"गोपीनाथ बोरदोलोई": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{सूचना बक्सा राजनीतिज्ञ | {{सूचना बक्सा राजनीतिज्ञ | ||
|चित्र=Gopinath-bordoloi.jpg | |चित्र=Gopinath-bordoloi.jpg | ||
|चित्र का नाम= | |चित्र का नाम=गोपीनाथ बोरदोलोई | ||
|पूरा नाम= | |पूरा नाम= | ||
|अन्य नाम= | |अन्य नाम= | ||
|जन्म= | |जन्म=10 जून, 1890 ई. | ||
|जन्म भूमि= | |जन्म भूमि=रोहा, ज़िला नौगाँव, [[असम]] | ||
|मृत्यु= | |मृत्यु=5 अगस्त, 1950 ई. | ||
|मृत्यु स्थान= | |मृत्यु स्थान= | ||
|मृत्यु कारण= | |मृत्यु कारण= | ||
|अविभावक= | |अविभावक=बुद्धेश्वर बोरदोलोई तथा प्रानेश्वरी बोरदोलोई | ||
|पति/पत्नी= | |पति/पत्नी= | ||
|संतान= | |संतान= | ||
|स्मारक= | |स्मारक= | ||
|क़ब्र= | |क़ब्र= | ||
|नागरिकता= | |नागरिकता=भारतीय | ||
|प्रसिद्धि= | |प्रसिद्धि=राजनीतिज्ञ | ||
|पार्टी= | |पार्टी=[[कांग्रेस]] | ||
|पद= | |पद=[[मुख्यमंत्री]] | ||
|भाषा= | |भाषा=[[हिन्दी]], [[अंग्रेज़ी]] | ||
|जेल यात्रा= | |जेल यात्रा=1 साल की जेल, 1922 ई. | ||
|कार्य काल= | |कार्य काल= | ||
|विद्यालय= | |विद्यालय=[[कलकत्ता विश्वविद्यालय]] | ||
|शिक्षा= | |शिक्षा=क़ानून की डिग्री | ||
|पुरस्कार-उपाधि= | |पुरस्कार-उपाधि=[[भारत रत्न]] (1999 ई.) | ||
|विशेष योगदान= | |विशेष योगदान='कामरूप अकादमी' ([[गौहाटी]]), 'बरुआ कॉलेज', 'गौहाटी विश्वविद्यालय' और 'असम मेडिकल कॉलेज' आदि की स्थापना इन्हीं के प्रयासों द्वारा हुई थी। | ||
|संबंधित लेख= | |संबंधित लेख= | ||
|शीर्षक 1= | |शीर्षक 1= | ||
पंक्ति 37: | पंक्ति 37: | ||
'''गोपीनाथ बोरदोलोई''' [[भारत]] के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और [[असम]] के प्रथम [[मुख्यमंत्री]] थे। इन्हें 'आधुनिक असम का निर्माता' भी कहा गया है। इन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन में भी सक्रिय रूप से भाग लिया था। 1941 ई. में व्यक्तिगत [[सत्याग्रह]] में भाग लेने के कारण इन्हें कारावास जाना पड़ा तथा 1942 ई. में [[भारत छोड़ो आन्दोलन]] में भागीदारी के कारण इन्हें पुन: सज़ा हुई। गोपीनाथ ने असम के विकास के लिए अथक प्रयास किये थे। उन्होंने राज्य के औद्योगीकरण पर विशेष बल दिया, और [[गौहाटी]] में कई विश्वविद्यालयों की स्थापना करवायी। | '''गोपीनाथ बोरदोलोई''' [[भारत]] के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और [[असम]] के प्रथम [[मुख्यमंत्री]] थे। इन्हें 'आधुनिक असम का निर्माता' भी कहा गया है। इन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन में भी सक्रिय रूप से भाग लिया था। 1941 ई. में व्यक्तिगत [[सत्याग्रह]] में भाग लेने के कारण इन्हें कारावास जाना पड़ा तथा 1942 ई. में [[भारत छोड़ो आन्दोलन]] में भागीदारी के कारण इन्हें पुन: सज़ा हुई। गोपीनाथ ने असम के विकास के लिए अथक प्रयास किये थे। उन्होंने राज्य के औद्योगीकरण पर विशेष बल दिया, और [[गौहाटी]] में कई विश्वविद्यालयों की स्थापना करवायी। | ||
==जन्म एवं शिक्षा== | ==जन्म एवं शिक्षा== | ||
गोपीनाथ बोरदोलोई प्रगतिवादी विचारों वाले व्यक्ति थे तथा असम का आधुनिकीकरण करना चाहते थे। गोपीनाथ का जन्म 10 जून, 1890 ई. को असम के नौगाँव ज़िले के रोहा नामक स्थान पर हुआ था। | गोपीनाथ बोरदोलोई प्रगतिवादी विचारों वाले व्यक्ति थे तथा असम का आधुनिकीकरण करना चाहते थे। गोपीनाथ का जन्म 10 जून, 1890 ई. को असम के नौगाँव ज़िले के रोहा नामक स्थान पर हुआ था। इनके [[पिता]] का नाम बुद्धेश्वर बोरदोलोई तथा [[माता]] का नाम प्रानेश्वरी बोरदोलोई था। इनके [[ब्राह्मण]] पूर्वज [[उत्तर प्रदेश]] से जाकर असम में बस गए थे। जब ये मात्र 12 साल के ही थे, तभी इनकी माता का देहांत हो गया था। गोपीनाथ की उच्च शिक्षा [[कलकत्ता विश्वविद्यालय|कोलकाता विश्वविद्यालय]] में हुई और वहीं से उन्होंने क़ानून की परीक्षा भी पास की। इसके बाद कुछ दिन तक वह अध्यापक रहे और फिर वकालत करने लगे। | ||
====कांग्रेस सदस्य==== | ====कांग्रेस सदस्य==== | ||
1920 ई. से पहले [[असम]] में राजनीतिक जागृति कम थी। वहां [[कांग्रेस]] का प्रसार नहीं हुआ था। गोपीनाथ बोरदोलोई 1920 ई. में [[कोलकाता]] में कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में सम्मिलित हुए। उसके बाद ही उनके प्रयत्नों से असम में कांग्रेस का प्रभाव बढ़ता गया। [[गाँधी जी]] ने जब [[असहयोग आंदोलन]] आरंभ किया, तो गोपीनाथ ने अपनी वकालत छोड़ दी और वे पूर्णतः राष्ट्रीय आंदोलन में सम्मिलित हो गए। 1926 ई. के कांग्रेस के गौहाटी अधिवेशन की व्यवस्था में उन्होंने बड़े उत्साह से भाग लिया। | 1920 ई. से पहले [[असम]] में राजनीतिक जागृति कम थी। वहां [[कांग्रेस]] का प्रसार नहीं हुआ था। गोपीनाथ बोरदोलोई 1920 ई. में [[कोलकाता]] में कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में सम्मिलित हुए। उसके बाद ही उनके प्रयत्नों से असम में कांग्रेस का प्रभाव बढ़ता गया। [[गाँधी जी]] ने जब [[असहयोग आंदोलन]] आरंभ किया, तो गोपीनाथ ने अपनी वकालत छोड़ दी और वे पूर्णतः राष्ट्रीय आंदोलन में सम्मिलित हो गए। 1926 ई. के कांग्रेस के गौहाटी अधिवेशन की व्यवस्था में उन्होंने बड़े उत्साह से भाग लिया। | ||
पंक्ति 45: | पंक्ति 45: | ||
1938 ई. में असम में जो पहला लोकप्रिय मंत्रिमंडल बना उसके [[मुख्यमंत्री]] गोपीनाथ बोरदोलोई ही थे। इस बीच उन्होंने असम में अफ़ीम पर प्रतिबंध लगाने का ऐतिहासिक काम किया। विश्वयुद्ध आरंभ होने पर उन्होंने भी इस्तीफ़ा दे दिया और जेल की सज़ा भोगी। युद्ध की समाप्ति के बाद वे दुबारा [[असम]] के मुख्यमंत्री बने। स्वतंत्रता के बाद का यह समय नवनिर्माण का काल था। | 1938 ई. में असम में जो पहला लोकप्रिय मंत्रिमंडल बना उसके [[मुख्यमंत्री]] गोपीनाथ बोरदोलोई ही थे। इस बीच उन्होंने असम में अफ़ीम पर प्रतिबंध लगाने का ऐतिहासिक काम किया। विश्वयुद्ध आरंभ होने पर उन्होंने भी इस्तीफ़ा दे दिया और जेल की सज़ा भोगी। युद्ध की समाप्ति के बाद वे दुबारा [[असम]] के मुख्यमंत्री बने। स्वतंत्रता के बाद का यह समय नवनिर्माण का काल था। | ||
==निधन== | ==निधन== | ||
बोरदोलोई के नेतृत्व में असम प्रदेश में नवनिर्माण की पक्की आधारशिला रखी गई थी, इसलिए उन्हें 'आधुनिक असम का निर्माता' भी कहा जाता है। 1950 ई. में | बोरदोलोई के नेतृत्व में असम प्रदेश में नवनिर्माण की पक्की आधारशिला रखी गई थी, इसलिए उन्हें 'आधुनिक असम का निर्माता' भी कहा जाता है। 5 अगस्त, 1950 ई. में जब वे 60 वर्ष के थे, उनका देहांत हो गया। इनकी मृत्यु के बाद 1999 ई. में इन्हें देश का प्रमुख सम्मान [[भारत रत्न]] दिया गया था। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध=}} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध=}} |
10:23, 6 जनवरी 2012 का अवतरण
गोपीनाथ बोरदोलोई
| |
जन्म | 10 जून, 1890 ई. |
जन्म भूमि | रोहा, ज़िला नौगाँव, असम |
मृत्यु | 5 अगस्त, 1950 ई. |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ |
पार्टी | कांग्रेस |
पद | मुख्यमंत्री |
शिक्षा | क़ानून की डिग्री |
विद्यालय | कलकत्ता विश्वविद्यालय |
भाषा | हिन्दी, अंग्रेज़ी |
जेल यात्रा | 1 साल की जेल, 1922 ई. |
पुरस्कार-उपाधि | भारत रत्न (1999 ई.) |
विशेष योगदान | 'कामरूप अकादमी' (गौहाटी), 'बरुआ कॉलेज', 'गौहाटी विश्वविद्यालय' और 'असम मेडिकल कॉलेज' आदि की स्थापना इन्हीं के प्रयासों द्वारा हुई थी। |
गोपीनाथ बोरदोलोई भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और असम के प्रथम मुख्यमंत्री थे। इन्हें 'आधुनिक असम का निर्माता' भी कहा गया है। इन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन में भी सक्रिय रूप से भाग लिया था। 1941 ई. में व्यक्तिगत सत्याग्रह में भाग लेने के कारण इन्हें कारावास जाना पड़ा तथा 1942 ई. में भारत छोड़ो आन्दोलन में भागीदारी के कारण इन्हें पुन: सज़ा हुई। गोपीनाथ ने असम के विकास के लिए अथक प्रयास किये थे। उन्होंने राज्य के औद्योगीकरण पर विशेष बल दिया, और गौहाटी में कई विश्वविद्यालयों की स्थापना करवायी।
जन्म एवं शिक्षा
गोपीनाथ बोरदोलोई प्रगतिवादी विचारों वाले व्यक्ति थे तथा असम का आधुनिकीकरण करना चाहते थे। गोपीनाथ का जन्म 10 जून, 1890 ई. को असम के नौगाँव ज़िले के रोहा नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम बुद्धेश्वर बोरदोलोई तथा माता का नाम प्रानेश्वरी बोरदोलोई था। इनके ब्राह्मण पूर्वज उत्तर प्रदेश से जाकर असम में बस गए थे। जब ये मात्र 12 साल के ही थे, तभी इनकी माता का देहांत हो गया था। गोपीनाथ की उच्च शिक्षा कोलकाता विश्वविद्यालय में हुई और वहीं से उन्होंने क़ानून की परीक्षा भी पास की। इसके बाद कुछ दिन तक वह अध्यापक रहे और फिर वकालत करने लगे।
कांग्रेस सदस्य
1920 ई. से पहले असम में राजनीतिक जागृति कम थी। वहां कांग्रेस का प्रसार नहीं हुआ था। गोपीनाथ बोरदोलोई 1920 ई. में कोलकाता में कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में सम्मिलित हुए। उसके बाद ही उनके प्रयत्नों से असम में कांग्रेस का प्रभाव बढ़ता गया। गाँधी जी ने जब असहयोग आंदोलन आरंभ किया, तो गोपीनाथ ने अपनी वकालत छोड़ दी और वे पूर्णतः राष्ट्रीय आंदोलन में सम्मिलित हो गए। 1926 ई. के कांग्रेस के गौहाटी अधिवेशन की व्यवस्था में उन्होंने बड़े उत्साह से भाग लिया।
विश्वविद्यालयों की स्थापना
1929 ई. में सरकारी विद्यालयों में राजनीतिक गतिविधियों पर रोक के संबंध में सरकार का आदेश निकला, तो बोरदोलोई ने ऐसे विद्यालयों के बहिष्कार का आंदोलन चलाया। परंतु वे शिक्षा के महत्त्व को समझते थे। उनके प्रयत्न से गौहाटी में 'कामरूप अकादमी' और 'बरुआ कॉलेज' की स्थापना हुई। आगे चलकर जब उन्होंने प्रशासन का दायित्व संभाला तो 'गौहाटी विश्वविद्यालय', 'असम मेडिकल कॉलेज' तथा अनेक तकनीकी संस्थाओं की स्थापना में सक्रिय सहयोग दिया।
जेल यात्रा
1938 ई. में असम में जो पहला लोकप्रिय मंत्रिमंडल बना उसके मुख्यमंत्री गोपीनाथ बोरदोलोई ही थे। इस बीच उन्होंने असम में अफ़ीम पर प्रतिबंध लगाने का ऐतिहासिक काम किया। विश्वयुद्ध आरंभ होने पर उन्होंने भी इस्तीफ़ा दे दिया और जेल की सज़ा भोगी। युद्ध की समाप्ति के बाद वे दुबारा असम के मुख्यमंत्री बने। स्वतंत्रता के बाद का यह समय नवनिर्माण का काल था।
निधन
बोरदोलोई के नेतृत्व में असम प्रदेश में नवनिर्माण की पक्की आधारशिला रखी गई थी, इसलिए उन्हें 'आधुनिक असम का निर्माता' भी कहा जाता है। 5 अगस्त, 1950 ई. में जब वे 60 वर्ष के थे, उनका देहांत हो गया। इनकी मृत्यु के बाद 1999 ई. में इन्हें देश का प्रमुख सम्मान भारत रत्न दिया गया था।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख