"महाभारत सामान्य ज्ञान 2": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) छो (Adding category Category:महाभारत सामान्य ज्ञान (को हटा दिया गया हैं।)) |
No edit summary |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
| | | | ||
<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{[[पाण्डव]] [[नकुल]] की माता का नाम क्या था? | |||
{[[पाण्डव]] [[नकुल]] की माता का नाम क्या था | |||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[कुंती]] | -[[कुंती]] | ||
पंक्ति 14: | पंक्ति 13: | ||
-[[जानकी]] | -[[जानकी]] | ||
-[[सुभद्रा]] | -[[सुभद्रा]] | ||
||मद्रदेश (आधुनिक [[पंजाब]]) के राजा | ||माद्री 'मद्रदेश' (आधुनिक [[पंजाब]]) के राजा 'ऋतायन' की पुत्री और [[शल्य]] की बहिन थीं, जो [[पांडव]] [[नकुल]] और [[सहदेव]] की माता थीं। भीष्म बहुत-सा धन देकर इस सुन्दरी को [[पाण्डु]] के लिये मांग लाये थे। माद्री पाण्डु की कुंती के बाद दूसरी पत्नी थीं। बाद के समय में माद्री ने [[कुन्ती]] को प्राप्त [[दुर्वासा]] के मन्त्र का उपयोग करके [[अश्विनीकुमार|अश्विनी कुमारों]] से 'नकुल' और 'सहदेव' नामक सुन्दर पुत्र प्राप्त किये थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[माद्री]] | ||
{[[अर्जुन]] ने [[जयद्रथ]] को कब तक मार देने की प्रतिज्ञा की थी? | {[[अर्जुन]] ने [[जयद्रथ]] को कब तक मार देने की प्रतिज्ञा की थी? | ||
पंक्ति 22: | पंक्ति 21: | ||
-सांयकाल से पहले | -सांयकाल से पहले | ||
-प्रातकाल से पहले | -प्रातकाल से पहले | ||
|| [[चित्र:Jaydrath-vadh.jpg|right| | ||[[चित्र:Jaydrath-vadh.jpg|right|100px|जयद्रथ वध]]चक्रव्यूह के 7वें चरण में [[अभिमन्यु]] को [[दुर्योधन]], [[जयद्रथ]] आदि सात महारथियों ने घेर लिया और उस पर टूट पड़े। जयद्रथ ने पीछे से निहत्थे अभिमन्यु पर ज़ोरदार प्रहार किया। वह वार इतना तीव्र था कि अभिमन्यु उसे सहन नहीं कर सका और वीरगति को प्राप्त हो गया। अभिमन्यु की मृत्यु का समाचार सुनकर [[अर्जुन]] क्रोध से पागल हो उठा। उसने प्रतिज्ञा की कि- 'यदि अगले दिन सूर्यास्त से पहले उसने जयद्रथ का वध नहीं किया तो वह आत्मदाह कर लेगा।'{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयद्रथ]] | ||
{[[कर्ण]] को अमोघ शक्ति प्रदान की थी | {[[कर्ण]] को अमोघ शक्ति किसने प्रदान की थी? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[सूर्यदेव|सूर्य]] | -[[सूर्यदेव|सूर्य]] | ||
पंक्ति 30: | पंक्ति 29: | ||
+[[इन्द्र]] | +[[इन्द्र]] | ||
-[[वरुण देवता|वरुण]] | -[[वरुण देवता|वरुण]] | ||
||[[ | ||कर्ण की दानशीलता की ख्याति सुनकर [[इन्द्र]] उनके पास 'कवच-कुण्डल' माँगने आये। कर्ण ने अपने [[पिता]] [[सूर्य देव]] के द्वारा इन्द्र की मंशा का रहस्य जानते हुए भी 'कवच-कुण्डल' दान दे दिये। इन्द्र ने इसके बदले में कर्ण को एक बार प्रयोग के लिए अपनी अमोघ शक्ति दे दी। उससे किसी का भी वध निश्चित था। कर्ण उस शक्ति का प्रयोग [[अर्जुन]] पर करना चाहते थे, किन्तु [[दुर्योधन]] के निर्देश पर उन्होंने उसका प्रयोग [[भीम]] के पुत्र [[घटोत्कच]] पर किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[इन्द्र]] | ||
{[[बलराम]] की पत्नी | {निम्नलिखित में से कौन [[बलराम]] की पत्नी थीं? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[रुक्मणी]] | -[[रुक्मणी]] | ||
+रेवती | +[[रेवती (बलराम की पत्नी)|रेवती]] | ||
-रम्भा | -[[रम्भा]] | ||
- | -[[सुभद्रा]] | ||
||'रेवती' महाराज रेवत की कन्या और [[बलराम]] की पत्नी थीं। रेवत अपने सौ भाइयों में सबसे बड़ा था। उसकी पुत्री का नाम रेवती था। महाराज रेवत अपनी पुत्री रेवती को लेकर [[ब्रह्मा]] के पास गये। वह उसके लिए योग्य वर की खोज में थे। उस समय हाहा, हूहू नामक दो [[गंधर्व]] गान प्रस्तुत कर रहे थे। गान समाप्त होने के उपरांत उन्होंने ब्रह्मा से इच्छित प्रश्न पूछा। ब्रह्मा ने कहा- "यह गान, जो तुम्हें अल्पकालिक लगा, वह चतुर्युग तक चला। जिन वरों की तुम चर्चा कर रहे हो, उनके पुत्र-पौत्र भी अब जीवित नहीं हैं। तुम [[विष्णु]] के साथ इसका पाणिग्रहण कर दो। वह बलराम के रूप में अवतरित हैं।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रेवती (बलराम की पत्नी)|रेवती]] | |||
{[[कृष्ण]] के वंश का क्या नाम था? | {[[कृष्ण]] के वंश का क्या नाम था? | ||
पंक्ति 46: | पंक्ति 46: | ||
+भीमसात्वत | +भीमसात्वत | ||
{[[पाण्डव|पाण्डवों]] की ओर से लड़ने वाला [[कौरव]] था? | {[[महाभारत]] युद्ध में [[पाण्डव|पाण्डवों]] की ओर से लड़ने वाला [[कौरव]] कौन था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+ | +[[युयुत्सु]] | ||
-[[दु:शासन]] | -[[दु:शासन]] | ||
-[[लक्ष्मण]] | -[[लक्ष्मण]] | ||
-[[शिशुपाल]] | -[[शिशुपाल]] | ||
{[[पाण्डव|पाण्डवों]] के लिए | {[[श्रीकृष्ण]] ने [[पाण्डव|पाण्डवों]] के लिए [[दुर्योधन]] से क्या माँगा था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[इन्द्रप्रस्थ]] | -[[इन्द्रप्रस्थ]] | ||
पंक्ति 59: | पंक्ति 59: | ||
+पाँच ग्राम | +पाँच ग्राम | ||
-[[कुरुक्षेत्र]] | -[[कुरुक्षेत्र]] | ||
||धर्मराज [[युधिष्ठिर]] 'सात अक्षौहिणी' सेना के स्वामी होकर कौरवों के साथ युद्ध करने को तैयार हुए। पहले भगवान श्रीकृष्ण परम क्रोधी दुर्योधन के पास दूत बनकर गये। उन्होंने 'ग्यारह अक्षौहिणी' सेना के स्वामी राजा दुर्योधन से कहा- "तुम युधिष्ठिर को आधा राज्य दे दो या उन्हें 'पाँच गाँव' ही अर्पित कर दो; नहीं तो उनके साथ युद्ध करो।" श्रीकृष्ण की बात सुनकर दुर्योधन ने कहा- "मैं उन्हें सुई की नोक के बराबर भी भूमि नहीं दूँगा; हाँ, पाण्डवों से युद्ध अवश्य ही करूँगा।" ऐसा कहकर वह भगवान श्रीकृष्ण को बंदी बनाने के लिये उद्यत हो गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रेवती (बलराम की पत्नी)|रेवती]] | |||
{[[महाभारत]] में [[बलराम]] की भूमिका क्या थी? | {[[महाभारत]] में [[बलराम]] की भूमिका क्या थी? |
11:16, 10 फ़रवरी 2012 का अवतरण
सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान
पन्ने पर जाएँ
|
पन्ने पर जाएँ
सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान