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सोमेश्वर तृतीय कल्याणी के [[चालुक्य वंश]] का आठवाँ शासक था और सातवें शासक [[विक्रमादित्य षष्ठ]] का पुत्र तथा उत्तराधिकरी था। उसने 1126 से 1138 ई0 तक राज्य किया और उसका शासनकाल शान्तिपूर्ण रहा। वह राजशास्त्र, न्याय व्यवस्था, वैद्यक, ज्योतिष, शस्त्रास्त्र, रसायन तथा पिंगल सदृश विषयों पर अनेक ग्रंथों का रचयिता बताया जाता है। किन्तु उसकी बहुमुखी प्रतिभा एवं विद्वत्ता उसकी सैन्य संगठन शक्ति में सहायक न हो सकी। असी के शासन काल में अधीनस्थ सामंतों ने चालुक्यों की प्रभुत्ता त्यागकर स्वतंत्र शासन करना आरम्भ कर दिया, फलस्वरूप चालुक्य शक्ति का ह्रास होने लगा।
सोमेश्वर तृतीय कल्याणी के [[चालुक्य वंश]] का आठवाँ शासक था और सातवें शासक [[विक्रमादित्य षष्ठ]] का पुत्र तथा उत्तराधिकरी था। उसने 1126 से 1138 ई0 तक राज्य किया और उसका शासनकाल शान्तिपूर्ण रहा। वह राजशास्त्र, न्याय व्यवस्था, वैद्यक, ज्योतिष, शस्त्रास्त्र, रसायन तथा पिंगल सदृश विषयों पर अनेक ग्रंथों का रचयिता बताया जाता है। किन्तु उसकी बहुमुखी प्रतिभा एवं विद्वत्ता उसकी सैन्य संगठन शक्ति में सहायक न हो सकी। असी के शासन काल में अधीनस्थ सामंतों ने चालुक्यों की प्रभुत्ता त्यागकर स्वतंत्र शासन करना आरम्भ कर दिया, फलस्वरूप चालुक्य शक्ति का ह्रास होने लगा।
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10:02, 22 मई 2010 का अवतरण

सोमेश्वर तृतीय कल्याणी के चालुक्य वंश का आठवाँ शासक था और सातवें शासक विक्रमादित्य षष्ठ का पुत्र तथा उत्तराधिकरी था। उसने 1126 से 1138 ई0 तक राज्य किया और उसका शासनकाल शान्तिपूर्ण रहा। वह राजशास्त्र, न्याय व्यवस्था, वैद्यक, ज्योतिष, शस्त्रास्त्र, रसायन तथा पिंगल सदृश विषयों पर अनेक ग्रंथों का रचयिता बताया जाता है। किन्तु उसकी बहुमुखी प्रतिभा एवं विद्वत्ता उसकी सैन्य संगठन शक्ति में सहायक न हो सकी। असी के शासन काल में अधीनस्थ सामंतों ने चालुक्यों की प्रभुत्ता त्यागकर स्वतंत्र शासन करना आरम्भ कर दिया, फलस्वरूप चालुक्य शक्ति का ह्रास होने लगा।