"खंडू भाई देसाई": अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "महत्वपूर्ण" to "महत्त्वपूर्ण") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "Category:लोकसभा_सांसद" to "{{लोकसभा सांसद}} Category:लोकसभा_सांसद") |
||
पंक्ति 19: | पंक्ति 19: | ||
[[Category:राजनीति_कोश]] | [[Category:राजनीति_कोश]] | ||
[[Category:लोकसभा]] | [[Category:लोकसभा]] | ||
{{लोकसभा सांसद}} | |||
[[Category:लोकसभा_सांसद]] | [[Category:लोकसभा_सांसद]] | ||
[[Category:प्रथम_लोकसभा_सांसद]] | [[Category:प्रथम_लोकसभा_सांसद]] |
12:09, 30 नवम्बर 2011 का अवतरण
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
प्रसिद्ध श्रमिक नेता खंडू भाई देसाई का जन्म 23 अक्टूबर, 1898 ई. को दक्षिण गुजरात के बलसर नामक स्थान में हुआ था।
शिक्षा
खंडू भाई देसाई ने बलसर में आरंभिक शिक्षा के बाद वे मुम्बई के विलसन कॉलेज में भर्ती हुए। परंतु 1920 में महात्मा गाँधी के असहयोग आंदोलन में कॉलेज का बहिष्कार करके बाहर आ गए। बाद में गांधीजी द्वारा स्थापित गुजरात विद्यापीठ अहमदाबाद में उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की थी।
श्रमिक आंदोलन
खंडू भाई देसाई शीघ्र ही श्रमिक आंदोलन में सम्मिलित हो गए। उन्होंने अहमदाबाद के सूती मिल मजदूरों के संगठन ‘मजूर महाजन’ का काम अपने हाथों में लिया। अनुसूया बेन, सारा भाई, शंकरलाल बेंकर, गुलज़ारी लाल नंदा आदि उनके सहकर्मी थे। खंडू भाई ने श्रमिकों के स्वदेशी और स्वाभिमान की भावना का प्रचार किया। धीरे-धीरे श्रमिक संगठन का विस्तार होने लगा। फलस्वरूप ‘इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस’ की स्थापना हुई और 1947 में खंडू भाई देसाई इसके प्रथम सचिव चुने गए। 1950 से 1953 तक इस संस्था के अध्यक्ष भी रहे। 1950 में इन्होंने ‘विश्व श्रमिक संघ’ में भारत के श्रमिकों का प्रतिनिधित्व किया। 1962 में विश्व के स्वतंत्र श्रमिक संघों के सम्मेलन में भी वे भारत के प्रतिनिधि थे।
सदस्यता
खंडू भाई देसाई की गतिविधियां अन्य क्षेत्रों में भी उतनी महत्त्वपूर्ण रहीं। 1937 में वे मुंबई विधानसभा के सदस्य चुने गए। 1946 में देश की संविधान सभा के सदस्य थे। 1952 से 1957 तक लोकसभा और 1959 से 1966 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। 1954 से 1957 तक वे जवाहरलाल नेहरू की केंद्रीय सरकार में श्रम मंत्री थे। 1969 में उन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। उनके जीवन पर रमण महर्षि, रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद के विचारों का प्रभाव था। गांधीजी के तो प्रमुख अनुयायी थे ही।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
लीलाधर, शर्मा भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, 204।