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'''पठार''' धरातल का वह विशिष्ट स्थल रूप है, जो कि अपने आस-पास के स्थल से पर्याप्त ऊँचाई का तथा जिसका शीर्ष भाग चौड़ा और सपाट होता है। सामान्यतः पठार की ऊँचाई 300 से 500 फीट तक होती है। | |||
*कुछ अधिक ऊँचाई वाले पठार हैं- 'तिब्बत का पठार' (16,000 फीट), 'बेलीविया का पठार' (12,000 फीट) तथा 'कोलम्बिया का पठार' (7,800 फीट)। | |||
*पठार प्राय: निम्न प्रकार के होते हैं- | |||
#'''अंतपर्वतीय पठार''' - पर्वतमालाओं के बीच में बने पठार। | |||
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09:59, 6 दिसम्बर 2011 का अवतरण
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पठार धरातल का वह विशिष्ट स्थल रूप है, जो कि अपने आस-पास के स्थल से पर्याप्त ऊँचाई का तथा जिसका शीर्ष भाग चौड़ा और सपाट होता है। सामान्यतः पठार की ऊँचाई 300 से 500 फीट तक होती है।
- कुछ अधिक ऊँचाई वाले पठार हैं- 'तिब्बत का पठार' (16,000 फीट), 'बेलीविया का पठार' (12,000 फीट) तथा 'कोलम्बिया का पठार' (7,800 फीट)।
- पठार प्राय: निम्न प्रकार के होते हैं-
- अंतपर्वतीय पठार - पर्वतमालाओं के बीच में बने पठार।
- पर्वतपदीय पठार - पर्वत के तल और मैदान के बीच उठे समतल भाग।
- महाद्वीपीय पठार - जब पृथ्वी के भीतर जमा लैकोलिथ भू–पृष्ठ के अपरदन के कारण सतह पर उभर आते हैं, तब ऐसे पठार बनते हैं। जैसे—दक्षिण का पठार।
- तटीय पठार - समुद्र के तटीय भाग में स्थित पठार।
- चलन क्रिया के फलस्वरूप निर्मित पठार, जैसे- राजगढ़ गुम्बद (भारत)।
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