"बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-5 ब्राह्मण-15": अवतरणों में अंतर
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13:43, 13 अक्टूबर 2011 का अवतरण
- बृहदारण्यकोपनिषद के अध्याय पांचवाँ का यह पन्द्रहवाँ ब्राह्मण है।
मुख्य लेख : बृहदारण्यकोपनिषद
- इस ब्राह्मण में बताया गया है कि सत्य-रूपी 'ब्रह्म' का मुख ज्योतिर्मय स्वर्णपात्र से आच्छादित है। हे विश्वदेव! हे विश्व के पोषक सूर्यदेव! सत्य-धर्म के दर्शन के लिए मैं उसे देख सकूं, इसलिए आप उस पर पड़े आवरण को हटा दीजिये।
- यहाँ इसी भाव की उपासना की गयी है।
- हे अग्निदेव! आप हमें कर्मफल की प्राप्ति हेतु सुन्दर पथ पर ले चलें।
- हे देव! हमारे कुटिल पापों को नष्ट करें।
- हम बार-बार आपका नमन करते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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