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*[[अरब]] यात्री [[सुलेमान]] के अनुसार, 'वह अरबों का स्वाभाविक शत्रु था और उसने पश्चिम में अरबों का प्रसार रोक दिया था।'
*[[अरब]] यात्री [[सुलेमान]] के अनुसार, 'वह अरबों का स्वाभाविक शत्रु था और उसने पश्चिम में अरबों का प्रसार रोक दिया था।'
*मिहिर भोज ने कई अन्य नामों से भी उपाधियाँ धारण की थीं, जैसे- 'मिहिरभोज' ([[ग्वालियर]] अभिलेख में), 'प्रभास' (दौलतपुर अभिलेख में), 'आदिवराह' (ग्वालियर चतुर्भुज अभिलेख में)।
*मिहिर भोज ने कई अन्य नामों से भी उपाधियाँ धारण की थीं, जैसे- 'मिहिरभोज' ([[ग्वालियर]] अभिलेख में), 'प्रभास' (दौलतपुर अभिलेख में), 'आदिवराह' (ग्वालियर चतुर्भुज अभिलेख में)।
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06:15, 4 जनवरी 2012 के समय का अवतरण

आदिवराह एक प्रसिद्ध उपाधि थी, जिसे कन्नौज के गुर्जर-प्रतिहार राजा मिहिर भोज (840-890 ई.) ने धारण किया था। मिहिर भोज के चाँदी के सिक्कों पर यह नाम अंकित मिलता है, जो उत्तरी भारत में बहुतायत से मिले हैं।

  • मिहिर भोज को भारत के प्रतापी राजाओं में गिना जाता है।
  • उसके सिक्को पर निर्मित 'सूर्यचन्द्र' उसके 'चक्रवर्तिन' का प्रमाण है।
  • अरब यात्री सुलेमान के अनुसार, 'वह अरबों का स्वाभाविक शत्रु था और उसने पश्चिम में अरबों का प्रसार रोक दिया था।'
  • मिहिर भोज ने कई अन्य नामों से भी उपाधियाँ धारण की थीं, जैसे- 'मिहिरभोज' (ग्वालियर अभिलेख में), 'प्रभास' (दौलतपुर अभिलेख में), 'आदिवराह' (ग्वालियर चतुर्भुज अभिलेख में)।

इन्हें भी देखें: मिहिर भोज


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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