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'''पिल्लालमर्री''' [[आंध्र प्रदेश]] के नालागोंडा में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है। यह  मन्दिर स्तंभों पर सुन्दर नक़्क़ाशी और दीवारों पर मनोरम चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर [[पुरातत्त्व]]-विभाग के संरक्षण में हैं।  
'''पिल्लालमर्री''' [[आंध्र प्रदेश]] के नालागोंडा में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है। यह  मन्दिर स्तंभों पर सुन्दर नक़्क़ाशी और दीवारों पर मनोरम चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर [[पुरातत्त्व]]-विभाग के संरक्षण में हैं।  
*पिल्लालमर्री में काकतीय नरेशों के समय के प्राचीन मन्दिर हैं, जो अब [[पुरातत्त्व]]-विभाग के संरक्षण में हैं।  
*पिल्लालमर्री में काकतीय नरेशों के समय के प्राचीन मन्दिर हैं, जो अब [[पुरातत्त्व]]-विभाग के संरक्षण में हैं।  
*पिल्लालमर्री के मन्दिरों के स्तंभों पर सुन्दर नक्काशी और दीवारों पर मनोरम चित्रकारी की गई है।  
*पिल्लालमर्री के मन्दिरों के स्तंभों पर सुन्दर नक़्क़ाशी और दीवारों पर मनोरम चित्रकारी की गई है।  
*पिल्लालमर्री स्थान [[वारंगल]] की राजसभा के प्रसिद्ध राजकवि वीरभद्रकवि का जन्म स्थान है।  
*पिल्लालमर्री स्थान [[वारंगल]] की राजसभा के प्रसिद्ध राजकवि वीरभद्रकवि का जन्म स्थान है।  
*पिल्लालमर्री से कई [[अभिलेख]] भी प्राप्त हुए हैं, जिनमें गणपति नामक राजा का कन्नड़-तेलुगु अभिलेख<ref>1130 शक सं. 1203ई.</ref> और राजा रुद्रदेव का अभिलेख<ref>1117 शक सं.</ref> उल्लेखनीय हैं।  
*पिल्लालमर्री से कई [[अभिलेख]] भी प्राप्त हुए हैं, जिनमें गणपति नामक राजा का कन्नड़-तेलुगु अभिलेख<ref>1130 शक सं. 1203ई.</ref> और राजा रुद्रदेव का अभिलेख<ref>1117 शक सं.</ref> उल्लेखनीय हैं।  

11:59, 16 फ़रवरी 2012 का अवतरण

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पिल्लालमर्री आंध्र प्रदेश के नालागोंडा में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है। यह मन्दिर स्तंभों पर सुन्दर नक़्क़ाशी और दीवारों पर मनोरम चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर पुरातत्त्व-विभाग के संरक्षण में हैं।

  • पिल्लालमर्री में काकतीय नरेशों के समय के प्राचीन मन्दिर हैं, जो अब पुरातत्त्व-विभाग के संरक्षण में हैं।
  • पिल्लालमर्री के मन्दिरों के स्तंभों पर सुन्दर नक़्क़ाशी और दीवारों पर मनोरम चित्रकारी की गई है।
  • पिल्लालमर्री स्थान वारंगल की राजसभा के प्रसिद्ध राजकवि वीरभद्रकवि का जन्म स्थान है।
  • पिल्लालमर्री से कई अभिलेख भी प्राप्त हुए हैं, जिनमें गणपति नामक राजा का कन्नड़-तेलुगु अभिलेख[1] और राजा रुद्रदेव का अभिलेख[2] उल्लेखनीय हैं।
  • पिल्लालमर्री स्थान से काकतीय नरेशों के अनेक सिक्के भी प्राप्त हुए हैं।



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1130 शक सं. 1203ई.
  2. 1117 शक सं.

बाहरी कड़ियाँ

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