"आधा गाँव -राही मासूम रज़ा": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
|चित्र=Aadha-Ganv.jpg
|चित्र=Aadha-Ganv.jpg
|चित्र का नाम=आधा गाँव उपन्यास का आवरण पृष्ठ  
|चित्र का नाम=आधा गाँव उपन्यास का आवरण पृष्ठ  
| लेखक= राही मासूम रज़ा
| लेखक= [[राही मासूम रज़ा]]
| कवि=  
| कवि=  
| मूल_शीर्षक =आधा गाँव  
| मूल_शीर्षक =आधा गाँव  
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
| प्रकाशक = राजकमल प्रकाशन
| प्रकाशक = राजकमल प्रकाशन
| प्रकाशन_तिथि = 1966
| प्रकाशन_तिथि = 1966
| भाषा =हिंदी  
| भाषा =[[हिंदी]]
| देश = भारत
| देश = [[भारत]]
| विषय =सामाजिक  
| विषय =सामाजिक  
| शैली =
| शैली =
पंक्ति 39: पंक्ति 39:
==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://pustak.org/bs/home.php?bookid=2706 आधा गाँव]
*[http://pustak.org/bs/home.php?bookid=2706 आधा गाँव]
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
 
{{राही मासूम रज़ा}}
[[Category:नया पन्ना नवम्बर-2011]][[Category:साहित्य_कोश]][[Category:राही मासूम रज़ा]]
[[Category:गद्य साहित्य]][[Category:उपन्यास]][[Category:साहित्य_कोश]][[Category:राही मासूम रज़ा]]


__INDEX__
__INDEX__

08:37, 15 नवम्बर 2011 का अवतरण

आधा गाँव -राही मासूम रज़ा
आधा गाँव उपन्यास का आवरण पृष्ठ
आधा गाँव उपन्यास का आवरण पृष्ठ
लेखक राही मासूम रज़ा
मूल शीर्षक आधा गाँव
प्रकाशक राजकमल प्रकाशन
प्रकाशन तिथि 1966
ISBN 9788126706723
देश भारत
पृष्ठ: 344
भाषा हिंदी
विषय सामाजिक
प्रकार उपन्यास

राही मासूम रज़ा का बहुचर्चित उपन्यास 'आधा गाँव' 1966 में प्रकाशित हुआ। इस उपन्यास के बाद राही का नाम उच्चकोटि के उपन्यासकारों में गिना जाने लगा। आधा गाँव उपन्यास उत्तर प्रदेश के नगर गाजीपुर से लगभग ग्यारह मील दूर बसे गाँव गंगौली के शिक्षा समाज की कहानी कहता है। राही ने स्वयं अपने इस उपन्यास का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए कहा है -

“वह उपन्यास वास्तव में मेरा एक सफर था। मैं गाजीपुर की तलाश में निकला हूं लेकिन पहले मैं अपनी गंगौली में ठहरूंगा। अगर गंगौली की हकीकत पकड़ में आ गयी तो मैं गाजीपुर का एपिक लिखने का साहस करूंगा”।

परिप्रेक्ष्य

हिंदी का यह शायद पहला उपन्यास है जिसमें शिया मुसलमानों तथा संबद्ध लोगों का ग्रामीण जीवन अपने समग्र यथार्थ में पूरी तीव्रता के साथ सामने आता है। आधा गाँव यानी गंगौली, ज़िला ग़ाज़ीपुर, उत्तरप्रदेश। इस उपन्यास का काल परिप्रेक्ष्य सन 1947 का है।

विषयवस्तु

स्वाधीनता के समय होने वाला देश विभाजन इसका विषय है। गंगौली गाँव मुस्लिम बहुल गाँव है और यह उपन्यास इस गाँव के मुसलमानों का बेपर्द जीवन यथार्थ के विषय में है। इस उपन्यास की शैली पूरी तरह सच, बेबाक और धारदार है। पाकिस्तान बनते समय मुसलमानों की विविध मन:स्थितियों, हिंदुओं के साथ उनके सहज आत्मीय सम्बंधों तथा द्वंदमूलक अनुभवों का अविस्मरणीय शब्दांकन इस उपन्यास की उपलब्धि है। साम्प्रदायिकता के ख़िलाफ़ एक ऐसा सृजनात्मक प्रहार, जो दुनिया में कहीं भी राष्ट्रीयता ही के हक़ में जाता है। लेखकीय चिंता सार्वजनीन है कि अगर गंगौली वाले कम तथा सुन्नी और शिया और हिंदू ज़्यादा दिखायी देने लगें तो गंगौली का क्या होगा? दूसरे शब्दों में गंगौली को यदि भारत मान लिया जाए तो भारत का क्या होगा? भारतीय कौन होंगे?

भाषा शिल्प

अपनी वस्तुगत चिंताओं, गतिशील रचनाशिल्प, आंचलिक भाषा सौंदर्य और सांस्कृतिक परिवेश के चित्रण की दृष्टि से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण उपन्यास है। आधा गाँव नि:संदेह 'हिंदी कथा साहित्य' की बहुचर्चित और निर्विवाद उपलब्धि है।

पात्र

इस कृति की सबसे बड़ी ख़ासियत है संयमहीनता। इसके सभी पात्र बिना लगाम के हैं और उनकी अभिव्यक्ति सहज, सटीक और दो टूक है, गालियों की हद तक।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख