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भारत के बिहार राज्य और नेपाल के तराई क्षेत्र में बोली जाने वाली भारतीय- आर्य भाषाएँ। इस श्रेणी में तीन भाषाएँ हैं,   
भारत के बिहार राज्य और [[नेपाल]] के तराई क्षेत्र में बोली जाने वाली भारतीय- [[आर्य भाषाएँ]]। इस श्रेणी में तीन भाषाएँ हैं,   
*पूर्व में मैथिली (तिरहुतिया)   
*पूर्व में [[मैथिली]] (तिरहुतिया)   
*मागधी   
*[[मागधी]]  
*पश्चिम में भोजपुरी।
*पश्चिम में [[भोजपुरी]]।


प्राचीन मिथिला भूमि (वर्तमान तिरहुत) में बोली जाने वाली मैथिली, विद्वानों के द्वारा प्रयुक्त होने के कारण विख्यात थी और अब भी इसके अप्रचलित भाषाशास्त्रीय स्वरूप विद्यमान हैं। यह अपने साहित्य के लिए विख्यात है और 1947 से यह रूचि का विषय बना हुआ है। मगही भी कहलाने वाली मागधी को मागधी प्राकृत का आधुनिक प्रतिनिधि माना जाता है। हालांकि भोजपुरी का लिखित साहित्य अधिक नहीं है, यह अपनी समृद्ध मौखिक लोकगीत परंपरा के लिए जानी जाती है।  
प्राचीन मिथिला भूमि (वर्तमान तिरहुत) में बोली जाने वाली मैथिली, विद्वानों के द्वारा प्रयुक्त होने के कारण विख्यात थी और अब भी इसके अप्रचलित भाषाशास्त्रीय स्वरूप विद्यमान हैं। यह अपने साहित्य के लिए विख्यात है और 1947 से यह रूचि का विषय बना हुआ है। मगही भी कहलाने वाली मागधी को मागधी प्राकृत का आधुनिक प्रतिनिधि माना जाता है। हालांकि भोजपुरी का लिखित साहित्य अधिक नहीं है, यह अपनी समृद्ध मौखिक लोकगीत परंपरा के लिए जानी जाती है।  


भाषाशास्त्रीय दृष्टिकोण से बिहारी भाषाएं बांग्ला से संबंधित हैं, लेकिन सांस्कृतिक रूप से हिंदी के साथ इनकी पहचान होती है। अधिकांश शिक्षित बिहारीभाषी लोग बांग्ला और हिंदी भी जानते हैं।
भाषाशास्त्रीय दृष्टिकोण से बिहारी भाषाएँ बांग्ला से संबंधित हैं, लेकिन सांस्कृतिक रूप से हिंदी के साथ इनकी पहचान होती है। अधिकांश शिक्षित बिहारीभाषी लोग [[बांग्ला भाषाएँ|बांग्ला]] और [[हिंदी भाषाएँ|हिंदी]] भी जानते हैं।

10:27, 18 मई 2010 का अवतरण

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भारत के बिहार राज्य और नेपाल के तराई क्षेत्र में बोली जाने वाली भारतीय- आर्य भाषाएँ। इस श्रेणी में तीन भाषाएँ हैं,

प्राचीन मिथिला भूमि (वर्तमान तिरहुत) में बोली जाने वाली मैथिली, विद्वानों के द्वारा प्रयुक्त होने के कारण विख्यात थी और अब भी इसके अप्रचलित भाषाशास्त्रीय स्वरूप विद्यमान हैं। यह अपने साहित्य के लिए विख्यात है और 1947 से यह रूचि का विषय बना हुआ है। मगही भी कहलाने वाली मागधी को मागधी प्राकृत का आधुनिक प्रतिनिधि माना जाता है। हालांकि भोजपुरी का लिखित साहित्य अधिक नहीं है, यह अपनी समृद्ध मौखिक लोकगीत परंपरा के लिए जानी जाती है।

भाषाशास्त्रीय दृष्टिकोण से बिहारी भाषाएँ बांग्ला से संबंधित हैं, लेकिन सांस्कृतिक रूप से हिंदी के साथ इनकी पहचान होती है। अधिकांश शिक्षित बिहारीभाषी लोग बांग्ला और हिंदी भी जानते हैं।