"सदस्य:लक्ष्मी गोस्वामी/अभ्यास3": अवतरणों में अंतर

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||[[चित्र:Guru-Amar-Das.jpg|right|120px|गुरु अमरदास]][[गुरु अमरदास]] ने अपनी बातें सिर्फ़ उपदेशात्मक रुप में कही हों, ऐसा कदापि नहीं है, उन्होनें उन उपदेशों को अपने जीवन में अमल में लाकर स्वयं एक आदर्श बनकर सामाजिक सद्भाव की मिसाल क़ायम की। छूत-अछूत जैसी बुराइयों को दूर करने के लिये 'लंगर परम्परा' चलाई, जहाँ कथित अछूत लोग, जिनके सामीप्य से लोग बचने की कोशिश करते थे, उन्हीं उच्च जाति वालों के साथ एक पंक्ति में बैठकर भोजन करते थे। [[गुरु अमरदास]] द्वारा शुरु की गई यह लंगर परम्परा आज भी क़ायम है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुरु अमरदास]]
||[[चित्र:Guru-Amar-Das.jpg|right|120px|गुरु अमरदास]]गुरु अमरदास ने अपनी बातें सिर्फ़ उपदेशात्मक रुप में कही हों, ऐसा कदापि नहीं है, उन्होनें उन उपदेशों को अपने जीवन में अमल में लाकर स्वयं एक आदर्श बनकर सामाजिक सद्भाव की मिसाल क़ायम की। [[गुरु अमरदास]] ने छूत-अछूत जैसी बुराइयों को दूर करने के लिये 'लंगर परम्परा' चलाई, जहाँ कथित अछूत लोग, जिनके सामीप्य से लोग बचने की कोशिश करते थे, उन्हीं उच्च जाति वालों के साथ एक पंक्ति में बैठकर भोजन करते थे। गुरु अमरदास द्वारा शुरु की गई यह लंगर परम्परा आज भी क़ायम है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुरु अमरदास]]


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-[[सांख्य दर्शन]] से  
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-[[वैशेषिक दर्शन]] से
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||'न्याय दर्शन' के कर्ता [[महर्षि गौतम]] परम तपस्वी एवं संयमी थे। '[[न्यायसूत्र]]' के रचयिता का गोत्र नाम 'गौतम' और व्यक्तिगत नाम 'अक्षपाद' है। 'न्यायसूत्र' पाँच अध्यायों में विभक्त है, जिनमें प्रमाणादि षोडश पदार्थों के उद्देश्य, लक्षण तथा परीक्षण किये गये हैं। [[वात्स्यायन]] ने न्यायसूत्रों पर विस्तृत भाष्य लिखा है। इस भाष्य का रचनाकाल विक्रम पूर्व प्रथम शतक माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[न्याय दर्शन]]
||'न्याय दर्शन' के कर्ता [[महर्षि गौतम]] परम तपस्वी एवं संयमी थे। '[[न्यायसूत्र]]' के रचयिता का गोत्र नाम 'गौतम' और व्यक्तिगत नाम 'अक्षपाद' है। 'न्यायसूत्र' पाँच अध्यायों में विभक्त है, जिनमें प्रमाणादि षोडश पदार्थों के उद्देश्य, लक्षण तथा परीक्षण किये गये हैं। [[वात्स्यायन]] ने न्यायसूत्रों पर विस्तृत भाष्य लिखा है। इस भाष्य का रचनाकाल विक्रम पूर्व प्रथम शतक माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[न्याय दर्शन]]

05:52, 19 नवम्बर 2011 का अवतरण

कला और संस्कृति

1 किस वाद्य यंत्र वादक को पद्मश्री से लेकर भारत रत्न तक के सभी राष्ट्रीय सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है?

पंडित रविशंकर
बिस्मिल्ला ख़ाँ
शिवकुमार शर्मा
हरिप्रसाद चौरसिया

2 मुग़ल शैली के विश्वप्रसिद्ध चित्र 'बैलगाड़ी' का चित्रण किसने किया है?

दसवंत
मनोहर
मंसूर
अबुल हसन

3 जाति प्रथा एवं छुआछूत को समाप्त करने के उद्देश्य से 'लंगर' परम्परा की नींव किसने डाली?

गुरु नानक देव
गुरु अंगद
गुरु अमरदास
गुरु रामदास

4 पुराणों की कुल संख्या कितनी है?

12
16
18
20

5 महर्षि गौतम का सम्बन्ध किस दर्शन से है?

सांख्य दर्शन से
योग दर्शन से
न्याय दर्शन से
वैशेषिक दर्शन से

7 सारनाथ में किस मौर्य सम्राट का स्तम्भ है?

चंद्रगुप्त
अशोक
बिन्दुसार
बृहद्रथ

8 विख्यात चित्रकारी 'द लास्ट जजमेंट' किस चित्रकार की है?

लियोनार्डो द विंची
एंजेलो
राफेल
वॉन गाफ़

9 निम्नलिखित नगरों में से किस एक के निकट 'पालिताणा मंदिर' स्थित है?

भावनगर
माउण्ट आबू
नासिक
उज्जैन

10 प्राचीन ब्राह्मी लिपि को किसने स्पष्ट किया?

जॉन एफ़ फ़्लीट
जेम्स प्रिंसेप
कनिंघम
जॉन मार्शल

11 बिहार का प्रमुख त्योहार कौन-सा है?

वैशाखी
ओणम
पोंगल
छठ पूजा

12 सन्त कबीर के सम्मान में 'मगहर महोत्सव' किस वर्ष प्रारम्भ किया गया था?

1987 में
1990 में
1985 में
1975 में

13 भारत का प्राचीनतम दर्शन कौन-सा है?

न्याय
वैशेषिक
सांख्य
योग

14 उपनिषद का प्रतिपाद्य विषय है?

भारत का सामाजिक व्यवहार
हिन्दू धर्म
प्राचीन भारतीय विधि
उपर्युक्त सभी