"साँचा:विशेष आलेख": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
'''[[अशोक|अशोक महान ने कहा है:-]]'''
'''[[अशोक|अशोक महान ने कहा है:-]]'''


हर दशा में दूसरे सम्प्रदायों का आदर करना ही चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य अपने सम्प्रदाय की उन्नति और दूसरे सम्प्रदायों का उपकार करता है। इसके विपरीत जो करता है वह अपने सम्प्रदाय की जड़ काटता है और दूसरे सम्प्रदायों का भी अपकार करता है ... ।<br />
हर दशा में दूसरे सम्प्रदायों का आदर करना ही चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य अपने सम्प्रदाय की उन्नति और दूसरे सम्प्रदायों का उपकार करता है। इसके विपरीत जो करता है, वह अपने सम्प्रदाय की जड़ काटता है और दूसरे सम्प्रदायों का भी अपकार करता है ... ।<br />
... इसलिए समवाय (परस्पर मेलजोल से रहना) ही अच्छा है अर्थात् लोग एक-दूसरे के धर्म को ध्यान देकर सुनें और उसकी सेवा करें -[[अशोक|सम्राट अशोक महान]]  [[अशोक|... और पढ़ें]]
... इसलिए समवाय (परस्पर मेलजोल से रहना) ही अच्छा है, अर्थात् लोग एक-दूसरे के धर्म को ध्यान देकर सुनें और उसकी सेवा करें -[[अशोक|सम्राट अशोक महान]]  [[अशोक|... और पढ़ें]]
----
----
<center>
<center>
पंक्ति 19: पंक्ति 19:
| [[श्राद्ध]] ·
| [[श्राद्ध]] ·
| [[रंग]] ·
| [[रंग]] ·
| [[वाराणसी]] ·
| [[वाराणसी]]  
|}</center>
|}</center>
|}<noinclude>[[Category:विशेष आलेख के साँचे]]</noinclude>
|}<noinclude>[[Category:विशेष आलेख के साँचे]]</noinclude>

05:49, 22 जनवरी 2012 का अवतरण

विशेष आलेख
भारतीय संविधान की मूल सुलेखित प्रतिलिपि में प्रदर्शित अशोक के चित्र की प्रतिलिपि
भारतीय संविधान की मूल सुलेखित प्रतिलिपि में प्रदर्शित अशोक के चित्र की प्रतिलिपि

अशोक महान ने कहा है:-

हर दशा में दूसरे सम्प्रदायों का आदर करना ही चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य अपने सम्प्रदाय की उन्नति और दूसरे सम्प्रदायों का उपकार करता है। इसके विपरीत जो करता है, वह अपने सम्प्रदाय की जड़ काटता है और दूसरे सम्प्रदायों का भी अपकार करता है ... ।
... इसलिए समवाय (परस्पर मेलजोल से रहना) ही अच्छा है, अर्थात् लोग एक-दूसरे के धर्म को ध्यान देकर सुनें और उसकी सेवा करें -सम्राट अशोक महान ... और पढ़ें


पिछले विशेष आलेख श्रावस्ती · श्राद्ध · रंग · वाराणसी