"कुंजी -रामधारी सिंह दिनकर": अवतरणों में अंतर
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जब मैं बालक अबोध अनजान था। | जब मैं बालक अबोध अनजान था। | ||
यह पवन तुम्हारी साँस का | यह पवन तुम्हारी साँस का, | ||
सौरभ लाता था। | सौरभ लाता था। | ||
उसके कंधों पर चढ़ा | उसके कंधों पर चढ़ा, | ||
मैं जाने कहाँ-कहाँ | मैं जाने कहाँ-कहाँ, | ||
आकाश में घूम आता था। | आकाश में घूम आता था। | ||
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मगर कोई परी मेरे साथ में थी; | मगर कोई परी मेरे साथ में थी; | ||
मुझे मालूम तो न था, | मुझे मालूम तो न था, | ||
मगर ताले की | मगर ताले की कुंजी मेरे हाथ में थी। | ||
जवान हो कर मैं आदमी न रहा, | जवान हो कर मैं आदमी न रहा, |
06:22, 24 दिसम्बर 2011 का अवतरण
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घेरे था मुझे तुम्हारी साँसों का पवन, |
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