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||[[चित्र:Guru-Amar-Das.jpg|right|120px|गुरु अमरदास]] | ||[[चित्र:Guru-Amar-Das.jpg|right|120px|गुरु अमरदास]][[गुरु अमरदास]] ने अपनी बातें सिर्फ़ उपदेशात्मक रुप में कही हों, ऐसा कदापि नहीं है, उन्होनें उन उपदेशों को अपने जीवन में अमल में लाकर स्वयं एक आदर्श बनकर सामाजिक सद्भाव की मिसाल कायम की। छूत-अछूत जैसी बुराइयों को दूर करने के लिये 'लंगर परम्परा' चलाई, जहाँ कथित अछूत लोग, जिनके सामीप्य से लोग बचने की कोशिश करते थे, उन्हीं उच्च जाति वालों के साथ एक पंक्ति में बैठकर भोजन करते थे। [[गुरु नानक]] द्वारा शुरु की गई यह लंगर परम्परा आज भी कायम है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुरु अमरदास]] | ||
{[[पुराण|पुराणों]] की कुल संख्या कितनी है? | {[[पुराण|पुराणों]] की कुल संख्या कितनी है? | ||
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-[[कपिल]] | -[[कपिल]] | ||
||महर्षि कणाद [[वैशेषिक सूत्र]] के निर्माता, परम्परा से प्रचलित वैशेषिक सिद्धान्तों के क्रमबद्ध संग्रहकर्ता एवं वैशेषिक दर्शन के समुद्भावक माने जाते हैं। वह 'उलूक', 'काश्यप', 'पैलुक' आदि नामों से भी प्रख्यात हैं। महर्षि कणाद के ये सभी नाम साभिप्राय और सकारण हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कणाद]] | ||महर्षि कणाद [[वैशेषिक सूत्र]] के निर्माता, परम्परा से प्रचलित वैशेषिक सिद्धान्तों के क्रमबद्ध संग्रहकर्ता एवं वैशेषिक दर्शन के समुद्भावक माने जाते हैं। वह 'उलूक', 'काश्यप', 'पैलुक' आदि नामों से भी प्रख्यात हैं। महर्षि [[कणाद]] के ये सभी नाम साभिप्राय और सकारण हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कणाद]] | ||
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09:16, 18 नवम्बर 2011 का अवतरण
कला और संस्कृति
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