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<p>1938 ई. में उन्हें सेना में कमीशन मिला और द्वितीय विश्वयुद्ध के समय वे पूर्वी मोर्चे पर थे। डिफेंस कॉलेज के प्रशिक्षण के बाद वे मेजर जनरल के रूप में तोपखाना डिवीजन के कमाण्डर बने। 1964 में जनरल ऑफ़ीसर कमांडिंग के रूप में उनको पूर्वी कमान की ज़िम्मेदारी सौंप दी गई। उस समय के पूर्वी पाकिस्तान में वहाँ की सेना के अत्याचारों से त्रसित लगभग एक करोड़ बंगाल निवासियों को भारत में शरण लेने के लिए बाध्य होना पड़ा, तो भारत वहाँ की 'मुक्ति सेना' की सहायता के लिए आगे बढ़ा। इस पर पाकिस्तान ने आक्रमण कर दिया। इस युद्ध में लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह का साहस और रण कौशल सामने आया। पाकिस्तान की लगभग एक लाख सेना को चारों ओर से घेरकर और उस पर सैनिक और मनोवैज्ञानिक दबाव डालकर उन्होंने उसे आत्मसमर्पण के लिए बाध्य कर दिया। पाकिस्तान के सेनानायक लेफ्टिनेंट जनरल नियाज़ी को समर्पण पत्र पर हस्ताक्षर करके जगजीत सिंह के सामने झुकना पड़ा और नया देश 'बांग्लादेश' अस्तित्त्व में आया। जगजीत अरोड़ा के सेना नायकत्त्व में यह भारत की एक बड़ी सफलता थी। 80 हज़ार से अधिक पाकिस्तानी सैनिक बन्दी बनाकर भारत लाए गए थे।</p>
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||[[चित्र:Bg-landscape.jpg|500px]]<div style="position: relative; left: 0px; top: -306px; height: 0px; padding:5px">वाराणसी, बनारस या काशी भी कहलाता है। वाराणसी दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश राज्य, उत्तरी-मध्य भारत में गंगा नदी के बाएँ तट पर स्थित है और हिन्दुओं के सात पवित्र नगरों में से एक है।वाराणसी का पुराना नाम काशी है। वाराणसी विश्व का प्राचीनतम बसा हुआ शहर है। यह [[गंगा नदी]] के किनारे बसा है और हज़ारों साल से उत्तर भारत का धार्मिक एवं सांस्कृतिक केन्द्र रहा है। दो नदियों वरुणा और असि के मध्य बसा होने के कारण इसका नाम वाराणसी पड़ा।बनारस या वाराणसी का नाम पुराणों, रामायण, [[महाभारत]] जैसे अनेकानेक ग्रन्थों में मिलता है। वेदों में भी काशी का उल्लेख है। संस्कृत पढ़ने प्राचीन काल से ही लोग वाराणसी आया करते थे। वाराणसी के घरानों की हिन्दुस्तानी संगीत में अपनी ही शैली है।
 
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12:55, 12 फ़रवरी 2012 का अवतरण

वाराणसी, बनारस या काशी भी कहलाता है। वाराणसी दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश राज्य, उत्तरी-मध्य भारत में गंगा नदी के बाएँ तट पर स्थित है और हिन्दुओं के सात पवित्र नगरों में से एक है।वाराणसी का पुराना नाम काशी है। वाराणसी विश्व का प्राचीनतम बसा हुआ शहर है। यह गंगा नदी के किनारे बसा है और हज़ारों साल से उत्तर भारत का धार्मिक एवं सांस्कृतिक केन्द्र रहा है। दो नदियों वरुणा और असि के मध्य बसा होने के कारण इसका नाम वाराणसी पड़ा।बनारस या वाराणसी का नाम पुराणों, रामायण, महाभारत जैसे अनेकानेक ग्रन्थों में मिलता है। वेदों में भी काशी का उल्लेख है। संस्कृत पढ़ने प्राचीन काल से ही लोग वाराणसी आया करते थे। वाराणसी के घरानों की हिन्दुस्तानी संगीत में अपनी ही शैली है।