"हरनारायण": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
पंक्ति 22: पंक्ति 22:
[[Category:कवि]]  
[[Category:कवि]]  
[[Category:रीति_काल]]
[[Category:रीति_काल]]
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]]
[[Category:रीतिकालीन कवि]]
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]]  
[[Category:चरित कोश]]  
[[Category:साहित्य कोश]]
[[Category:साहित्य कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

12:25, 8 जनवरी 2012 का अवतरण

हरनारायण ने 'माधवानल कामकंदला' और 'बैताल पचीसी' नामक दो कथात्मक काव्य लिखे हैं। 'माधावानल कामकंदला' का रचनाकाल संवत् 1812 है। इनकी कविता अनुप्रास आदि अलंकारोंसे अलंकृत हैं। एक कवित्त दिया जाता है -

सोहैं मुंड चंद सों, त्रिपुंड सों विराजै भाल,
तुंड राजै रदन उदंड के मिलन तें।
पाप रूप पानिप विघन जल जीवन के,
कुंड सोखि सुजन बचावै अखिलन तें।
ऐसे गिरिनंदिनी के नंदन को ध्यान ही में,
कीबे छोड़ सकल अपानहि दिलन तें।
भुगुति मुकुति ताके तुंड तें निकसि तापै,
कुंड बाँधि कढ़ती भूसुंड के विलन तें।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


आचार्य, रामचंद्र शुक्ल “प्रकरण 3”, हिन्दी साहित्य का इतिहास (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली, पृष्ठ सं. 252।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख