"आओ, हम अपना मन टोवें -सुमित्रानंदन पंत": अवतरणों में अंतर
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|मृत्यु=[[28 दिसंबर]], 1977 | |मृत्यु=[[28 दिसंबर]], 1977 | ||
|मृत्यु स्थान=[[प्रयाग]], [[उत्तर प्रदेश]] | |मृत्यु स्थान=[[प्रयाग]], [[उत्तर प्रदेश]] | ||
|मुख्य रचनाएँ=वीणा, पल्लव, चिदंबरा, युगवाणी, लोकायतन, हार, आत्मकथात्मक संस्मरण- साठ वर्ष, युगपथ, स्वर्णकिरण, कला और बूढ़ा चाँद आदि | |मुख्य रचनाएँ=[[वीणा -पंत|वीणा]], [[पल्लव -पंत|पल्लव]], चिदंबरा, [[युगवाणी -पंत|युगवाणी]], [[लोकायतन -पंत|लोकायतन]], हार, आत्मकथात्मक संस्मरण- साठ वर्ष, [[युगपथ -पंत|युगपथ]], [[स्वर्णकिरण -पंत|स्वर्णकिरण]], कला और बूढ़ा चाँद आदि | ||
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आओ, अपने मन को टोवें! | आओ, अपने मन को टोवें! | ||
व्यर्थ देह के सँग मन की भी | व्यर्थ देह के सँग मन की भी, | ||
निर्धनता का बोझ न ढोवें। | निर्धनता का बोझ न ढोवें। | ||
जाति पाँतियों में बहु बट कर | जाति पाँतियों में बहु बट कर, | ||
सामाजिक जीवन संकट वर, | सामाजिक जीवन संकट वर, | ||
स्वार्थ लिप्त रह, सर्व श्रेय के | स्वार्थ लिप्त रह, सर्व श्रेय के, | ||
पथ में हम मत काँटे बोवें! | पथ में हम मत काँटे बोवें! | ||
उजड़ गया घर द्वार अचानक | उजड़ गया घर द्वार अचानक, | ||
रहा भाग्य का खेल भयानक | रहा भाग्य का खेल भयानक, | ||
बीत गयी जो बीत गयी, हम | बीत गयी जो बीत गयी, हम, | ||
उसके लिये नहीं अब रोवें! | उसके लिये नहीं अब रोवें! | ||
परिवर्तन ही जग का जीवन | परिवर्तन ही जग का जीवन, | ||
यहाँ विकास ह्रास संग विघटन, | यहाँ विकास ह्रास संग विघटन, | ||
हम हों अपने भाग्य विधाता | हम हों अपने भाग्य विधाता, | ||
यों मन का धीरज मत खोवें! | यों मन का धीरज मत खोवें! | ||
साहस, दृढ संकल्प, शक्ति, श्रम | साहस, दृढ संकल्प, शक्ति, श्रम, | ||
नवयुग जीवन का रच उपक्रम, | नवयुग जीवन का रच उपक्रम, | ||
नव आशा से नव आस्था से | नव आशा से नव आस्था से, | ||
नए भविष्यत स्वप्न सजोवें! | नए भविष्यत स्वप्न सजोवें! | ||
नया क्षितिज अब खुलता मन में | नया क्षितिज अब खुलता मन में, | ||
नवोन्मेष जन-भू जीवन में, | नवोन्मेष जन-भू जीवन में, | ||
राग द्वेष के, प्रकृति विकृति के | राग द्वेष के, प्रकृति विकृति के, | ||
युग युग के घावों को धोवें! | युग युग के घावों को धोवें! | ||
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12:18, 15 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
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आओ, अपने मन को टोवें! |
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