखिया ही होता है। ~ राल्फ वाल्डो एमर्सन
  • बिना उत्साह के आज तक कुछ भी महान उपलब्धि हासिल नहीं की गई है। ~ राल्फ वाल्डो एमर्सन
  • पूरा जीवन एक प्रयोग है। जितने अधिक प्रयोग आप करेंगे, उतना ही अच्छा। ~ राल्फ इमरसन
  • प्रकृति की गति अपनाएं: उसका रहस्य है धीरज। ~ राल्फ इमर्सन
  • पूरा जीवन एक अनुभव है. आप जितने अधिक प्रयोग करते हैं, उतना ही इसे बेहतर बनाते हैं। ~ राल्फ वाल्डो एमर्सन

दलाई लामा

  • इस जीवन का प्रथम लक्ष्य है दूसरों की सहायता करना। और यदि आप दूसरों की सहायता नहीं कर सकते तो कम से कम उन्हें आहत तो न करें। ~ दलाई लामा
  • हम धर्म और चिंतन के बिना रह सकते हैं किन्तु मानवीय प्रेम के बिना नहीं। ~ दलाई लामा
  • खुशी अपने आप नहीं मिलती। यह आपके अपने कर्मों से ही आती है। ~ दलाई लामा
  • जब तक हम अपने आप से सुलह नहीं कर लेते तब तक हम दुनिया से भी सुलह नहीं कर सकते। ~ दलाई लामा
  • सहिष्णुता के अभ्यास में आपका शत्रु ही सर्वश्रेष्ठ शिक्षक होता है। ~ दलाई लामा
  • मैं इस आसान धर्म में विश्वास रखता हूं। मन्दिरों की कोई आवश्यकता नहीं; जटिल दर्शनशास्त्र की कोई आवश्यकता नहीं। हमारा मस्तिष्क, हमारा हृदय ही हमारा मन्दिर है; और दयालुता जीवन-दर्शन है। ~ दलाई लामा
  • जब आप कुछ गंवा बैठते हैं, तो उससे प्राप्त शिक्षा को न गंवाएं। ~ दलाई लामा
  • हमारी खुशी का स्रोत हमारे ही भीतर है, यह स्रोत दूसरों के प्रति संवेदना से पनपता है। - दलाईलामा

अब्राहम लिंकन

  • हर किसी पर विश्वास कर लेना खतरनाक है; किसी पर भी विश्वास न करना बहुत खतरनाक है। ~ अब्राहम लिंकन
  • यदि शांति पाना चाहते हो, तो लोकप्रियता से बचो। ~ अब्राहम लिंकन
  • मुझे एक पेड़ काटने के लिए यदि आप छह घंटे देते हैं तो मैं पहले चार घंटे अपनी कुल्हाड़ी की धार बनाने में लगाऊँगा। ~ अब्राहम लिंकन
  • चरित्र एक वृक्ष है और मान एक छाया। हम हमेशा छाया की सोचते हैं; लेकिन असलियत तो वृक्ष ही है। ~ अब्राहम लिंकन
  • चरित्र वृक्ष के समान है तो प्रतिष्‍ठा, उसकी छाया है। हम अक्‍सर छाया के, बारे में सोचते हैं, जबकि असल, चीज तो वृक्ष ही है। ~ अब्राहम लिंकन
  • अपने विरोधियो से मित्रता कर लेना क्या विरोधियों को नष्ट करने के समान नहीं है? ~ अब्राहम लिंकन
  • इंसान जितना अपने मन को मना सके उतना खुश रह सकता है। ~ अब्राहम लिंकन
  • जिस प्रकार मैं एक गुलाम नहीं बनना चाहता, उसी प्रकार मैं किसी गुलाम का मालिक भी नहीं बनना चाहता. यह सोच लोकतंत्र के सिद्धांत को दर्शाती है। ~ अब्राहम लिंकन
  • उस व्यक्ति को आलोचना करने का अधिकार है जो सहायता करने की भावना रखता है। ~ अब्राहम लिंकन
  • मुझे अधिक संबंध इस बात से नहीं है कि आप असफ़ल हुए, बल्कि इस बात से कि आप अपनी असफलता से कितने संतुष्ट है। ~ अब्राहम लिंकन

मार्क ट्वेन

  • स्वास्थ्य के संबंध में, पुस्तकों पर भरोसा न करें। छपाई की एक गलती जानलेवा भी हो सकती है। ~ मार्क ट्वेन
  • अगर आप सच बोलते हैं, तो आप को ज्यादा कुछ याद रखने की ज़रूरत नहीं। ~ मार्क ट्वेन
  • उन लोगों से दूर रहें जो आप आपकी महत्वकांक्षाओं को तुच्छ बनाने का प्रयास करते हैं। छोटे लोग हमेशा ऐसा करते हैं, लेकिन महान लोग आपको इस बात की अनुभूति करवाते हैं कि आप भी वास्तव में महान बन सकते हैं। ~ मार्क ट्वेन
  • देरी से प्राप्त की गई सम्पूर्णता की तुलना में निरन्तर सुधार बेहतर होता है। ~ मार्क टवैन
  • भारत मानव जाति का पलना है, मानव-भाषा की जन्मस्थली है, इतिहास की जननी है, पौराणिक कथाओं की दादी है, और प्रथाओं की परदादी है। मानव इतिहास की हमारी सबसे कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है। ~ मार्क ट्वेन
  • क्रोध एक तेजाब है जो उस बर्तन का अधिक अनिष्ट कर सकता है जिसमें वह भरा होता है न कि उसका जिस पर वह डाला जाता है। ~ मार्क ट्वेन
  • जो पढ़ता नहीं है, वह उस व्‍यक्ति से कतई बेहतर नहीं है जो अनपढ़ है। ~ मार्क ट्वेन
  • एक शब्‍द और लगभग सही शब्‍द में ठीक उतना ही अंतर है जितना कि रोशनी और जुगनू में। ~ मार्क ट्वेन

गोथे

  • सही मायने में बुद्धिपूर्ण विचार हजारों दिमागों में आते रहे हैं। लेकिन उनको अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे हमारी अनुभूति में जड न जमा लें। ~ गोथे
  • बाँटो और राज करो, एक अच्छी कहावत है; (लेकिन) एक होकर आगे बढो, इससे भी अच्छी कहावत है। ~ गोथे
  • जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये। निर्भीकता के अन्दर मेधा (बुद्धि), शक्ति और जादू होते हैं। ~ गोथे
  • यदि आप अपरिमित में जाना चाहते हैं, तो पहले परिमित को अच्छे से जान लेने का प्रयत्न करें। ~ जोहेन वोल्फ़्गेंग गोथ

कंफ्यूशियस

  • जब तुम्हारे खुद के दरवाजे की सीढ़ियाँ गंदी हैं तो पड़ोसी की छत पर पड़ी गंदगी का उलाहना मत दीजिए। ~ कनफ़्यूशियस
  • बुद्धि का अर्जन हम तीन तरीकों से कर सकते हैं: प्रथम, चिंतन से, जो कि उत्तम है; द्वितीय, दूसरों से सीखकर, जो सबसे आसान है; और तृतीय, अनुभव से, जो सबसे कठिन है। ~ कन्फ़्यूशियस
  • ऐसे पेशे का चयन करें जो आपको दिलचस्प लगता हो, और आपको अपने जीवन में एक भी दिन काम नहीं करना पड़ेगा। ~ कंफ्यूशियस
  • जो व्यक्ति दूसरों की भलाई चाहता है, वह अपनी भलाई को सुनिश्चित कर लेता है। ~ कंफ्यूशियस
  • जब यह साफ हो कि लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया जा सकता है, तो लक्ष्यों में फेरबदल न करें, बल्कि अपनी प्रयासों में बदलाव करें। ~ कंफ्यूशिअस
  • श्रेष्ठ व्यक्ति बोलने में संयमी होता है लेकिन अपने कार्यों में अग्रणी होता है। ~ कंफ्यूशियस

विलियम ड्रूमंड

  • जो तर्क को अनसुना कर देते हैं, वह कटर हैं! जो तर्क ही नहीं कर सकते, वह मुर्ख हैं और जो तर्क करने का साहस ही नहीं दिखा सकते, वह गुलाम हैं! ~ विलियम ड्रूमंड
  • सभ्यता सुव्यस्था के जन्मती है, स्वतन्त्रता के साथ बडी होती है और अव्यवस्था के साथ मर जाती है। ~ विल डुरान्ट
  • भारत हमारी संपूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की जननी है: भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है, अरबॊं के रास्ते हमारे अधिकांश गणित की जननी है, बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है, ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है। अनेक प्रकार से भारत माता हम सबकी माता है। ~ विल्ल डुरान्ट, अमरीकी इतिहासकार
  • विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है। ~ विल्ल डुरान्ट

अलबर्ट हबर्ड

  • गलती करने में कोई गलती नहीं है। गलती करने से डरना सबसे बडी गलती है। ~ एल्बर्ट हब्बार्ड
  • स्पष्टीकरण से बचें। मित्रों को इसकी आवश्यकता नहीं; शत्रु इस पर विश्वास नहीं करेंगे। ~ अलबर्ट हबर्ड
  • कभी भी सफाई नहीं दें। आपके दोस्तों को इसकी आवश्यकता नहीं है और आपके दुश्मनों को विश्वास ही नहीं होगा। ~ अलबर्ट हब्बार्ड
  • यदि आपके पास स्वास्थ्य है तो संभवतः आप प्रसन्न होंगे, और यदि आपके पास स्वास्थ्य और प्रसन्नता दोनों हैं, तो आपके पास अपनी आवश्यकता के अनुसार समस्त सम्पदा होगी फिर चाहे आप इसे न भी चाहते हों। ~ एल्बर्ट हुब्बार्ड

खलील ज़िब्रान

  • बीता कल आज की याद है, और आने वाला कल आज का स्‍वप्‍न। ~ खलील जिब्रान
  • मानवता प्रकाश की वह नदी है जो सीमित से असीम की ओर बहती है। ~ खलील जिब्रान
  • बीता कल आज की याद है, और आने वाला कल आज का स्वप्न। ~ खलील जिब्रान
  • दानशीलता हमारी क्षमता से अधिक देने में, और गौरव अपनी आवश्यकता से कम लेने में है। ~ खलील गिब्रान
  • किसी भी नींव का सबसे मजबूत पत्थर सबसे निचला ही होता है। ~ खलील ज़िब्रान (1883-1931), सीरियाई कवि
  • किसी व्यक्ति के दिल-दिमाग को समझने के लिए इस बात को न देखें कि उसने अभी तक क्या प्राप्त किया है, अपितु इस बात को देखें कि वह क्या अभिलाषा रखता है। ~ कैहलिल जिब्रान
  • जिनसे प्रेम करते हैं, उन्हें जाने दें, वे यदि लौट आते हैं तो वे सदा के लिए आपके हैं। और अगर नहीं लौटते हैं तो वे कभी आपके थे ही नहीं। ~ खलील ज़िब्रान (1883-1931), सीरियाई कवि
  • आप अपने रहस्य यदि पवन पर खोल देते हैं तो वृक्षों में बात फैल जाने का दोष पवन पर मत मढ़ें। ~ ख़लील जिब्रान (1883-1931), सीरियाई कवि एवं चित्रकार

शेख सादी

  • इंसान अगर लोभ को ठुकरा दे तो बादशाह से भी ऊंचा दर्जा हासिल कर सकता है, क्‍योंकि संतोष ही इंसान का माथा हमेशा ऊंचा रख सकता है। ~ शेख सादी
  • अज्ञानी आदमी के लिये खामोशी से बढ़कर कोई चीज नहीं, और अगर उसमें यह समझने की बुद्धि है तो वह अज्ञानी नहीं रहेगा। ~ शेखी सादी
  • वाणी मधुर हो तो सब कुछ वश में हो जाता है, अन्‍यथा सब शत्रु बन जाते हैं। ~ शेख सादी
  • वह आदमी वास्‍तव में बुद्धिमान है जो क्रोध में भी गलत बात मुंह से नहीं निकालता। ~ शेख सादी
  • लोभी को पूरा संसार मिल जाए तो भी वह, भूखा रहता है, लेकिन संतोषी का पेट, एक रोटी से ही भर जाता है। - शेख सादी
  • ग़रीबों के समान विनम्र अमीर और अमीरों के समान उदार ग़रीब ईश्वर के प्रिय पात्र होते हैं। - शेख़ सादी
  • घमंड करना जाहिलों का काम है। - शेख सादी
  • जो नसीहतें नहीं सुनता, उसे लानत-मलामत सुनने का सुख होता है। - शेख़ सादी
  • बुरे आदमी के साथ भी भलाई करनी चाहिए – कुत्ते को रोटी का एक टुकड़ा डालकर उसका मुंह बन्द करना ही अच्छा है। – शेख सादी
  • खुदा एक दरवाजा बन्द करने से पहले दूसरा खोल देता है, उसे प्रयत्न कर देखो। – शेख सादी


  • जो पाप में पड़ता है, वह मनुष्य है, जो उसमें पड़ने पर दुखी होता है, वह साधु है और जो उस पर अभिमान करता है, वह शैतान होता है। ~ फुलर
  • हमारी शक्ति हमारे निर्णय करने की क्षमता में निहित है। ~ फुलर
  • ज्ञान एक खजाना है, लेकिन अभ्यास इसकी चाभी है। ~ थामस फुलर
  • अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बडा कदम है। ~ डिजरायली
  • निराशा मूर्खता का परिणाम है। ~ डिज़रायली
  • धीरज प्रतिभा का आवश्यक अंग है। ~ डिजरायली
  • आप हर इंसान का चरित्र बता सकते हैं यदि आप देखें कि वह प्रशंसा से कैसे प्रभावित होता है। ~ सेनेका
  • जिस प्रकार से श्रम करने से शरीर मजबूत होता है, उसी प्रकार से कठिनाईयों से मस्तिष्क सुदृढ़ होता है। ~ सेनेका
  • अगर एक व्यक्ति को मालूम ही नहीं कि उसे किस बंदरगाह की ओर जाना है, तो हवा की हर दिशा उसे अपने विरुद्ध ही प्रतीत होगी। ~ सेनेका
  • वह व्यक्ति ग़रीब नहीं है जिस के पास थोड़ा बहुत ही है। ग़रीब तो वह है जो ज़्यादा के लिए मरा जा रहा है। ~ सैनेका, रोमन दार्शनिक
  • जिस प्रकार से श्रम करने से शरीर मजबूत होता है, उसी प्रकार से कठिनाईयों से मस्तिष्क सुदृढ़ होता है। ~ सेनेका
  • जीवन का उत्तम उपयोग है इसे ऐसा कुछ करने में बिताना जो इससे अधिक स्थायी हो। ~ विलियम जेम्स
  • अपने जीवन में परिवर्तन करने के लिए तत्काल कार्य करना आरम्भ करें. ऐसा शानदार ढ़ंग से करें. इसमें कोई अपवाद नहीं है। ~ विलियम जेम्स
  • जीवन का महानतम उपयोग इसे किन्हीं ऐसे अच्छे कार्यों पर व्यय करना है जो कि इसके जाने के बाद भी बने रहें। ~ विलियम जेम्स
  • स्वास्थ्य वह आत्म तत्व है जो जीवन के आनन्द को जीवंत बनाता है, इसके बिना जीवन धूमिल और स्वादहीन हो जाता है। ~ विलियम टैम्पल
  • स्वास्थ्य वह मूल तत्व है जो जीवन की सारी खुशियों को जीवंत बनाता है और स्वास्थ्य के बिना वे सभी नष्ट और नीरस होती हैं। ~ विलियम टैम्पल
  • मैं यह नहीं कहूँगा कि मैं 1000 बार असफल हुआ, मैं यह कहूँगा कि ऐसे 1000 रास्ते हैं जो आपको असफलता तक पहुँचाते हैं। ~ थॉमस एडिसन
  • अगर हम अपने सामर्थ्यानुसार कर्म करें, तो हम अपने आप को अचंभित कर डालेंगें। ~ थॉमस एडिसन
  • आपसे जितना हो सके करें, वहीं जहां आप हैं और उनसे जो साधन आपके पास हैं। ~ थियोडोर रूसवेल्ट
  • लोगों के साथ सामंजस्य स्थापित कर पाना ही सफ़लता का एक अति महत्वपूर्ण सूत्र है। ~ थियोडोर रूसवेल्ट
  • कभी संदेह न करें कि विचारशील नागरिकों का छोटा समूह दुनिया बदल सकता है। वास्तव में, कभी कुछ बदला है तो ऐसे ही। ~ माग्रेट मीड
  • मनुष्य की सबसे शुरुआती आवश्यकताओं में एक है किसी ऐसे की ज़रूरत जो आपके रात को घर न लौटने पर चिंतित हो कि आप कहाँ हैं। ~ माग्रेट मीड
  • मेरी चापलूसी करो, और मैं आप पर भरोसा नहीं करुंगा. मेरी आलोचना करो, और मैं आपको पसंद नहीं करुंगा। मेरी उपेक्षा करो, और मैं आपको माफ़ नहीं करुंगा. मुझे प्रोत्साहित करो, और मैं कभी आपको नहीं भूलूंगा। ~ विलियम ऑर्थर वार्ड
  • जब दूसरे व्यक्ति सोए हों, तो उस समय अध्ययन करें; उस समय कार्य करें जब दूसरे व्यक्ति अपने समय को नष्ट करते हैं; उस समय तैयारी करें जब दूसरे खेल रहे हों; और उस समय सपने देखें जब दूसरे केवल कामना ही कर रहे हों। ~ विलियम आर्थर वार्ड
  • कुशलतापूर्वक किसी की बात सुनना अकेलेपन, वाचालता और कंठशोथ का सब से बढ़िया इलाज है। ~ विलियम आर्थर वार्ड
  • कठिन परिश्रम से भविष्य सुधरता है। आलस्य से वर्तमान। ~ स्टीवन राइट
  • आप को सब कुछ नहीं मिल सकता| आप इसे रखेंगे कहां? ~ स्टीवन राइट
  • जो सब की प्रशंसा करता है, वह किसी की प्रशंसा नहीं करता। ~ सैमुअल जॉनसन
  • परस्पर आदान-प्रदान के बिना समाज में जीवन का निर्वाह संभव नहीं है। ~ सेमुअल जॉन्सन
  • कभी कभी बहुत छोटे छोटे निर्णय ही हमारे जीवन को हमेशा के लिए बदल देते हैं। ~ केरी रसैल
  • कभी कभी छोटे निर्णय भी जीवन को हमेशा के लिये बदल सकते हैं। ~ केरि रसैल
  • ग़लतियाँ मत ढूंढो, उपाय ढूंढो। ~ हेनरी फ़ोर्ड
  • अगर सफलता का कोई राज़ है, तो वह दूसरे के दृष्टिकोण को समझने और चीजों को उसके दृष्टिकोण से अपने दृष्टिकोण जितने अच्छे से देख पाने की क्षमता में निहित है। ~ हेनरी फोर्ड
  • व्यस्त रहना काफी नहीं है, व्यस्त तो चींटियाँ भी रहती हैं। सवाल यह है - हम किस लिए व्यस्त हैं? ~ हेनरी डेविड थोरु
  • प्रातःकाल का भ्रमण पूरे दिन के लिए वरदान होता है। ~ हेनरी डेविड थोरो (1817-1862), लेखक
  • अपने शत्रुओं को सदैव क्षमा कर दो. वे और किसी बात से इससे ज्यादा नहीं चिढ़ते। ~ ऑस्कर वाइल्ड
  • जीवन का लक्ष्य है आत्मविकास। अपने स्वभाव को पूर्णतः जानने के लिऐ ही हम इस दुनिया में है। ~ ऑस्कर वाइल्ड
  • लोग आपको समालोचना के लिए पूछ भले ही लें, लेकिन चाहते वे केवल प्रशंसा ही हैं। ~ डब्लू सोमरसेट मोघेम
  • जब आप अपने मित्रों का चयन करते हैं तो चरित्र के स्थान पर व्यक्तित्व को न चुनें। ~ डब्ल्यू सोमरसेट मोघम
  • हम उन लोगों को प्रभावित करने के लिये महंगे ढंग से रहते हैं जो हम पर प्रभाव जमाने के लिये महंगे ढंग से रहते है। ~ अनोन
  • अपने काम पर मै सदा समय से 15 मिनट पहले पहुँचा हूँ और मेरी इसी आदत ने मुझे कामयाब व्यक्ति बना दिया है। ~ एनॉन
  • किसी व्यक्ति को एक मछली दे दो तो उसका पेट दिन भर के लिए भर जाएगा। उसे इंटरनेट चलाना सिखा दो तो वह हफ़्तों आपको परेशान नहीं करेगा। ~ एनन
  • पठन किसी को सम्पूर्ण आदमी बनाता है, वार्तालाप उसे एक तैयार आदमी बनाता है, लेकिन लेखन उसे एक अति शुद्ध आदमी बनाता है। ~ बेकन
  • मौन निद्रा के सदृश है। यह ज्ञान में नयी स्फूर्ति पैदा करता है। ~ बेकन
  • अध्ययन हमें आनन्द तो प्रदान करता ही है, अलंकृत भी करता है और योग्य भी बनाता है, मस्तिष्क के लिये अध्ययन की उतनी ही आवश्यकता है जितनी शरीर के लिये व्यायाम की। ~ जोसेफ एडिशन
  • पढने से सस्ता कोई मनोरंजन नहीं; न ही कोई खुशी, उतनी स्थायी। ~ जोसेफ एडिशन
  • यदि आप इस बात की चिंता न करें कि आपके काम का श्रेय किसे मिलने वाला है तो आप आश्चर्यजनक कार्य कर सकते हैं। ~ हैरी एस. ट्रूमेन
  • यदि आप गर्मी सहन नहीं कर सकते तो रसोई के बाहर निकल जाईये। ~ हैरी एस ट्रुमेन
  • बच्चों को सीख देने का जो श्रेष्ठ तरीका मुझे पता चला है वह यह है कि बच्चों की चाह का पता लगाया जाए और फिर उन्हें वही करने की सलाह दी जाए। ~ हैरी ट्रूमेन
  • प्रत्येक उतकृष्ट कार्य पहले पहल असम्भव होता है। ~ थॉमस कार्लेले
  • अंतर्दृष्टि के बिना ही काम करने से अधिक भयानक दूसरी चीज नहीं है। ~ थामस कार्लाइल
  • सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने कीकोशिश करनी चाहिये। ~ थामस ह. हक्सले
  • जीवन के आरम्भ में ही कुछ असफलताएँ मिल जाने का बहुत अधिक व्यावहारिक महत्व है। ~ हक्सले
  • लोग अक्सर कहते हैं कि प्रेरक विचारों से कुछ नहीं होता। हाँ भाई, वैसे तो नहाने से भी कुछ नहीं होता, तभी तो हम इसे रोज़ करने की सलाह देते हैं। ~ ज़िग ज़िगलर
  • एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है। ~ जिग जिग्लर
  • हम क्या सोचते हैं, क्या जानते हैं, और किसमें विश्वास करते हैं – अंततः ये बातें मायने नहीं रखतीं. हम क्या करते हैं वही महत्वपूर्ण है। ~ जॉन रस्किन
  • जब किसी कार्य में रुचि और उसे करने के हुनर का संगम हो, तो उत्कृष्टता स्वाभाविक है। ~ जॉन रस्किन
  • जब हम निर्माण करें, तो ऐसा सोच कर करें कि यह हमेशा हमेशा के लिए है। ~ जॉन रस्किन
  • मैं नही जानता कि सफलता की सीढी क्या है; पर असफला की सीढी है, हर किसी को प्रसन्न करने की चाह। ~ बिल कोस्बी
  • मुझे सफलता का उपाय नहीं मालूम लेकिन यह मालूम है कि सब को खुश करने का प्रयत्न असफलता का उपाय है। ~ बिल कोस्बी
  • सफल होने के लिए ज़रूरी है कि आप में सफलता की आस असफलता के डर से कहीं अधिक हो। ~ बिल कोस्बी
  • क्या आप जानना चाहते हैं कि आप कौन हैं? तो किसी से पूछिये मत। कार्य करना शुरू कर दें। आपका कार्य आपको परिभाषित एवं चित्रित कर देगा। ~ थॉमस जेफर्सन
  • विनम्र तो सबके साथ रहें, लेकिन घनिष्ठ कुछ एक के साथ ही। ~ थॉमस जैफरसन
  • बुद्धिमत्ता की पुस्तक में ईमानदारी पहला अध्याय है। ~ थॉमस जैफर्सन
  • खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है। ~ फ़ोर्ब्स
  • कम्प्यूटर को प्रोग्राम करने के लिये संस्कृत सबसे सुविधाजनक भाषा है। ~ फोर्ब्स पत्रिका (जुलाई, 1987)
  • भूले नहीं कि जीवन का व्यवसाय व्यवसाय नहीं बल्कि जीवन है। ~ बी सी फोर्ब्स
  • यदि हम असफलता से शिक्षा प्राप्त करते हैं तो वह सफलता ही है। ~ मैल्कम फोर्ब्स
  • जिन्‍दगी वैसी नहीं है जैसी आप इसके लिये कामना करते हैं, यह तो वैसी बन जाती है, जैसा आप इसे बनाते हैं। ~ एंथनी रयान
  • जीवन वह नहीं है जिसकी आप चाहत रखते हैं, बल्कि वह तो वैसा बन जाता है जैसा आप इसे बनाते हैं। ~ एंथनी रयान
  • सही अवसर न मिलने पर क्षमता के, मायने बेहद सीमित हो जाते हैं। ~ नेपोलियन
  • जब तक आप न चाहें तब तक आपको, कोई भी ईर्ष्‍यालु, क्रोधी प्रतिशोधी या लालची नहीं बना सकता। ~ नेपोलियन हिल
  • बिना उचित अवसर के योग्‍यता किसी काम की, नहीं है भले आप में लाख गुण हों लेकिन यदि, अवसर नहीं मिला तो योग्‍यता व्‍यर्थ है। ~ नेपोलियन बोनापार्ट
  • अशिक्षित रहने से पैदा न होना अच्‍छा है, क्‍योंकि अज्ञान सब बुराईयों का मूल हैं। ~ नेपोलियन बोनापार्ट
  • बुरा व्‍यक्ति उस समय और भी बुरा हो जाता है जब वह अच्‍छा होने का ढोंग करता है। ~ फ्रांसिस बेकन
  • जो नए सुधारों पर अमल नहीं, करेगा वह नए खतरों को न्‍यौता देगा। ~ फ्रांसिस बेकन
  • बुद्धिमान व्‍यक्ति को जितने, अवसर मिलते हैं उससे अधिक वह स्‍वयं बनाता है। ~ फ्रांसिस बेकन
  • प्रतिशोध लेते समय मनुष्‍य अपने शत्रु के समान ही होता है, लेकिन उसकी उपेक्षा कर देने पर वह उससे बड़ा हो जाता है। ~ फ्रांसिस बेकन
  • हम स्‍वभाव के मुताबिक सोचते हैं, कायदे के मुताबिक बोलते हैं, रिवाज के मुताबिक आचरण करते हैं। ~ फ्रांसिस बेकन
  • हर वर्ष एक बुरी आदत को मूल से खोदकर, फेंका जाए तो कुछ ही वर्षों में बुरे से बुरा, व्‍यक्ति भला हो सकता है। ~ सुकरात
  • धन से अच्‍छे गुण नहीं मिलते, धन अच्‍छे गुणों से मिलता है। ~ सुकरात
  • निकम्मे लोग सिर्फ खाने पीने के लिए जीते हैं, लेकिन सार्थक जीवन वाले जीवित रहने के लिए ही खाते और पीते हैं। ~ सुकरात
  • ऊंची से ऊंची चोटी पर पहुंचना मकसद हो तो अपना काम निचली सतह से शुरू करना चाहिए। ~ स्‍वेट मार्डेन
  • जो मनुष्‍य अपने मन का गुलाम बना रहता है वह कभी नेता और प्रभावशाली पुरूष नहीं हो सकता। ~ स्‍वेट मार्डन
  • आशा और आत्‍मविश्‍वास से ही हमारी, शक्तियां जागृत होती हैं, इनसे हमारी, उत्‍पादन शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। ~ स्‍वेट मार्डेन




  • हम कभी नहीं जान पाएंगे कि एक छोटी सी मुस्कान कितना भला कर सकती है। - संत तरेसा
  • छोटी छोटी बातों में विश्वास रखें, क्योंकि इन में ही आपकी शक्ति निहित है। - संत तरेसा
  • यदि आप सौ व्यक्तियों की सहायता नहीं कर सकते तो केवल एक की ही सहायता कर दें। - मदर टेरेसा
  • भगवान यह अपेक्षा नहीं करते कि हम सफल हों. वे तो केवल इतना ही चाहते हैं कि हम प्रयास करें। - मदर टेरेसा
  • मीठे बोल संक्षिप्त और बोलने में आसान हो सकते हैं, लेकिन उन की गूँज सचमुच अनंत होती है। - मां टेरेसा
  • आपके पास जितना समय अभी है उससे अधिक समय कभी नहीं होगा। - अज्ञात
  • आपको लोग देखते पहले, और सुनते बाद में हैं। - अज्ञात
  • हथोड़ा कभी कभी अपना निशाना चूक भी जाता है; लेकिन फूलों का गुलदस्ता कभी नहीं। - अज्ञात
  • जीवन निर्वाह के लिए कमाने में इतने व्यस्त न हो जाएँ कि जीवन जीना भूल जाएँ। - अज्ञात
  • ईश्वर बोझ देता है, और कंधे भी। - अज्ञात
  • इस राष्ट्र को ऐसे नेताओं की आवश्यकता है जो जानते हैं कि इस देश की क्या आवश्यकताएँ हैं। - अज्ञात
  • अगर आप को सफर आसान लगने लगे तो हो सकता है आप उतार में जा रहे हों। - अज्ञात
  • करुणा, एक भाषा जिसे बधिर सुन सकते हैं और नेत्रहीन देख सकते हैं। - अज्ञात
  • जब तक अपनी हार को दब्बूपने से स्वीकार नहीं कर लेते, आप हारने के लिए नहीं बने हैं। - अज्ञात
  • मुस्कुराहट, आपकी खूबसूरती में सुधार करने का एक सस्ता तरीका है। - अज्ञात
  • आपकी मनोवृत्ति ही आपकी महानता को निर्धारित करती है। - अज्ञात
  • यदि आप अमीर होने की अनुभूति चाहते हैं तो उन वस्तुओं पर विचार करें जो जिन्हें पैसे से नहीं खरीदा जा सकता है। - अज्ञात
  • वास्तविक महानता की उत्पत्ति स्वयं पर खामोश विजय से होती है। - अज्ञात
  • जीवन में बुरी आदत पर विजय प्राप्त करने की तुलना में कोई इससे बड़ा आनन्द नहीं हो सकता है। - अज्ञात
  • अपनी खराब आदतों पर जीत हासिल करने के समान जीवन में कोई और आनन्द नहीं होता है। - अज्ञात
  • डर में जीना आधा जीवित रहने जैसा है। - अज्ञात
  • अपनी सोच को कैसे बेहतर बनाया जाए, यह सीखने से उत्कृष्ट कुछ नहीं है। - अज्ञात
  • स्वयं पर मूक विजय से ही वास्तविक महानता का उदय होता है। - अज्ञात
  • आप अपने भगवान के सामर्थ्य को अपनी चिंताओं की सूची के आकार को देखकर बता सकते हैं। जितनी लंबी सूची होगी, उतना ही आपके भगवान का सामर्थ्य कम होगा। - अज्ञात
  • स्व प्रेरित होकर कार्य करना किसी बुद्धिमान व्यक्ति का सबसे मजबूत गुण होता है। - अज्ञात
  • रुकावटें वे भयावह वस्तुएं हैं जो आप उस समय देखते हैं जब आप अपने लक्ष्य से ध्यान हटा लेते हैं। - अज्ञात
  • आपकी प्रतिभा भगवान का आपको दिया हुआ उपहार है. आप जो कुछ इसके साथ करते हैं, वह आप भगवान को उपहार स्वरूप लौटाते हैं। - अज्ञात
  • धमनियों की कठोरता की तुलना में दिलों की कठोरता से लोग जल्दी बूढ़े होते हैं। - अज्ञात
  • यदि आप मानसिक शांति के बदले में साम्राज्य भी प्राप्त करते हैं तो भी आप पराजित ही हैं। - अज्ञात
  • अपने सकारात्मक विचारों को ईमानदारी और बिना थके हुए कार्यों में लगाए और आपको सफलता के लिए प्रयास नहीं करना पड़ेगा, अपितु अपरिमित सफलता आपके कदमों में होंगी। - अज्ञात
  • डर से भागने की बजाय अपने सपनों को साकार करने के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहें। - अज्ञात
  • कुछ लोग सफलता के सपने देखते हैं....... जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं और इसके लिए कड़ी मेहनत करते हैं। - अज्ञात
  • प्रतिध्वनि से किसी मौलिकता की आशा मत करो। - अज्ञात
  • यदि आपने अपने जीवन की महानतम सफलता को प्राप्त करने की प्रक्रिया में किसी के दिल को ठेस पहुंचाई हैं तो आपको स्वयं को सर्वाधिक असफल व्यक्ति मानना चाहिए। - अज्ञात


  • कड़े गोश्त के लिए - पैने दाँत। - तुर्की की कहावत
  • हमेशा अच्छा नाम छोड़ कर जाएँ, हो सकता है आप वापस आएँ। - केन्या की लोकोक्ति
  • आपके पास जो आटा है आप उसी की रोटी बना सकते है। - डेन्मार्क की लोकोक्ति
  • कर्म की उत्पत्ति विचार में है, अतः विचार ही महत्वपूर्ण हैं। - साई बाबा
  • आयु आपकी सोच में है। जितनी आप सोचते हैं उतनी ही आपकी उम्र है। - मुहम्मद अली
  • बच्चों को देखकर इच्छा होती है कि जीवन फिर से शुरू करें। - मुहम्मद अली
  • मैं अपने ट्रेनिंग सत्र के प्रत्येक मिनट से घृणा करता था, परंतु मैं कहता था – 'भागो मत, अभी तो भुगत लो, और फिर पूरी जिंदगी चैम्पियन की तरह जिओ' – मुहम्मद अली
  • इतने मधुर न हों कि लोग आपको निगल लें, इतने कटु भी नहीं कि वे आपको उगल दें। - पश्तो की कहावत
  • हर शिशु इस संदेश के साथ आता है कि ईश्वर अभी इंसान से थका नहीं है। - टेगोर
  • सम्पत्ति उस व्यक्ति की होती है जो इसका आनन्द लेता है न कि उस व्यक्ति को जो इसे अपने पास रखता है। - अफगानी कहावत
  • जो जानता नही कि वह जानता नही,वह मुर्ख है - उसे दुर भगाओ। जो जानता है कि वह जानता नही, वह सीधा है - उसे सिखाओ। जो जानता नही कि वह जानता है, वह सोया है - उसे जगाओ। जो जानता है कि वह जानता है, वह सयाना है - उसे गुरू बनाओ। — अरबी कहावत
  • यदि आपको भगवान का भय है, तो आपको मनुष्यों से डर नहीं लगेगा। - अल्बानियाई कहावत
  • हमारे आँगन में भी सूरज की धूप अवश्य आएगी। - रूसी कहावत
  • हमारे पास जो है हम उसकी परवाह नहीं करते, लेकिन जब उसे खो देते हैं तो शोक मनाते हैं। - रूसी कहावत
  • अगर आप कांटे फैलाते हैं तो नंगे पैर न चलें। - इटली की कहावत
  • दूसरों के मामलों में न्याय हो यह सभी को भाता है। - इटली की कहावत
  • ऐसे कानून व्यर्थ हैं जिनके अमल की व्यवस्था ही न हो। - इटली की कहावत
  • अच्छे पत्ते जिसे मिले हों वह कभी नहीं कहेगा कि गलत बांटे हैं। - आयरलैंड की कहावत
  • शिक्षक द्वार खोलते हैं; लेकिन प्रवेश आपको स्वयं ही करना होता है। - चीनी कहावत
  • अगर आप चाहते हैं कि किसी को मालूम न पड़े, तो ऐसा काम ही न करें। - चीनी कहावत
  • यदि मुस्कान आपके स्वभाव में नहीं तो दुकानदारी के चक्कर में नहीं पड़े। - चीनी कहावत
  • हो हाथ फूल बांटता है उस हाथ में भी सुगंध आ जाती है। - चीनी कहावत
  • यदि आप ग़ुस्से के एक क्षण में धैर्य रखते हैं, तो आप दुःख के सौ दिन से बच जाएंगे। - चीनी कहावत
  • ऐसा छात्र जो प्रश्न पूछता है, वह पांच मिनट के लिए मूर्ख रहता है, लेकिन जो पूछता ही नहीं है वह जिंदगी भर मूर्ख ही रहता है। - चीनी कहावत
  • अच्छा क्या है, इसे सीखने के लिए एक हजार दिन भी अपर्याप्त हैं; लेकिन बुरा क्या है, यह सीखने के लिए एक घंटा भी ज्यादा है। - चीनी कहावत
  • अध्यापक मार्गदर्शक का काम करते हैं. चलता आपको स्वयं पड़ता है। - चीनी कहावत
  • उदार मन वाले विभिन्न धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल अंतर देखते हैं। - चीनी कहावत
  • हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है। — चीनी कहावत
  • उस्ताद वह नहीं जो आरंभ करता है, बल्कि वह है जो पूर्ण करता है। - स्लोवाकिया की कहावत
  • जो आपके साथ दूसरों की बातें करते हैं वे आपके बारे में भी बातें करेंगे। - आयरलैंड की कहावत
  • सभी जो चर्च जाते हैं संत नहीं होते। - इटली की कहावत
  • अन्य लोगों के अंतिम संस्कार में अवश्य शरीक हों, अन्यथा लोग आपके में शरीक नहीं होंगे। - योगी बेरा
  • ईर्ष्या और क्रोध से जीवन क्षय होता है। - बाइबल
  • जिस चीज को आप बदल नहीं सकते हैं, आपको उसे अवश्य ही सहन करना चाहिए। - स्पेनी कहावत
  • अधिकांश व्यक्ति अप्राप्त वस्तुओं को प्राप्त करने में प्रयासरत रहते हैं और इस प्रकार उन्हीं चीजों के गुलाम बन के रह जाते हैं जिन्हें वे प्राप्त करना चाहते हैं। - अनवर अल सदात
  • विचार से कर्म की उत्पत्ति होती है, कर्म से आदत की उत्पत्ति होती है, आदत से चरित्र की उत्पत्ति होती है और चरित्र से आपके प्रारब्ध की उत्पत्ति होती है। - बौद्ध कहावत
  • धर्महीन व्यक्ति बिना नकेल वाले घोड़े की तरह होता है। - लातिनी कहावत
  • एक झूठ हजार सच्चाईयों का नाश कर देता है। - घाना की कहावत
  • मित्रता आनन्द को दुगुना और दुःख को आधा कर देती है। - मिस्र की कहावत
  • ऐसा व्यक्ति जो अनुशासन के बिना जीवन जीता है वह सम्मान रहित मृत्यु मरता है। - आईसलैण्ड की कहावत
  • हम अपने कार्यों के परिणाम का निर्णय करने वाले कौन हैं? यह तो भगवान का कार्यक्षेत्र है। हम तो एकमात्र कर्म करने के लिए उत्तरदायी हैं। - गीता
  • यदि आप सात बार गिरते हैं, तो आठ बार खड़ें हों। - जापानी कहावत
  • एक मीठा बोल सर्दी के तीन महीनों को ऊष्मा दे सकता है। - जापानी कहावत
  • ज़िंदगी तो कुल एक पीढ़ी भर की होती है, पर नेक काम पीढ़ी दर पीढ़ी चलता है। - जापानी कहावत
  • परमेश्वर पर भरोसा रखिए - लेकिन अपने ऊंट को भी खूंटे से कस कर बांधे रखिए। - फ़ारसी कहावत
  • बीमारी की कड़वाहट से व्यक्ति स्वास्थ्य की मधुरता समझ पाता है। - कैतालियाई कहावत
  • विवाह एक ढका हुआ पकवान है। - स्विस कहावत
  • शरीर के मामले में जो स्थान साबुन का है, वही आत्मा के संदर्भ में आंसू का। - यहूदी कहावत
  • क्रोध की अति तो कटार से भी विनाशकारी है। - भारत की कहावत
  • उच्च खेती, मध्यम व्यापार और नीच नौकरी। - भारत की कहावत


  • प्रशंसा सब को अच्छी लगती है,शायद ही कोई होगा जिसे प्रशंसा सुनना अच्छा नहीं लगता है, प्रशंसा आवश्यक है ,अच्छे कार्य की प्रशंसा नहीं करना अनुचित है पर ये कतई आवश्यक नहीं है, कि अच्छा करने पर ही प्रशंसा की जाए, प्रोत्साहन के लिए साधारण कार्य की प्रशंसा भी कई बार बेहतर करने को प्रेरित करती है,पर देखा गया है लोग झूंठी प्रशंसा भी करते हैं ,खुश करने के लिए या कडवे सत्य से बचने के लिए या दिखावे के लिए .पर इसके परिणाम घातक हो सकते हैं .व्यक्ति सत्य से दूर जा सकता है,एवं वह अति आत्मविश्वाश और भ्रम का शिकार हो सकता है, जो घातक सिद्ध हो सकता है.वास्तविक स्पर्धा में वह पीछे रह सकता है या असफल हो सकता है इसलिए प्रशंसा कब और कितनी करी जाए,यह जानना भी आवश्यक है.साथ ही झूंठी प्रशंसा को पहचानना भी आवश्यक है .इसलिए सहज भाव से संयमित प्रशंसा करें, और सुनें ,प्रशंसा से अती आत्मविश्वाश से ग्रसित होने से बचें.प्रशंसा करने में कंजूसी भी नहीं बरतें - डा.राजेंद्र तेला,"निरंतर"
  • विपत्ती के समय में इंसान विवेक खो देता है, स्वभाव में क्रोध और चिडचिडापन आ जाता है. बेसब्री में सही निर्णय लेना व् उचित व्यवहार असंभव हो जाता है. लोग व्यवहार से खिन्न होते हैं, नहीं चाहते हुए भी समस्याएं सुलझने की बजाए उलझ जाती हैं जिस तरह मिट्टी युक्त गन्दला पानी अगर बर्तन में कुछ देर रखा जाए तो मिट्टी और गंद पैंदे में नीचे बैठ जाती है, उसी तरह विपत्ती के समय शांत रहने और सब्र रखने में ही भलाई है. धीरे धीरे समस्याएं सुलझने लगेंगी एक शांत मष्तिष्क ही सही फैसले आर उचित व्यवहार कर सकता है - डा.राजेंद्र तेला," निरंतर
  • मनुष्य निरंतर दूसरों का अनुसरण करता है, उनके जीवन से प्रभावित हो कर या उनके कार्य कलापों से प्रभावित होता है अधिकतर अन्धानुकरण ही होता है. क्यों किसी ने कुछ कहा? किन परिस्थितियों में कुछ करा या कहा कभी नहीं सोचता .परिस्थितियाँ और कारण सदा इकसार नहीं होते, महापुरुषों का अनुसरण अच्छी बात है फिर भी अपने विवेक और अनुभव का इस्तेमाल भी आवश्यक है.यह भी निश्चित है जो भी ऐसा करेगा उसे विरोध का सामना भी करना पडेगा.उसे इसके लिए तैयार रहना पडेगा. अगर ऐसा नहीं हुआ होता तो केवल मात्र एक या दो ही महापुरुष होते. नया कोई कभी पैदा नहीं होता .इसलिए मेरा मानना है जितना ज़िन्दगी को करीब से देखोगे. अपने को दूसरों की स्थिती में रखोगे तो स्थितियों को बेहतर समझ सकोगे, जीवन की जटिलताएं स्वत:सुलझने लगेंगी - राजेंद्र तेला
  • समस्या तभी पैदा होती है जब दिनचर्या का महत्त्व ज्यादा हो जाता है सोच नेपथ्य में रह जाता है, धीरे धीरे खो जाता है, केवल भ्रम रह जाता है भौतिक सुख, अपने से ज्यादा" लोग क्या कहेंगे "की चिंता प्रमुख हो जाते हैं आदमी स्वयं, स्वयं नहीं रहता कठपुतली की तरह नाचता रहता, जो करना चाहता, कभी नहीं कर पाता, जो नहीं करना चाहता, उसमें उलझा रहता, जितना दूर भागता उतना ही फंसता जाता। - राजेंद्र तेला


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