"नेदुनजेरल आदन": अवतरणों में अंतर
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*सम्भवतः नेदुनजेरल आदन ने उस समय के सात छत्रधारी राजाओं पर विजय प्राप्त की थीं। | *सम्भवतः नेदुनजेरल आदन ने उस समय के सात छत्रधारी राजाओं पर विजय प्राप्त की थीं। | ||
*इसके अतिरिक्त उसने [[चोल]] नरेश ‘उरुवप्पघरेर इलैयन’ के विरुद्ध भी अभियान का नेतृत्व किया था। | *इसके अतिरिक्त उसने [[चोल]] नरेश ‘उरुवप्पघरेर इलैयन’ के विरुद्ध भी अभियान का नेतृत्व किया था। | ||
*इस युद्ध के | *नेदुनजेरल आदन ने अपना अंतिम युद्ध चोल नरेश करिकाल के विरुद्ध लड़ा था | ||
*इस युद्ध में [[करिकाल]] के द्वारा नेदुनजेरल आदन को पराजय का मुँह देखना पड़ा। | |||
*अपनी इस पराजय से नेदुनजेरल आदन बहुत ही दु:खी हुआ और अन्दर से टूट गया। | |||
*इस पराजय के फलस्वरूप उसने आत्महत्या कर ली और उसकी रानी उसके साथ ही सती हो गई। | |||
*नेदुनजेरल आदन ने अपने 55 वर्ष के शासन काल में ‘अधिराज’ एवं ‘श्रमयवरम्बन’ की उपाधियाँ धारण की थीं। | *नेदुनजेरल आदन ने अपने 55 वर्ष के शासन काल में ‘अधिराज’ एवं ‘श्रमयवरम्बन’ की उपाधियाँ धारण की थीं। | ||
11:02, 22 नवम्बर 2011 का अवतरण
- नेदुनजेरल आदन दक्षिण भारत के चेर वंश का एक वीर और प्रतापी राजा था।
- वह उदियनजेरल का पुत्र था।
- नेदुनजेरल आदन ने अपने पड़ोसी राज्यों पर कई बड़े आक्रमण किए थे।
- अपने इन आक्रमणों के द्वारा उसने कुछ यवन व्यापारियों को भी बन्दी बना लिया था।
- बाद के समय में इन बन्दियों को एक बहुत बड़ी रकम लेने के बाद छोड़ा गया।
- सम्भवतः नेदुनजेरल आदन ने उस समय के सात छत्रधारी राजाओं पर विजय प्राप्त की थीं।
- इसके अतिरिक्त उसने चोल नरेश ‘उरुवप्पघरेर इलैयन’ के विरुद्ध भी अभियान का नेतृत्व किया था।
- नेदुनजेरल आदन ने अपना अंतिम युद्ध चोल नरेश करिकाल के विरुद्ध लड़ा था
- इस युद्ध में करिकाल के द्वारा नेदुनजेरल आदन को पराजय का मुँह देखना पड़ा।
- अपनी इस पराजय से नेदुनजेरल आदन बहुत ही दु:खी हुआ और अन्दर से टूट गया।
- इस पराजय के फलस्वरूप उसने आत्महत्या कर ली और उसकी रानी उसके साथ ही सती हो गई।
- नेदुनजेरल आदन ने अपने 55 वर्ष के शासन काल में ‘अधिराज’ एवं ‘श्रमयवरम्बन’ की उपाधियाँ धारण की थीं।
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