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'''अंकलेश्वर''' [[गुजरात]] में स्थित है। भड़ौच से पाँच मील है। प्राचीन समय में [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] अंकलेश्वर से बहती थी, अब तीन मील दूर हट गई है। कहा जाता है कि मांडव्य ऋषि और शांडिली जिनकी कथा [[महाभारत]] में है, इसी स्थान के निवासी थे। यह कथा [[महाभारत आदि पर्व]]<ref>महाभारत आदि पर्व 106-107</ref> में वर्णित है जहाँ मांडव्याश्रम का उल्लेख इस प्रकार किया है-
'''अंकलेश्वर''' [[गुजरात]] में स्थित है। भड़ौच से पाँच मील है।  
*प्राचीन समय में नर्मदा अंकलेश्वर से बहती थी, अब तीन मील दूर हट गई है।  
*कहा जाता है कि मांडव्य ऋषि और शांडिली जिनकी कथा [[महाभारत]] में है, इसी स्थान के निवासी थे।  
*यह कथा महा. आदि. <ref>महा. आदि. 106-107</ref> में वर्णित है जहाँ मांडव्याश्रम का उल्लेख इस प्रकार किया है-
<poem>'बभूव ब्रह्मण: कश्चिन्मांडव्य इति विश्रुत:, धृतिमान सर्वधर्मज्ञ: सत्ये तपसि च स्थित:।  
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स आश्रमपद्दवारिवृक्षमूले महातपा:।
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10:18, 15 अक्टूबर 2011 का अवतरण

अंकलेश्वर गुजरात में स्थित है। भड़ौच से पाँच मील है। प्राचीन समय में नर्मदा अंकलेश्वर से बहती थी, अब तीन मील दूर हट गई है। कहा जाता है कि मांडव्य ऋषि और शांडिली जिनकी कथा महाभारत में है, इसी स्थान के निवासी थे। यह कथा महाभारत आदि पर्व[1] में वर्णित है जहाँ मांडव्याश्रम का उल्लेख इस प्रकार किया है-

'बभूव ब्रह्मण: कश्चिन्मांडव्य इति विश्रुत:, धृतिमान सर्वधर्मज्ञ: सत्ये तपसि च स्थित:।
स आश्रमपद्दवारिवृक्षमूले महातपा:।
'ऊर्ध्व बाहुर्महायोगी तस्यौ मौनवृतांवैत:।'
अंकलेश्वर में मांडव्येश्वर नामक प्राचीन शिवमंदिर है।


}

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत आदि पर्व 106-107

बाहरी कड़ियाँ

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