"ऐश्वर्या राय": अवतरणों में अंतर

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;प्रारंभिक जीवन
ऐश्वर्या राय हिन्दी फिल्म जगत की उन चुनिंदा अभिनेत्रियों में एक हैं जिन्होंने फिल्मों में अभिनेत्रियों को महज शोपीस के तौर पर इस्तेमाल किये जाने की परंपरागत सोच को न सिर्फ बदला बल्कि बालीवुड को अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी विशेष पहचान दिलायी। ऐश्वर्या राय का जन्म 1 नवंबर 1973 को कर्नाटक के मैंगलोर में हुआ था। ऐश्वर्या राय की प्रारंभिक शिक्षा हैदराबाद, आंध्र प्रदेश मे हुई। कुछ वर्ष के बाद उनका परिवार मुंबई आ गया। बचपन में वह वास्तुकार बनना चाहती थी लेकिन बाद में उनका रूझान मॉडलिंग इंडस्ट्री की ओर हो गया। वर्ष 1994 में ऐश्वर्या राय ने मिस इंडिया प्रतियोगिता में हिस्सा लिया जहां उन्हें मिस इंडिया वर्ल्ड के खिताब से नवाजा गया। मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में भारतीय सुंदरता का परचम पूरी दुनिया में लहराते हुये रीता फारिया के बाद मिस वर्ल्ड का खिताब जीतने वाली दूसरी भारतीय सुंदरी बनी।
ऐश्वर्या के पिता का नाम कृष्णराज राय जो पेशे से मरीन इंजीनियर है और माता का नाम वृंदा राय है जो एक लेखक हैं। उनका एक बडा़ भाई है जिसका नाम आदित्य राय है। 13-14 की उम्र तक उन्हें समझ में ही नहीं आता था कि लोग उन्हें क्यों घूर रहे हैं क्योंकि उन्हें अपनी सुंदरता का गुमान नहीं था। स्कूल में वार्षिकोत्सव के दौरान टीचर उन्हें परी की भूमिका ही निभाने को कहती थी। पढ़ाई में वे हमेशा अव्वल रही और उनकी ख्वाहिश डॉक्टर बनने की थी, लेकिन स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर में दाखिला उन्हें पहले मिल गया। बचपन से अपनी माँ के साथ समुद्र तट पर घूमना और मंदिर जाना ऐश की दिनचर्या में शामिल रहा है।
ऐश्वर्या की खूबसूरती के कारण उनमें अपार संभावनाएँ उनके अँग्रेजी के प्रोफेसर ने देख ली, जो शौकिया फोटोग्राफर भी थे। उन्होंने ऐश के फोटो खींचकर मिस इंडिया प्रतियोगिता के आयोजकों को भेजी। ऐश की खूबसूरती को देख सभी दंग रह गए। रैम्प पर कैटवॉक करती ऐश का फैशन जगत दीवाना हो गया और वे तेजी से सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ गईं। मिस वर्ल्ड बनने के बाद फिल्म वालों का ध्यान उनकी ओर गया और ऐश को आसानी से फिल्में मिल गईं। एक अभिनेत्री के रूप में सुंदरता ही उनकी बाधा बन गई क्योंकि दर्शक उन्हें सिर्फ निहारना चाहते थे। लिहाजा ‍उन्हें ग्लैमर डॉल के रूप में ही पेश किया जाता रहा। हालाँकि ऐश्वर्या ने कोशिश की कुछ ऐसी फिल्मों को करने की जो उनके अभिनय के लिए याद की जाए। ताल, देवदास, हम दिल दे चुके सनम, रेनकोट, जोधा अकबर, धूम 2, चोखेर बाली उनकी कुछ यादगार फिल्मों में से हैं।
;सिने कैरियर तमिल फिल्म से शुरू
इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में उन्हें मिस फोटोजेनिक के खिताब से भी नवाजा गया। प्रतियोगिता को जीतने के बाद ऐश्वर्या राय ने सामाजिक सरोकार से जुड़े कई क्षेत्रों में काम किया और इस दौरान उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय संगठनों के साथ काम करने का मौका मिला। वर्ष 1997 में ऐश्वर्या राय ने अपने सिने कैरियर की शुरूआत तमिल फिल्म "इरूअर" से की। जिसे मणिरत्नम ने निर्देशित किया। इस विवादस्पद फिल्म में उन्हें दक्षिण भारत के जाने माने अभिनेता मोहन लाल के साथ काम करने का मौका मिला। विवाद के कारण इसे व्यावसायिक सफलता तो नही मिली लेकिन ऐश्वर्या राय ने अपने दमदार अभिनय से समीक्षकों का दिल जीत लिया। फिल्म इरूअर को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। वर्ष 1997 में ही ऐश्वर्या राय ने बालीवुड में भी कदम रखा और बॉबी देओल के साथ "और प्यार हो गया" में काम किया। दुर्भाज्ञ से यह फिल्म टिकट खिड़की पर विफल साबित हुयी।
;"हम दिल दे..." ने कैरियर को उठाया
इसके बाद 1998 में ऐश्वर्या राय ने एस.शंकर की तमिल फिल्म "जीन्स" में काम किया। इस फिल्म की व्यावसायिक सफलता के बाद ऐश्वर्या राय फिल्म इंडस्ट्री में कुछ हद तक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गयी। वर्ष 1999 में संजय लीला भंसाली की फिल्म "हम दिल दे चुके सनम" ऐश्वर्या राय के सिने कैरियर की महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुयी। सलमान खान और अजय देवगन जैसे मंझे हुये सितारे की मौजूदगी में भी ऐश्वर्या ने फिल्म में नंदिनी के किरदार को रूपहले पर्दे पर जीवंत कर दिया। इस फिल्म में दमदार अभिनय के लिये फिल्म फेयर पुरस्कार से भी सम्मानित की गयी।
;2000 साबित हुआ अहम वर्ष
वर्ष 1999 में ही ऐश्वर्या राय को प्रसिद्ध निर्माता निर्देशक सुभाष घई की फिल्म "ताल" में काम करने का अवसर मिला। इस फिल्म में ऐश्वर्या ने एक ऐसी ग्रामीण लड़की मानसी का किरदार निभाया जो पॉप सिंगर बनने का सपना देखा करती है। फिल्म ने भारत में व्यावसायिक सफलता दर्ज की साथ ही उसने ओवरसीज खासकर अमेरिका में टॉप 20 फिल्मों में अपना नाम दर्ज कराया। इस फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिये वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिये भी नामांकित की गयी। वर्ष 2000 ऐश्वर्या राय के सिने कैरियर के लिये अहम वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष उनकी फिल्म "जोश" प्रदर्शित हुयी जिसमें उन्होंने शाहरूख खान की बहन की भूमिका निभायी। इसके साथ ही ऐश्वर्या राय की "हमारा दिल आपके पास है" और "मोहब्बते" जैसी कामयाब फिल्में भी प्रदर्शित हुयी जिन्होंने टिकट खिड़की पर शानदार सफलता हासिल की।
;देवदास की पारो सबको खूब भायी
वर्ष 2002 में ऐश्वर्या राय को शरशरत चंद्र चट्टोपाध्याय के मशहूर उपन्यास "देवदास" पर बनी फिल्म में काम करने का अवसर मिला। संजय लीला भंसाली की इसी नाम से बनी फिल्म में पारो के अपने किरदार से उन्होंने दर्शको का दिल जीत लिया। इस फिल्म के लिये दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित की गयी। इस फिल्म को कांस फिल्म समारोह में विशेष स्क्रीनिंग के दौरान दिखाया गया। इसके अलवा उन्होंने कुछ बांग्ला फिल्में की हैं। वर्ष 2003 में ऐश्वर्या राय को रवीन्द्र नाथ टैगोर के मशहूर उपन्यास चोखेरबाली में काम करने का अवसर मिला। रितुपर्णा घोष निर्देशित इस फिल्म में अपने सशक्त अभिनय से दर्शको का दिल जीत लिया। उसी वर्ष ऐश्वर्या राय ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया और फिल्म "दिल का रिश्ता" का निर्माण किया लेकिन यह फिल्म व्यावसायिक रूप से सफल नही रही।
;मैडम तुसाद म्यूजियम में छाई खूबसूरती
वर्ष 2004 में ऐश्वर्या राय को गुरिन्दर चड्ढा की अंग्रेजी फिल्म "प्राइड एंड प्रीजुडिस" और राज कुमार संतोषी की फिल्म "खाकी" में सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का अवसर मिला। फिल्म में ऐश्वर्या राय ने अपने सिने कैरियर में पहली बार नेगेटिव किरदार निभाया जो सिने दर्शको को काफी पसंद आया। वर्ष 2004 ऐश्वर्या राय के सिने कैरियर का उपलब्धियों वाला वर्ष साबित हुआ। उस वर्ष उनके ऐश्वर्य को देखते हुये लंदन के सुप्रसिद्ध मैडम तुसाद म्यूजियम में उनका मोम का पुतला लगाया गया। यह दूसरा मौका था जब किसी बॉलीवुड कलाकार की मोम की प्रतिमा मैडम तुसाद म्यूजियम में लगायी गयी। इससे पहले सुपरस्टार अमिताभ बच्चन का मोम का पुतला इसी म्यूजियम में लगाया गया था। उसी साल अमेरिका की सुप्रसिद्ध पत्रिका टाइम मैगजीन ने विश्व की 100 प्रभावशाली हस्तियों में ऐश्वर्या राय का नाम शामिल किया।
;उमराव जान के ऐतिहासिक किरदार में
वर्ष 2005 में ऐश्वर्या राय को यश चोपड़ा के बैनर तले बनी फिल्म "बंटी और बबली" में अतिथि कलाकार के रूप में काम करने का अवसर मिला। अभिषेक बच्चन और रानी मुखर्जी की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म में ऐश्वर्या राय के महज एक आईटम गीत "कजरारे कजरारे तेरे कारे कारे नैना" में नजर आई इसके बावजूद उनका जादू दर्शको के सर चढ़कर बोलता रहा। वर्ष 2006 में ऐश्वर्या राय ने जे.पी.दत्ता की महत्वाकांक्षी फिल्म "उमराव जान" में उमराव जान के ऐतिहासिक किरदार को रूपहले पर्दे पर साकार किया। उर्दू लेखक मिर्जा हादी रूसवा के बहुचर्चित उपन्यास "उमराव जान अदा" की कहानी पर आधारित यह फिल्म टिकट खिड़की पर विफल साबित हुयी लेकिन ऐश्वर्या राय अपने किरदार से समीक्षको के साथ साथ दर्शको का भी दिल जीतने में सफल रही।
;2009 में पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित
वर्ष 2006 में ही ऐश्वर्या राय ने यश चोपड़ा के बैनर तले बनी फिल्म धूम के सीक्वेल "धूम 2" में काम किया। इस फिल्म में उन्होने ने एक बार फिर से नकारात्मक किरदार निभाया और दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया। वर्ष 2007 में ऐश्वर्या राय को प्रसिद्ध निर्माता निर्देशक मणिरत्नम की फिल्म "गुरू" में काम करने का अवसर मिला और यहां भी ऐश्वर्या राय ने अपने सशक्त अभिनय से फिल्म को सुपरहिट बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 2008 में ऐश्वर्या राय ने आशुतोष गोवारिकर की फिल्म "जोधा अकबर" में जोधा का ऐतिहासिक किरदार को निभाया। वर्ष 2009 में फिल्म क्षेत्र में ऐश्वर्या राय के उल्लेखनीय योगदान को देखते हुये उन्हें पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बॉलीवुड अभिनेता अभिषेक बच्चन के साथ शादी के बाद अपने पारिवारिक दायित्व को देखते हुये उन्होंने फिल्मों में काम करना काफी कम कर दिया है।
आज ऐश्वर्या राय भारत की सबसे धनी महिलाओं में शामिल हैं। दुनिया भर में उनके चाहने वालों ने ऐश्वर्या को समर्पित लगभग 17,000 इंटरनेट साइट बना रखे हैं और उनकी गिनती दुनिया के सबसे खूबसूरत महिलाओं में की जाती है। टाईम पत्रिका ने वर्ष 2004 में उन्हें दुनिया की सबसे प्रभावशाली महिलाओं में भी शुमार किया है। साल 2007 में उन्होंने सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के इकलौते बेटे अभिषेक बच्चन से शादी की। और इस साल वो नवंबर के दूसरे सप्ताह में बच्चन परिवार को उसका वारिस देने जा रही हैं।


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;प्रारंभिक जीवन
ऐश्वर्या राय हिन्दी फिल्म जगत की उन चुनिंदा अभिनेत्रियों में एक हैं जिन्होंने फिल्मों में अभिनेत्रियों को महज शोपीस के तौर पर इस्तेमाल किये जाने की परंपरागत सोच को न सिर्फ बदला बल्कि बालीवुड को अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी विशेष पहचान दिलायी। ऐश्वर्या राय का जन्म 1 नवंबर 1973 को कर्नाटक के मैंगलोर में हुआ था। ऐश्वर्या राय की प्रारंभिक शिक्षा हैदराबाद, आंध्र प्रदेश मे हुई। कुछ वर्ष के बाद उनका परिवार मुंबई आ गया। बचपन में वह वास्तुकार बनना चाहती थी लेकिन बाद में उनका रूझान मॉडलिंग इंडस्ट्री की ओर हो गया। वर्ष 1994 में ऐश्वर्या राय ने मिस इंडिया प्रतियोगिता में हिस्सा लिया जहां उन्हें मिस इंडिया वर्ल्ड के खिताब से नवाजा गया। मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में भारतीय सुंदरता का परचम पूरी दुनिया में लहराते हुये रीता फारिया के बाद मिस वर्ल्ड का खिताब जीतने वाली दूसरी भारतीय सुंदरी बनी।
ऐश्वर्या के पिता का नाम कृष्णराज राय जो पेशे से मरीन इंजीनियर है और माता का नाम वृंदा राय है जो एक लेखक हैं। उनका एक बडा़ भाई है जिसका नाम आदित्य राय है। 13-14 की उम्र तक उन्हें समझ में ही नहीं आता था कि लोग उन्हें क्यों घूर रहे हैं क्योंकि उन्हें अपनी सुंदरता का गुमान नहीं था। स्कूल में वार्षिकोत्सव के दौरान टीचर उन्हें परी की भूमिका ही निभाने को कहती थी। पढ़ाई में वे हमेशा अव्वल रही और उनकी ख्वाहिश डॉक्टर बनने की थी, लेकिन स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर में दाखिला उन्हें पहले मिल गया। बचपन से अपनी माँ के साथ समुद्र तट पर घूमना और मंदिर जाना ऐश की दिनचर्या में शामिल रहा है।
ऐश्वर्या की खूबसूरती के कारण उनमें अपार संभावनाएँ उनके अँग्रेजी के प्रोफेसर ने देख ली, जो शौकिया फोटोग्राफर भी थे। उन्होंने ऐश के फोटो खींचकर मिस इंडिया प्रतियोगिता के आयोजकों को भेजी। ऐश की खूबसूरती को देख सभी दंग रह गए। रैम्प पर कैटवॉक करती ऐश का फैशन जगत दीवाना हो गया और वे तेजी से सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ गईं। मिस वर्ल्ड बनने के बाद फिल्म वालों का ध्यान उनकी ओर गया और ऐश को आसानी से फिल्में मिल गईं। एक अभिनेत्री के रूप में सुंदरता ही उनकी बाधा बन गई क्योंकि दर्शक उन्हें सिर्फ निहारना चाहते थे। लिहाजा ‍उन्हें ग्लैमर डॉल के रूप में ही पेश किया जाता रहा। हालाँकि ऐश्वर्या ने कोशिश की कुछ ऐसी फिल्मों को करने की जो उनके अभिनय के लिए याद की जाए। ताल, देवदास, हम दिल दे चुके सनम, रेनकोट, जोधा अकबर, धूम 2, चोखेर बाली उनकी कुछ यादगार फिल्मों में से हैं।
;सिने कैरियर तमिल फिल्म से शुरू
इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में उन्हें मिस फोटोजेनिक के खिताब से भी नवाजा गया। प्रतियोगिता को जीतने के बाद ऐश्वर्या राय ने सामाजिक सरोकार से जुड़े कई क्षेत्रों में काम किया और इस दौरान उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय संगठनों के साथ काम करने का मौका मिला। वर्ष 1997 में ऐश्वर्या राय ने अपने सिने कैरियर की शुरूआत तमिल फिल्म "इरूअर" से की। जिसे मणिरत्नम ने निर्देशित किया। इस विवादस्पद फिल्म में उन्हें दक्षिण भारत के जाने माने अभिनेता मोहन लाल के साथ काम करने का मौका मिला। विवाद के कारण इसे व्यावसायिक सफलता तो नही मिली लेकिन ऐश्वर्या राय ने अपने दमदार अभिनय से समीक्षकों का दिल जीत लिया। फिल्म इरूअर को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। वर्ष 1997 में ही ऐश्वर्या राय ने बालीवुड में भी कदम रखा और बॉबी देओल के साथ "और प्यार हो गया" में काम किया। दुर्भाज्ञ से यह फिल्म टिकट खिड़की पर विफल साबित हुयी।
;"हम दिल दे..." ने कैरियर को उठाया
इसके बाद 1998 में ऐश्वर्या राय ने एस.शंकर की तमिल फिल्म "जीन्स" में काम किया। इस फिल्म की व्यावसायिक सफलता के बाद ऐश्वर्या राय फिल्म इंडस्ट्री में कुछ हद तक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गयी। वर्ष 1999 में संजय लीला भंसाली की फिल्म "हम दिल दे चुके सनम" ऐश्वर्या राय के सिने कैरियर की महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुयी। सलमान खान और अजय देवगन जैसे मंझे हुये सितारे की मौजूदगी में भी ऐश्वर्या ने फिल्म में नंदिनी के किरदार को रूपहले पर्दे पर जीवंत कर दिया। इस फिल्म में दमदार अभिनय के लिये फिल्म फेयर पुरस्कार से भी सम्मानित की गयी।
;2000 साबित हुआ अहम वर्ष
वर्ष 1999 में ही ऐश्वर्या राय को प्रसिद्ध निर्माता निर्देशक सुभाष घई की फिल्म "ताल" में काम करने का अवसर मिला। इस फिल्म में ऐश्वर्या ने एक ऐसी ग्रामीण लड़की मानसी का किरदार निभाया जो पॉप सिंगर बनने का सपना देखा करती है। फिल्म ने भारत में व्यावसायिक सफलता दर्ज की साथ ही उसने ओवरसीज खासकर अमेरिका में टॉप 20 फिल्मों में अपना नाम दर्ज कराया। इस फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिये वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिये भी नामांकित की गयी। वर्ष 2000 ऐश्वर्या राय के सिने कैरियर के लिये अहम वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष उनकी फिल्म "जोश" प्रदर्शित हुयी जिसमें उन्होंने शाहरूख खान की बहन की भूमिका निभायी। इसके साथ ही ऐश्वर्या राय की "हमारा दिल आपके पास है" और "मोहब्बते" जैसी कामयाब फिल्में भी प्रदर्शित हुयी जिन्होंने टिकट खिड़की पर शानदार सफलता हासिल की।
;देवदास की पारो सबको खूब भायी
वर्ष 2002 में ऐश्वर्या राय को शरशरत चंद्र चट्टोपाध्याय के मशहूर उपन्यास "देवदास" पर बनी फिल्म में काम करने का अवसर मिला। संजय लीला भंसाली की इसी नाम से बनी फिल्म में पारो के अपने किरदार से उन्होंने दर्शको का दिल जीत लिया। इस फिल्म के लिये दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित की गयी। इस फिल्म को कांस फिल्म समारोह में विशेष स्क्रीनिंग के दौरान दिखाया गया। इसके अलवा उन्होंने कुछ बांग्ला फिल्में की हैं। वर्ष 2003 में ऐश्वर्या राय को रवीन्द्र नाथ टैगोर के मशहूर उपन्यास चोखेरबाली में काम करने का अवसर मिला। रितुपर्णा घोष निर्देशित इस फिल्म में अपने सशक्त अभिनय से दर्शको का दिल जीत लिया। उसी वर्ष ऐश्वर्या राय ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया और फिल्म "दिल का रिश्ता" का निर्माण किया लेकिन यह फिल्म व्यावसायिक रूप से सफल नही रही।
;मैडम तुसाद म्यूजियम में छाई खूबसूरती
वर्ष 2004 में ऐश्वर्या राय को गुरिन्दर चड्ढा की अंग्रेजी फिल्म "प्राइड एंड प्रीजुडिस" और राज कुमार संतोषी की फिल्म "खाकी" में सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का अवसर मिला। फिल्म में ऐश्वर्या राय ने अपने सिने कैरियर में पहली बार नेगेटिव किरदार निभाया जो सिने दर्शको को काफी पसंद आया। वर्ष 2004 ऐश्वर्या राय के सिने कैरियर का उपलब्धियों वाला वर्ष साबित हुआ। उस वर्ष उनके ऐश्वर्य को देखते हुये लंदन के सुप्रसिद्ध मैडम तुसाद म्यूजियम में उनका मोम का पुतला लगाया गया। यह दूसरा मौका था जब किसी बॉलीवुड कलाकार की मोम की प्रतिमा मैडम तुसाद म्यूजियम में लगायी गयी। इससे पहले सुपरस्टार अमिताभ बच्चन का मोम का पुतला इसी म्यूजियम में लगाया गया था। उसी साल अमेरिका की सुप्रसिद्ध पत्रिका टाइम मैगजीन ने विश्व की 100 प्रभावशाली हस्तियों में ऐश्वर्या राय का नाम शामिल किया।
;उमराव जान के ऐतिहासिक किरदार में
वर्ष 2005 में ऐश्वर्या राय को यश चोपड़ा के बैनर तले बनी फिल्म "बंटी और बबली" में अतिथि कलाकार के रूप में काम करने का अवसर मिला। अभिषेक बच्चन और रानी मुखर्जी की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म में ऐश्वर्या राय के महज एक आईटम गीत "कजरारे कजरारे तेरे कारे कारे नैना" में नजर आई इसके बावजूद उनका जादू दर्शको के सर चढ़कर बोलता रहा। वर्ष 2006 में ऐश्वर्या राय ने जे.पी.दत्ता की महत्वाकांक्षी फिल्म "उमराव जान" में उमराव जान के ऐतिहासिक किरदार को रूपहले पर्दे पर साकार किया। उर्दू लेखक मिर्जा हादी रूसवा के बहुचर्चित उपन्यास "उमराव जान अदा" की कहानी पर आधारित यह फिल्म टिकट खिड़की पर विफल साबित हुयी लेकिन ऐश्वर्या राय अपने किरदार से समीक्षको के साथ साथ दर्शको का भी दिल जीतने में सफल रही।
;2009 में पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित
वर्ष 2006 में ही ऐश्वर्या राय ने यश चोपड़ा के बैनर तले बनी फिल्म धूम के सीक्वेल "धूम 2" में काम किया। इस फिल्म में उन्होने ने एक बार फिर से नकारात्मक किरदार निभाया और दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया। वर्ष 2007 में ऐश्वर्या राय को प्रसिद्ध निर्माता निर्देशक मणिरत्नम की फिल्म "गुरू" में काम करने का अवसर मिला और यहां भी ऐश्वर्या राय ने अपने सशक्त अभिनय से फिल्म को सुपरहिट बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 2008 में ऐश्वर्या राय ने आशुतोष गोवारिकर की फिल्म "जोधा अकबर" में जोधा का ऐतिहासिक किरदार को निभाया। वर्ष 2009 में फिल्म क्षेत्र में ऐश्वर्या राय के उल्लेखनीय योगदान को देखते हुये उन्हें पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बॉलीवुड अभिनेता अभिषेक बच्चन के साथ शादी के बाद अपने पारिवारिक दायित्व को देखते हुये उन्होंने फिल्मों में काम करना काफी कम कर दिया है।
आज ऐश्वर्या राय भारत की सबसे धनी महिलाओं में शामिल हैं। दुनिया भर में उनके चाहने वालों ने ऐश्वर्या को समर्पित लगभग 17,000 इंटरनेट साइट बना रखे हैं और उनकी गिनती दुनिया के सबसे खूबसूरत महिलाओं में की जाती है। टाईम पत्रिका ने वर्ष 2004 में उन्हें दुनिया की सबसे प्रभावशाली महिलाओं में भी शुमार किया है। साल 2007 में उन्होंने सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के इकलौते बेटे अभिषेक बच्चन से शादी की। और इस साल वो नवंबर के दूसरे सप्ताह में बच्चन परिवार को उसका वारिस देने जा रही हैं।





19:39, 2 नवम्बर 2011 का अवतरण

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ऐश्वर्या राय
ऐश्वर्या राय
ऐश्वर्या राय
पूरा नाम ऐश्वर्या राय बच्चन
प्रसिद्ध नाम ऐश्वर्या राय
अन्य नाम ऐश
जन्म 1 नवंबर 1973
जन्म भूमि मैंगलोर
कर्म-क्षेत्र अभिनेत्री
प्रारंभिक जीवन

ऐश्वर्या राय हिन्दी फिल्म जगत की उन चुनिंदा अभिनेत्रियों में एक हैं जिन्होंने फिल्मों में अभिनेत्रियों को महज शोपीस के तौर पर इस्तेमाल किये जाने की परंपरागत सोच को न सिर्फ बदला बल्कि बालीवुड को अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी विशेष पहचान दिलायी। ऐश्वर्या राय का जन्म 1 नवंबर 1973 को कर्नाटक के मैंगलोर में हुआ था। ऐश्वर्या राय की प्रारंभिक शिक्षा हैदराबाद, आंध्र प्रदेश मे हुई। कुछ वर्ष के बाद उनका परिवार मुंबई आ गया। बचपन में वह वास्तुकार बनना चाहती थी लेकिन बाद में उनका रूझान मॉडलिंग इंडस्ट्री की ओर हो गया। वर्ष 1994 में ऐश्वर्या राय ने मिस इंडिया प्रतियोगिता में हिस्सा लिया जहां उन्हें मिस इंडिया वर्ल्ड के खिताब से नवाजा गया। मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में भारतीय सुंदरता का परचम पूरी दुनिया में लहराते हुये रीता फारिया के बाद मिस वर्ल्ड का खिताब जीतने वाली दूसरी भारतीय सुंदरी बनी।

ऐश्वर्या के पिता का नाम कृष्णराज राय जो पेशे से मरीन इंजीनियर है और माता का नाम वृंदा राय है जो एक लेखक हैं। उनका एक बडा़ भाई है जिसका नाम आदित्य राय है। 13-14 की उम्र तक उन्हें समझ में ही नहीं आता था कि लोग उन्हें क्यों घूर रहे हैं क्योंकि उन्हें अपनी सुंदरता का गुमान नहीं था। स्कूल में वार्षिकोत्सव के दौरान टीचर उन्हें परी की भूमिका ही निभाने को कहती थी। पढ़ाई में वे हमेशा अव्वल रही और उनकी ख्वाहिश डॉक्टर बनने की थी, लेकिन स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर में दाखिला उन्हें पहले मिल गया। बचपन से अपनी माँ के साथ समुद्र तट पर घूमना और मंदिर जाना ऐश की दिनचर्या में शामिल रहा है।

ऐश्वर्या की खूबसूरती के कारण उनमें अपार संभावनाएँ उनके अँग्रेजी के प्रोफेसर ने देख ली, जो शौकिया फोटोग्राफर भी थे। उन्होंने ऐश के फोटो खींचकर मिस इंडिया प्रतियोगिता के आयोजकों को भेजी। ऐश की खूबसूरती को देख सभी दंग रह गए। रैम्प पर कैटवॉक करती ऐश का फैशन जगत दीवाना हो गया और वे तेजी से सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ गईं। मिस वर्ल्ड बनने के बाद फिल्म वालों का ध्यान उनकी ओर गया और ऐश को आसानी से फिल्में मिल गईं। एक अभिनेत्री के रूप में सुंदरता ही उनकी बाधा बन गई क्योंकि दर्शक उन्हें सिर्फ निहारना चाहते थे। लिहाजा ‍उन्हें ग्लैमर डॉल के रूप में ही पेश किया जाता रहा। हालाँकि ऐश्वर्या ने कोशिश की कुछ ऐसी फिल्मों को करने की जो उनके अभिनय के लिए याद की जाए। ताल, देवदास, हम दिल दे चुके सनम, रेनकोट, जोधा अकबर, धूम 2, चोखेर बाली उनकी कुछ यादगार फिल्मों में से हैं।

सिने कैरियर तमिल फिल्म से शुरू

इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में उन्हें मिस फोटोजेनिक के खिताब से भी नवाजा गया। प्रतियोगिता को जीतने के बाद ऐश्वर्या राय ने सामाजिक सरोकार से जुड़े कई क्षेत्रों में काम किया और इस दौरान उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय संगठनों के साथ काम करने का मौका मिला। वर्ष 1997 में ऐश्वर्या राय ने अपने सिने कैरियर की शुरूआत तमिल फिल्म "इरूअर" से की। जिसे मणिरत्नम ने निर्देशित किया। इस विवादस्पद फिल्म में उन्हें दक्षिण भारत के जाने माने अभिनेता मोहन लाल के साथ काम करने का मौका मिला। विवाद के कारण इसे व्यावसायिक सफलता तो नही मिली लेकिन ऐश्वर्या राय ने अपने दमदार अभिनय से समीक्षकों का दिल जीत लिया। फिल्म इरूअर को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। वर्ष 1997 में ही ऐश्वर्या राय ने बालीवुड में भी कदम रखा और बॉबी देओल के साथ "और प्यार हो गया" में काम किया। दुर्भाज्ञ से यह फिल्म टिकट खिड़की पर विफल साबित हुयी।

"हम दिल दे..." ने कैरियर को उठाया

इसके बाद 1998 में ऐश्वर्या राय ने एस.शंकर की तमिल फिल्म "जीन्स" में काम किया। इस फिल्म की व्यावसायिक सफलता के बाद ऐश्वर्या राय फिल्म इंडस्ट्री में कुछ हद तक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गयी। वर्ष 1999 में संजय लीला भंसाली की फिल्म "हम दिल दे चुके सनम" ऐश्वर्या राय के सिने कैरियर की महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुयी। सलमान खान और अजय देवगन जैसे मंझे हुये सितारे की मौजूदगी में भी ऐश्वर्या ने फिल्म में नंदिनी के किरदार को रूपहले पर्दे पर जीवंत कर दिया। इस फिल्म में दमदार अभिनय के लिये फिल्म फेयर पुरस्कार से भी सम्मानित की गयी।

2000 साबित हुआ अहम वर्ष

वर्ष 1999 में ही ऐश्वर्या राय को प्रसिद्ध निर्माता निर्देशक सुभाष घई की फिल्म "ताल" में काम करने का अवसर मिला। इस फिल्म में ऐश्वर्या ने एक ऐसी ग्रामीण लड़की मानसी का किरदार निभाया जो पॉप सिंगर बनने का सपना देखा करती है। फिल्म ने भारत में व्यावसायिक सफलता दर्ज की साथ ही उसने ओवरसीज खासकर अमेरिका में टॉप 20 फिल्मों में अपना नाम दर्ज कराया। इस फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिये वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिये भी नामांकित की गयी। वर्ष 2000 ऐश्वर्या राय के सिने कैरियर के लिये अहम वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष उनकी फिल्म "जोश" प्रदर्शित हुयी जिसमें उन्होंने शाहरूख खान की बहन की भूमिका निभायी। इसके साथ ही ऐश्वर्या राय की "हमारा दिल आपके पास है" और "मोहब्बते" जैसी कामयाब फिल्में भी प्रदर्शित हुयी जिन्होंने टिकट खिड़की पर शानदार सफलता हासिल की।

देवदास की पारो सबको खूब भायी

वर्ष 2002 में ऐश्वर्या राय को शरशरत चंद्र चट्टोपाध्याय के मशहूर उपन्यास "देवदास" पर बनी फिल्म में काम करने का अवसर मिला। संजय लीला भंसाली की इसी नाम से बनी फिल्म में पारो के अपने किरदार से उन्होंने दर्शको का दिल जीत लिया। इस फिल्म के लिये दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित की गयी। इस फिल्म को कांस फिल्म समारोह में विशेष स्क्रीनिंग के दौरान दिखाया गया। इसके अलवा उन्होंने कुछ बांग्ला फिल्में की हैं। वर्ष 2003 में ऐश्वर्या राय को रवीन्द्र नाथ टैगोर के मशहूर उपन्यास चोखेरबाली में काम करने का अवसर मिला। रितुपर्णा घोष निर्देशित इस फिल्म में अपने सशक्त अभिनय से दर्शको का दिल जीत लिया। उसी वर्ष ऐश्वर्या राय ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया और फिल्म "दिल का रिश्ता" का निर्माण किया लेकिन यह फिल्म व्यावसायिक रूप से सफल नही रही।

मैडम तुसाद म्यूजियम में छाई खूबसूरती

वर्ष 2004 में ऐश्वर्या राय को गुरिन्दर चड्ढा की अंग्रेजी फिल्म "प्राइड एंड प्रीजुडिस" और राज कुमार संतोषी की फिल्म "खाकी" में सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का अवसर मिला। फिल्म में ऐश्वर्या राय ने अपने सिने कैरियर में पहली बार नेगेटिव किरदार निभाया जो सिने दर्शको को काफी पसंद आया। वर्ष 2004 ऐश्वर्या राय के सिने कैरियर का उपलब्धियों वाला वर्ष साबित हुआ। उस वर्ष उनके ऐश्वर्य को देखते हुये लंदन के सुप्रसिद्ध मैडम तुसाद म्यूजियम में उनका मोम का पुतला लगाया गया। यह दूसरा मौका था जब किसी बॉलीवुड कलाकार की मोम की प्रतिमा मैडम तुसाद म्यूजियम में लगायी गयी। इससे पहले सुपरस्टार अमिताभ बच्चन का मोम का पुतला इसी म्यूजियम में लगाया गया था। उसी साल अमेरिका की सुप्रसिद्ध पत्रिका टाइम मैगजीन ने विश्व की 100 प्रभावशाली हस्तियों में ऐश्वर्या राय का नाम शामिल किया।

उमराव जान के ऐतिहासिक किरदार में

वर्ष 2005 में ऐश्वर्या राय को यश चोपड़ा के बैनर तले बनी फिल्म "बंटी और बबली" में अतिथि कलाकार के रूप में काम करने का अवसर मिला। अभिषेक बच्चन और रानी मुखर्जी की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म में ऐश्वर्या राय के महज एक आईटम गीत "कजरारे कजरारे तेरे कारे कारे नैना" में नजर आई इसके बावजूद उनका जादू दर्शको के सर चढ़कर बोलता रहा। वर्ष 2006 में ऐश्वर्या राय ने जे.पी.दत्ता की महत्वाकांक्षी फिल्म "उमराव जान" में उमराव जान के ऐतिहासिक किरदार को रूपहले पर्दे पर साकार किया। उर्दू लेखक मिर्जा हादी रूसवा के बहुचर्चित उपन्यास "उमराव जान अदा" की कहानी पर आधारित यह फिल्म टिकट खिड़की पर विफल साबित हुयी लेकिन ऐश्वर्या राय अपने किरदार से समीक्षको के साथ साथ दर्शको का भी दिल जीतने में सफल रही।

2009 में पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित

वर्ष 2006 में ही ऐश्वर्या राय ने यश चोपड़ा के बैनर तले बनी फिल्म धूम के सीक्वेल "धूम 2" में काम किया। इस फिल्म में उन्होने ने एक बार फिर से नकारात्मक किरदार निभाया और दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया। वर्ष 2007 में ऐश्वर्या राय को प्रसिद्ध निर्माता निर्देशक मणिरत्नम की फिल्म "गुरू" में काम करने का अवसर मिला और यहां भी ऐश्वर्या राय ने अपने सशक्त अभिनय से फिल्म को सुपरहिट बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 2008 में ऐश्वर्या राय ने आशुतोष गोवारिकर की फिल्म "जोधा अकबर" में जोधा का ऐतिहासिक किरदार को निभाया। वर्ष 2009 में फिल्म क्षेत्र में ऐश्वर्या राय के उल्लेखनीय योगदान को देखते हुये उन्हें पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बॉलीवुड अभिनेता अभिषेक बच्चन के साथ शादी के बाद अपने पारिवारिक दायित्व को देखते हुये उन्होंने फिल्मों में काम करना काफी कम कर दिया है।

आज ऐश्वर्या राय भारत की सबसे धनी महिलाओं में शामिल हैं। दुनिया भर में उनके चाहने वालों ने ऐश्वर्या को समर्पित लगभग 17,000 इंटरनेट साइट बना रखे हैं और उनकी गिनती दुनिया के सबसे खूबसूरत महिलाओं में की जाती है। टाईम पत्रिका ने वर्ष 2004 में उन्हें दुनिया की सबसे प्रभावशाली महिलाओं में भी शुमार किया है। साल 2007 में उन्होंने सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के इकलौते बेटे अभिषेक बच्चन से शादी की। और इस साल वो नवंबर के दूसरे सप्ताह में बच्चन परिवार को उसका वारिस देने जा रही हैं।


देव आनंद का फ़िल्मी सफ़र
वर्ष फ़िल्म
2008 सरकार राज
जोधा अकबर
2007 प्रोवोक्ड
गुरु
2006 धूम-2
उमराव जान
द मिस्ट्रेस ऑफ स्पाइसेस
2005 बंटी और बबली
शब्द
2004 रेनकोट
बल्ले बल्ले! फ्रॉम अमृतसर टू एल.ए.
क्यों! हो गया ना
खाकी
2003 कुछ ना कहो
दिल का रिश्ता
चोखेर बाली
2002 शक्ति - द पावर
देवदास
23 मार्च 1931 शहीद
हम किसी से कम नहीं
हम तु्म्हारे हैं सनम
2001 अलबेला
2000 मोहब्बतें
ढाई अक्षर प्रेम के
हमारा दिल आपके पास है
जोश
मेला
1999 ताल
हम दिल दे चुके सनम
आ अब लौट चलें
1997 और प्यार हो गया


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टीका टिप्पणी और संदर्भ


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