"गुरु अर्जन देव": अवतरणों में अंतर

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*गुरु अर्जुन देव के स्वयं के लगभग दो हज़ार शब्द गुरु ग्रंथ साहब में हैं।  
*गुरु अर्जुन देव के स्वयं के लगभग दो हज़ार शब्द गुरु ग्रंथ साहब में हैं।  
*अर्जुन देव की रचना 'सुषमनपाठ' का सिक्ख नित्य पारायण करते हैं।  
*अर्जुन देव की रचना 'सुषमनपाठ' का सिक्ख नित्य पारायण करते हैं।  
*अर्जुन देव ने अपने पिता द्वारा आरंभ [[अमृतसर]] नगर के निर्माण कार्य को आगे बढ़ाया। वहाँ अमृत सरोवर का निर्माण करा कर उसमें हरमंदिर साहब का निर्माण कराया। इसकी नींव सूफ़ी संत मियाँ मीर के हाथों से रखवाई गई थी।  
*अर्जुन देव ने अपने पिता द्वारा [[अमृतसर]] नगर के निर्माण कार्य को आगे बढ़ाया। वहाँ अमृत सरोवर का निर्माण करा कर उसमें हरमंदिर साहब का निर्माण कराया। इसकी नींव सूफ़ी संत मियाँ मीर के हाथों से रखवाई गई थी।  
*तरनतारन नगर भी इन्हीं के समय में बसा।
*तरनतारन नगर भी गुरु अर्जुन देव के समय में बसा हुआ एक नगर है।
*मुगल सम्राट [[अकबर]] गुरु अर्जुन देव का सम्मान करता था।  
*मुगल सम्राट [[अकबर]] गुरु अर्जुन देव का सम्मान करता था।  
*अर्जुन देव ने सार्वजनिक सुविधा के लिए जो काम किए उनसे अकबर बहुत प्रभावित था।  
*अर्जुन देव ने सार्वजनिक सुविधा के लिए जो काम किए उनसे अकबर बहुत प्रभावित था।  

10:49, 18 नवम्बर 2011 का अवतरण

गुरु अर्जुन देव

गुरु अर्जुन देव (जन्म- 15 अप्रैल 1563,मृत्यु- 30 मई 1606) सिक्खों के पाँचवें गुरु थे। ये 1581 ई. में गद्दी पर बैठे। गुरु अर्जुन देव का कई दृष्टियों से सिक्ख गुरुओं में विशिष्ट स्थान है। 'गुरु ग्रंथ साहब' आज जिस रूप में उपलब्ध है, उसका संपादन इन्होंने ही किया था।

  • गुरु अर्जुन देव सिक्खों के चौथे गुरु रामदास के पुत्र है।
  • गुरु नानक से लेकर गुरु रामदास तक के चार गुरुओं की वाणी के साथ-साथ उस समय के अन्य संत महात्माओं की वाणी को भी स्थान दिया गया।
  • गुरु अर्जुन देव के स्वयं के लगभग दो हज़ार शब्द गुरु ग्रंथ साहब में हैं।
  • अर्जुन देव की रचना 'सुषमनपाठ' का सिक्ख नित्य पारायण करते हैं।
  • अर्जुन देव ने अपने पिता द्वारा अमृतसर नगर के निर्माण कार्य को आगे बढ़ाया। वहाँ अमृत सरोवर का निर्माण करा कर उसमें हरमंदिर साहब का निर्माण कराया। इसकी नींव सूफ़ी संत मियाँ मीर के हाथों से रखवाई गई थी।
  • तरनतारन नगर भी गुरु अर्जुन देव के समय में बसा हुआ एक नगर है।
  • मुगल सम्राट अकबर गुरु अर्जुन देव का सम्मान करता था।
  • अर्जुन देव ने सार्वजनिक सुविधा के लिए जो काम किए उनसे अकबर बहुत प्रभावित था।
  • अर्जुन देव के बढ़ते हुए प्रभाव को जहाँगीर सहन नहीं कर सका। उसने अपने पुत्र खुसरों की सहायता से अर्जुन देव को कैद कर लिया और तरह-तरह की यातनाएँ दीं।
  • इन्हीं परिस्थितियों में 30 मई, 1606 ई. में रावी के तट पर आकार गुरु अर्जुन देव का देहांत हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

शर्मा, लीलाधर भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, दिल्ली, पृष्ठ 234।


बाहरी कड़ियाँ

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