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-[[वैशेषिक दर्शन]] से | -[[वैशेषिक दर्शन]] से | ||
||'न्याय दर्शन' के कर्ता [[महर्षि गौतम]] परम तपस्वी एवं संयमी थे। '[[न्यायसूत्र]]' के रचयिता का गोत्र नाम 'गौतम' और व्यक्तिगत नाम 'अक्षपाद' है। 'न्यायसूत्र' पाँच अध्यायों में विभक्त है, जिनमें प्रमाणादि षोडश पदार्थों के उद्देश्य, लक्षण तथा परीक्षण किये गये हैं। [[वात्स्यायन]] ने न्यायसूत्रों पर विस्तृत भाष्य लिखा है। इस भाष्य का रचनाकाल विक्रम पूर्व प्रथम शतक माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[न्याय दर्शन]] | ||'न्याय दर्शन' के कर्ता [[महर्षि गौतम]] परम तपस्वी एवं संयमी थे। '[[न्यायसूत्र]]' के रचयिता का गोत्र नाम 'गौतम' और व्यक्तिगत नाम 'अक्षपाद' है। 'न्यायसूत्र' पाँच अध्यायों में विभक्त है, जिनमें प्रमाणादि षोडश पदार्थों के उद्देश्य, लक्षण तथा परीक्षण किये गये हैं। [[वात्स्यायन]] ने न्यायसूत्रों पर विस्तृत भाष्य लिखा है। इस भाष्य का रचनाकाल विक्रम पूर्व प्रथम शतक माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[न्याय दर्शन]] | ||
{[[अमृतसर]] स्थित [[स्वर्ण मन्दिर]] का निर्माण किसने करवाया था? | {[[अमृतसर]] स्थित [[स्वर्ण मन्दिर]] का निर्माण किसने करवाया था? | ||
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-जॉन मार्शल | -जॉन मार्शल | ||
{ | {[[बिहार]] का प्रमुख त्योहार कौन-सा है? | ||
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-[[ | -[[वैशाखी]] | ||
+[[ | -[[ओणम]] | ||
-[[ | -[[पोंगल]] | ||
+[[छठ पूजा]] | |||
||[[चित्र:Chhath-Puja-1.jpg|छठ पूजा|100px|right]][[उत्तराखंड]] का 'उत्तरायण पर्व' हो या [[केरल]] का [[ओणम]], [[कर्नाटक]] की 'रथसप्तमी' हो या [[बिहार]] का [[छठ पूजा]], सभी इसका प्रमाण हैं कि, [[भारत]] मूलत: सूर्य संस्कृति के उपासकों का देश है तथा बारह [[मास]] के तीज-त्योहार [[सूर्य देव|सूर्य]] के [[संवत|संवत्सर]] चक्र के अनुसार मनाए जाते हैं। छठ से जुड़ी पौराणिक मान्यताओं और लोकगाथाओं पर गौर करें, तो पता चलता है कि भारत के आदिकालीन [[सूर्यवंश|सूर्यवंशी]] राजाओं का यह मुख्य पर्व था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[छठ पूजा]] | |||
{[[कबीर|सन्त कबीर]] के सम्मान में 'मगहर महोत्सव' किस वर्ष प्रारम्भ किया गया था? | |||
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-1987 में | |||
+1990 में | |||
-1985 में | |||
-1975 में | |||
{[[भारत]] का प्राचीनतम दर्शन है? | {[[भारत]] का प्राचीनतम दर्शन है? | ||
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{[[वैशेषिक दर्शन]] के प्रणेता कहे जाते हैं? | {[[वैशेषिक दर्शन]] के प्रणेता कहे जाते हैं? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[महर्षि गौतम]] | ||
-[[ | -[[शंकराचार्य]] | ||
+[[कणाद]] | +[[कणाद]] | ||
-[[कपिल]] | -[[कपिल]] | ||
||महर्षि कणाद [[वैशेषिक सूत्र]] के निर्माता, परम्परा से प्रचलित वैशेषिक सिद्धान्तों के क्रमबद्ध संग्रहकर्ता एवं वैशेषिक दर्शन के समुद्भावक माने जाते हैं। वह उलूक, काश्यप, पैलुक आदि नामों से भी प्रख्यात | ||महर्षि कणाद [[वैशेषिक सूत्र]] के निर्माता, परम्परा से प्रचलित वैशेषिक सिद्धान्तों के क्रमबद्ध संग्रहकर्ता एवं वैशेषिक दर्शन के समुद्भावक माने जाते हैं। वह 'उलूक', 'काश्यप', 'पैलुक' आदि नामों से भी प्रख्यात हैं। महर्षि कणाद के ये सभी नाम साभिप्राय और सकारण हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कणाद]] | ||
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09:11, 18 नवम्बर 2011 का अवतरण
कला और संस्कृति
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