"ब्रह्मशिरा अस्त्र": अवतरणों में अंतर
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यह सब [[बाण अस्त्र|बाण]]-विद्या इस देश के लिये अतीत की घटना बन गयीं महाराज [[पृथ्वीराज चौहान|पृथ्वीराज]] के बाद बाण-विद्या का सर्वथा लोप हो गया। ये वे आयुध जो मन्त्रों से चलाये जाते हैं- ये दैवी हैं। प्रत्येक शस्त्र पर भिन्न-भिन्न देव या देवी का अधिकार होता है और मन्त्र-तन्त्र के द्वारा उसका संचालन होता है। वस्तुत: इन्हें दिव्य तथा मान्त्रिक-अस्त्र कहते हैं। | यह सब [[बाण अस्त्र|बाण]]-विद्या इस देश के लिये अतीत की घटना बन गयीं महाराज [[पृथ्वीराज चौहान|पृथ्वीराज]] के बाद बाण-विद्या का सर्वथा लोप हो गया। ये वे आयुध जो मन्त्रों से चलाये जाते हैं- ये दैवी हैं। प्रत्येक शस्त्र पर भिन्न-भिन्न देव या देवी का अधिकार होता है और मन्त्र-तन्त्र के द्वारा उसका संचालन होता है। वस्तुत: इन्हें दिव्य तथा मान्त्रिक-अस्त्र कहते हैं। | ||
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07:12, 25 मई 2010 का अवतरण
ब्रह्मशिरा अस्त्र
यह सब बाण-विद्या इस देश के लिये अतीत की घटना बन गयीं महाराज पृथ्वीराज के बाद बाण-विद्या का सर्वथा लोप हो गया। ये वे आयुध जो मन्त्रों से चलाये जाते हैं- ये दैवी हैं। प्रत्येक शस्त्र पर भिन्न-भिन्न देव या देवी का अधिकार होता है और मन्त्र-तन्त्र के द्वारा उसका संचालन होता है। वस्तुत: इन्हें दिव्य तथा मान्त्रिक-अस्त्र कहते हैं।