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06:05, 1 दिसम्बर 2011 का अवतरण

मदिरा सवैया में 7 भगण (ऽ।।) + गुरु से यह छन्द बनता है, 10, 12 वर्णों पर यति होती है।

  • केशव ने इस छन्द का प्रयोग किया है-

सिन्धु तर्यो उनका बनरा,
तुम पै धनु-रेख गयी न तरी।[1]

  • तुलसीदास ने भी कवितावली में इस छंद का प्रयोग किया है-

ठाढ़े हैं नौ द्रुम डार गहे, धनु काँधे धरे, कर सायक लै।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. केशवदास कृत रामचन्द्रिका, 16:12,
  2. कवितावली, 2:13

धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 1 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 741।

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