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-अद्वैत | -अद्वैत | ||
+[[शुद्धाद्वैतवाद|शुद्धाद्वैत]] | +[[शुद्धाद्वैतवाद|शुद्धाद्वैत]] | ||
-द्वैताद्वैत | -[[द्वैताद्वैतवाद|द्वैताद्वैत]] | ||
-विशिष्टाद्वैत | -[[विशिष्टाद्वैत दर्शन|विशिष्टाद्वैत]] | ||
||वल्लभाचार्य ने अपने शुद्धाद्वैत दर्शन के आधार पर इस मत का प्रतिपादन किया, कि जो [[भक्त]] साधन निरपेक्ष हो, भगवान के अनुग्रह से स्वत: उत्पन्न हो और जिसमें भगवान दयालु होकर स्वत: जीव पर दया करें, वह पुष्टिभक्ति कहलाती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शुद्धाद्वैतवाद]] | ||वल्लभाचार्य ने अपने शुद्धाद्वैत दर्शन के आधार पर इस मत का प्रतिपादन किया, कि जो [[भक्त]] साधन निरपेक्ष हो, भगवान के अनुग्रह से स्वत: उत्पन्न हो और जिसमें भगवान दयालु होकर स्वत: जीव पर दया करें, वह पुष्टिभक्ति कहलाती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शुद्धाद्वैतवाद]] | ||
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+[[सूरसागर]] | +[[सूरसागर]] | ||
-[[पद्मावत]] | -[[पद्मावत]] | ||
||[[चित्र:Surdas.jpg|सूरदास|100px|right]]'सूरसागर'[[सूरदास]] जी का प्रधान एवं महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसमें प्रथम नौ अध्याय संक्षिप्त है, पर दशम स्कन्ध का बहुत विस्तार हो गया है। इसमें [[भक्ति]] की प्रधानता है। इसके दो प्रसंग '[[कृष्ण]] की बाल-लीला' और 'भ्रमर-गीतसार' अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरसागर]] | ||[[चित्र:Surdas.jpg|सूरदास|100px|right]]'सूरसागर' [[सूरदास]] जी का प्रधान एवं महत्त्वपूर्ण [[ग्रन्थ]] है। इसमें प्रथम नौ अध्याय संक्षिप्त है, पर दशम स्कन्ध का बहुत विस्तार हो गया है। इसमें [[भक्ति]] की प्रधानता है। इसके दो प्रसंग '[[कृष्ण]] की बाल-लीला' और 'भ्रमर-गीतसार' अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरसागर]] | ||
{'गागर में सागर' मुहावरे का अर्थ क्या है? | {'गागर में सागर' मुहावरे का अर्थ क्या है? | ||
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-आदर्शवादी | -आदर्शवादी | ||
{'शोभित कर नवनीत लिए | {<poem>'शोभित कर नवनीत लिए | ||
घुटरुनि चलत रेनु तन मण्डित मुख दधि लेप किए'</poem>। इन पंक्तियों में कौन-सा [[रस]] है? | |||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-श्रृंगार रस | -श्रृंगार रस | ||
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+[[बिहारी]] | +[[बिहारी]] | ||
-[[देव]] | -[[देव]] | ||
||[[चित्र:Bihari-Lal.jpg|बिहारी| | ||[[चित्र:Bihari-Lal.jpg|बिहारी|80px|right]][[हिन्दी साहित्य]] के रीतिकाल के कवियों में [[बिहारीलाल]] का नाम महत्त्वपूर्ण है। महाकवि बिहारीलाल का जन्म 1595 के लगभग [[ग्वालियर]] में हुआ। वे जाति के माथुर चौबे थे। उनके [[पिता]] का नाम केशवराय था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बिहारी]] | ||
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08:11, 29 अक्टूबर 2011 का अवतरण
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