"वैदिक काल": अवतरणों में अंतर
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* बोगाज-कोई अभिलेख / मितल्पी अभिलेख (1400 ई.पू- इस लेख में हित्ती राजा शुब्विलुलियुम और मित्तान्नी राजा मत्तिउआजा के मध्य हुई संधि के साक्षी के रूप में वैदिक देवता इन्द्र, मित्र, वरुण और नासत्य का उल्लेख है। | * बोगाज-कोई अभिलेख / मितल्पी अभिलेख (1400 ई.पू- इस लेख में हित्ती राजा शुब्विलुलियुम और मित्तान्नी राजा मत्तिउआजा के मध्य हुई संधि के साक्षी के रूप में वैदिक देवता इन्द्र, मित्र, वरुण और नासत्य का उल्लेख है। | ||
(2) साहित्यिक साक्ष्य- [[ऋग्वेद]] में 10 मण्डल एवं 1028 मण्डल सूक्त है। पहला एवं दसवाँ मण्डल बाद में जोड़ा गया है जबकि दूसरा से 7 वाँ मण्डल पुराना है। | (2) '''साहित्यिक साक्ष्य-''' | ||
[[ऋग्वेद]] में 10 मण्डल एवं 1028 मण्डल सूक्त है। पहला एवं दसवाँ मण्डल बाद में जोड़ा गया है जबकि दूसरा से 7 वाँ मण्डल पुराना है। | |||
==आर्यो का आगमन काल== | |||
आर्यो के आगमन के विषय में विद्धानों में मतभेद है विक्टरनित्ज ने आर्यो के आगमन की तिथि के 2500 ई. निर्धारित की है जबकि बालगंगाधर तिलक ने इसकी तिथि 6000 ई.पू. निर्धारित की है। मैक्समूलर के अनुसार इनके आगमन की तिथि 1500 ई.पू. है। वर्तमान समय में मैक्सूमूलन ने मत स्वीकार्य हैं। | |||
====आर्यो का मूल स्थान==== | |||
# डॉ. अविनाश चन्द्र द्रास ने अपनी पुस्तक 'Rigvedic India' (ऋग्वैदिक इंडिया) में [[भारत]] में सप्त सैंधव प्रदेश को आर्यो का मूल निवास स्थान माना है। | |||
# महामोपाध्याय पं. गंगानाथ झा ने भारत में ब्रहर्षि देश को आर्यो का मूल निवास स्थान माना हैं। | |||
# डॉ. राजबली पाण्डेय ने भारत में मध्य देश को आर्यो का मूल निवास स्थान माना है। | |||
# एल.डी. कल्ला ने भारत में [[कश्मीर]] अथवा [[हिमालय]] प्रदेश आर्यों का मूल निवास स्थान माना है। | |||
# श्री डी.एस. त्रिवेदी ने मुल्तान प्रदेश में [[देविका नदी]] के आस पास के क्षेत्र को आर्यो का मूल निवास स्थान माना है। | |||
# [[स्वामी दयानन्द सरस्वती]] ने [[तिब्बत]] को आर्यो का मूल निवास स्थान माना है। यह वर्णन इनकी पुस्तक 'सत्यार्थ प्रकाश' एवं 'इण्डियन हिस्टोरिकल ट्रेडिशन' में मिलता है। | |||
# मैक्स मूलर ने मध्य एशिया को आर्यो का मूल निवास स्थान बताया। मैक्स मूलन ने इसका उल्लेख लेक्चर्स आन द साइंस आफ लैग्युएजेज में किया है। | |||
# जे.जी.रोड आर्यो का आदि देश [[बैक्ट्रिया]] मानते है। | |||
# [[बाल गंगाधर तिलक]] ने उत्तरी ध्रुव को आर्यो का मूल निवास माना है। यह वर्णन इनकी पुस्तक 'The Arctic HOme of the Aryans' में मिलता है। | |||
# पी. गाइल्स ने [[यूरोप]] में डेन्यूब नदी की घाटी एवं हंगरी को आर्यो का मूल निवास स्थान माना है। | |||
# पेन्का ने जर्मनी को आर्यो का मूल निवास स्थान बताया है। | |||
# एडवर्ड मेयर, ओल्डेनवर्ग, कीथ ने मध्य एशिया के पामीर क्षेत्र. को आर्यो का मूल स्थान माना है। | |||
# नेहरिंग एवं गार्डन चाइल्स ने दक्षिणी रूस को आर्यो का मूल स्थान माना है। | |||
आर्यो के मूल निवास के सन्दर्भ में सर्वाधिक प्रमाणिक मत आल्पस पर्व के पूर्वी भाग में स्थित [[यूरेशिया]] का है। | |||
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|+ आर्यो के आदि स्थल | |||
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! आदि (मूल स्थान) | |||
! मत | |||
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| सप्तसैंधव क्षेत्र | |||
| डॉ. अविनाश चंद्र, डॉ सम्पूर्णानन्द | |||
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| ब्रह्मर्षि देश | |||
| पं गंगानाथ | |||
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| मध्य देश | |||
| डॉ. राजबली पाण्डेय | |||
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| कश्मीर | |||
| एल.डी. कल्ला | |||
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| देविका प्रदेश (मुल्तान) | |||
| डी.एस. त्रिवेदी | |||
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| उत्तरी धु्रव प्रदेश | |||
| [[बाल गंगाधर तिलक]] | |||
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| हंगरी (यूरोप) (डेन्यूब नदी की घाटी) | |||
| पी गाइल्स | |||
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| दक्षिणी रूस | |||
| नेहरिंग गार्डन चाइल्ड्स | |||
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| जर्मनी | |||
| पेन्का | |||
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| यूरोप | |||
| फिलिप्पो सेस्सेटी, सर विलियम जोन्स | |||
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| पामीर एवं बैक्ट्रिया | |||
| एडवर्ड मेयर एवं ओल्डेन वर्ग जे.जी. रोड | |||
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| मध्य एशिया | |||
| मैक्समूलर | |||
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| तिब्बत | |||
| दयानन्द सरस्वती | |||
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| हिमालय (मानस) | |||
| के.के. शर्मा | |||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
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==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
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08:10, 8 अक्टूबर 2011 का अवतरण
सिंधु सभ्यता के पतन के बाद जो नवीन संस्कृति प्रकाश में आयी उसके विषय में हमें सम्पूर्ण जानकारी वेदों से मिलती है। इसलिए इस काल को हम 'वैदिक काल' अथवा वैदिक सभ्यता के नाम से जानते हैं। चूँकि इस संस्कृति के प्रवर्तक आर्य लोग थे इसलिए कभी-कभी आर्य सभ्यता का नाम भी दिया जाता है। यहाँ आर्य शब्द का अर्थ- श्रेष्ठ, उदात्त, अभिजात्य, कुलीन, उत्कृष्ट, स्वतंत्र आदि हैं। यह काल 1500 ई.पू. से 600 ई.पू. तक अस्तित्व में रहा।
ऋग्वैदिक काल 15000-1000 ई.पू.
स्रोत- ऋग्वैदिक काल के अध्ययन के लिए दो प्रकार के साक्ष्य उपलब्ध हैं-
- पुरातात्विक साक्ष्य
- साहित्यिक साक्ष्य
(1) पुरातात्विक साक्ष्य- इसके अंतर्गत निम्नलिखित साक्ष्य उपलब्ध प्राप्त हुए हैं-
- चित्रित धूसर मृदभाण्ड
- खुदाई में हरियाणा के पास भगवान पुरा में मिले 13 कमरों वाला मकान तथा पंजाब में भी प्राप्त तीन ऐसे स्थल जिनका सम्बन्ध ऋग्वैदिक काल से जोड़ा जाता है।
- बोगाज-कोई अभिलेख / मितल्पी अभिलेख (1400 ई.पू- इस लेख में हित्ती राजा शुब्विलुलियुम और मित्तान्नी राजा मत्तिउआजा के मध्य हुई संधि के साक्षी के रूप में वैदिक देवता इन्द्र, मित्र, वरुण और नासत्य का उल्लेख है।
(2) साहित्यिक साक्ष्य- ऋग्वेद में 10 मण्डल एवं 1028 मण्डल सूक्त है। पहला एवं दसवाँ मण्डल बाद में जोड़ा गया है जबकि दूसरा से 7 वाँ मण्डल पुराना है।
आर्यो का आगमन काल
आर्यो के आगमन के विषय में विद्धानों में मतभेद है विक्टरनित्ज ने आर्यो के आगमन की तिथि के 2500 ई. निर्धारित की है जबकि बालगंगाधर तिलक ने इसकी तिथि 6000 ई.पू. निर्धारित की है। मैक्समूलर के अनुसार इनके आगमन की तिथि 1500 ई.पू. है। वर्तमान समय में मैक्सूमूलन ने मत स्वीकार्य हैं।
आर्यो का मूल स्थान
- डॉ. अविनाश चन्द्र द्रास ने अपनी पुस्तक 'Rigvedic India' (ऋग्वैदिक इंडिया) में भारत में सप्त सैंधव प्रदेश को आर्यो का मूल निवास स्थान माना है।
- महामोपाध्याय पं. गंगानाथ झा ने भारत में ब्रहर्षि देश को आर्यो का मूल निवास स्थान माना हैं।
- डॉ. राजबली पाण्डेय ने भारत में मध्य देश को आर्यो का मूल निवास स्थान माना है।
- एल.डी. कल्ला ने भारत में कश्मीर अथवा हिमालय प्रदेश आर्यों का मूल निवास स्थान माना है।
- श्री डी.एस. त्रिवेदी ने मुल्तान प्रदेश में देविका नदी के आस पास के क्षेत्र को आर्यो का मूल निवास स्थान माना है।
- स्वामी दयानन्द सरस्वती ने तिब्बत को आर्यो का मूल निवास स्थान माना है। यह वर्णन इनकी पुस्तक 'सत्यार्थ प्रकाश' एवं 'इण्डियन हिस्टोरिकल ट्रेडिशन' में मिलता है।
- मैक्स मूलर ने मध्य एशिया को आर्यो का मूल निवास स्थान बताया। मैक्स मूलन ने इसका उल्लेख लेक्चर्स आन द साइंस आफ लैग्युएजेज में किया है।
- जे.जी.रोड आर्यो का आदि देश बैक्ट्रिया मानते है।
- बाल गंगाधर तिलक ने उत्तरी ध्रुव को आर्यो का मूल निवास माना है। यह वर्णन इनकी पुस्तक 'The Arctic HOme of the Aryans' में मिलता है।
- पी. गाइल्स ने यूरोप में डेन्यूब नदी की घाटी एवं हंगरी को आर्यो का मूल निवास स्थान माना है।
- पेन्का ने जर्मनी को आर्यो का मूल निवास स्थान बताया है।
- एडवर्ड मेयर, ओल्डेनवर्ग, कीथ ने मध्य एशिया के पामीर क्षेत्र. को आर्यो का मूल स्थान माना है।
- नेहरिंग एवं गार्डन चाइल्स ने दक्षिणी रूस को आर्यो का मूल स्थान माना है।
आर्यो के मूल निवास के सन्दर्भ में सर्वाधिक प्रमाणिक मत आल्पस पर्व के पूर्वी भाग में स्थित यूरेशिया का है।
आदि (मूल स्थान) | मत |
---|---|
सप्तसैंधव क्षेत्र | डॉ. अविनाश चंद्र, डॉ सम्पूर्णानन्द |
ब्रह्मर्षि देश | पं गंगानाथ |
मध्य देश | डॉ. राजबली पाण्डेय |
कश्मीर | एल.डी. कल्ला |
देविका प्रदेश (मुल्तान) | डी.एस. त्रिवेदी |
उत्तरी धु्रव प्रदेश | बाल गंगाधर तिलक |
हंगरी (यूरोप) (डेन्यूब नदी की घाटी) | पी गाइल्स |
दक्षिणी रूस | नेहरिंग गार्डन चाइल्ड्स |
जर्मनी | पेन्का |
यूरोप | फिलिप्पो सेस्सेटी, सर विलियम जोन्स |
पामीर एवं बैक्ट्रिया | एडवर्ड मेयर एवं ओल्डेन वर्ग जे.जी. रोड |
मध्य एशिया | मैक्समूलर |
तिब्बत | दयानन्द सरस्वती |
हिमालय (मानस) | के.के. शर्मा |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख