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<div style="padding:3px">[[चित्र:Shradh-Kolaj.jpg|right|botom|100px|श्राद्ध|link=श्राद्ध|border]]</div>
<div style="padding:3px">[[चित्र:Jain-Temple-Sravasti.jpg|right|botom|100px|प्राचीन जैन मंदिर के अवशेष|link=श्रावस्ती|border]]</div>
*'''[[श्राद्ध]]''' पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धा का प्रतीक हैं। [[हिन्दू धर्म]] के अनुसार, प्रत्येक शुभ कार्य के प्रारम्भ में माता-पिता, पूर्वजों को [[नमस्कार]] या प्रणाम करना हमारा कर्तव्य है, हमारे पूर्वजों की वंश परम्परा के कारण ही हम आज यह जीवन जी रहे हैं।
*'''[[श्रावस्ती]]''' न केवल [[बौद्ध]] और [[जैन धर्म|जैन धर्मों]] का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र था अपितु यह ब्राह्मण धर्म एवं [[वेद]] विद्या का भी एक महत्त्वपूर्ण केंद्र था।
*[[ब्रह्म पुराण]] ने श्राद्ध की परिभाषा यों दी है, 'जो कुछ उचित काल, पात्र एवं स्थान के अनुसार उचित (शास्त्रानुमोदित) विधि द्वारा पितरों को लक्ष्य करके श्रद्धापूर्वक [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] को दिया जाता है', वह श्राद्ध कहलाता है। [[श्राद्ध|... और पढ़ें]]
*[[बुद्ध]] के जीवन काल में श्रावस्ती [[कौशल महाजनपद|कोशल देश]] की राजधानी थी। एक बौद्ध [[ग्रन्थ]] के अनुसार वहाँ 57 हज़ार कुल रहते थे और कोसल-नरेशों की आमदनी सबसे ज़्यादा इसी नगर से हुआ करती थी।
* [[बुद्ध|गौतम बुद्ध]] के समय में [[भारत|भारतवर्ष]] के 6 बड़े नगरों में श्रावस्ती की गणना हुआ करती थी। [[श्रावस्ती|... और पढ़ें]]
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विशेष आलेख
प्राचीन जैन मंदिर के अवशेष
प्राचीन जैन मंदिर के अवशेष

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