"पथिक": अवतरणों में अंतर
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09:41, 6 अक्टूबर 2011 का अवतरण
- हिन्दी के साहित्यकार रामनरेश त्रिपाठी के प्रेमाख्यानक खण्डकाव्यों में रचनाक्रम की दृष्टि से 'पथिक' उनकी दूसरी कृति है।
- यह 1920 ई. में प्रकाशित हुई थी।
- पथिक की लोकप्रियता का कुछ अनुमान इस बात से किया जा सकता है कि 1954 ई. तक हिन्दी मन्दिर, प्रयाग से इसके इकतीस (31) संस्करण निकल चुके थे।
- इस आख्यानक कृति का कथानक सूक्ष्म और मौलिक है।
- कालांतर में परिस्थितियोंवश उसकी यह प्रेम भावना प्रकृति के प्रांगण से गुजराती हुई स्वराष्ट्र-प्रेम की ओर उन्मुख हो जाती है।
- मनोरम प्रकृति-चित्रण तथा राष्ट्र-प्रेम की उदात्त भावनाओं का समावेश इस खण्ड काव्य की दो प्रमुख विशेषताएँ हैं।
- पथिक की भाषा सधी - मँजी खड़ीबोली है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 2 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 312।