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'''एलिफेंटा की गुफ़ाएँ''' [[महाराष्ट्र]] राज्य के [[मुंबई]] शहर में स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं। ये गुफ़ाएँ मुंबई से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।एलिफेंटा की गुफ़ाएँ मुम्‍बई महानगर के पास स्थित पर्यटकों का एक बड़ा आकर्षण केन्‍द्र हैं। एलिफेंटा की गुफ़ाएँ 7 गुफ़ाओं का सम्मिश्रण हैं, जिनमें से सबसे महत्‍वपूर्ण है महेश मूर्ति गुफ़ा।
*ये गुफ़ाएँ मुंबई से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
 
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[[पुर्तगाल]] के यात्री वाँन लिंसकोटन के 'डिस्कोर्स आव वायेजेज' नामक [[ग्रंथ]] से सूचित होता है कि 16वीं शती में (1579 ई. के लगभग) यह द्वीप पोरी अथवा पुरी नाम से प्रसिद्ध था। द्वीप की पहाड़ियों में 5वीं-6वीं शती ई. में बनी हुई और पहाड़ियों के पार्श्व में तराशी हुई पांच गुफाएं हैं। इनमें [[हिंदू धर्म]] से संबंधित अनेक मूर्तियां, विशेषकर, [[शिव]] की मूर्तियां [[गुप्तकाल|गुप्तकालीन]] कला के उत्तम उदाहरण हैं। इन गुफ़ाओं को घारापुरी के पुराने नाम से जाना जाता है जो कोंकणी मौर्य की द्वीप राजधानी थी।
*इन गुफ़ाओं को घारापुरी के पुराने नाम से जाना जाता है जो कोंकणी मौर्य की द्वीप राजधानी थी।
 
*एलिफेंटा की गुफ़ाएँ में चट्टानों को काट कर मूर्तियाँ बनाई गई है।
पुर्तगालियों ने इसका उल्लेख भी किया है। एलिफेंटा पर 16वीं शती में मुम्बई तट पर बसने वाले पुर्तगालियों का अधिकार था। इन कलाशून्य व्यापारियों ने इस द्वीप की सुंदर गुफाओं का गोशालाओं, चारा रखने के गोदामों, यहां तक कि चांदमारी के लिए प्रयोग करके इनका कलावैभव नष्टप्राय कर दिया। 16वीं शती ई. तक राजघाट नामक स्थान पर [[हाथी]] की एक विशाल मूर्ति अवस्थित थी। इसी कारण पुर्तगालियों ने द्वीप को एलिफेंटा का नाम दिया था।
*इस गुफ़ा के बाहर बहुत ही मज़बूत चट्टान भी है।  
 
*एलिफेंटा की गुफ़ाएँ 7 गुफ़ाओं का सम्मिश्रण हैं, जिनमें से सबसे महत्‍वपूर्ण है महेश मूर्ति गुफ़ा।
एलिफेंटा की गुफ़ाएँ के पर्वत पर भगवान [[शिव]] की मूर्ति भी है। मंदिर में एक बड़ा हॉल है जिसमें भगवान शिव की नौ मूर्तियों के खण्ड विभिन्न मुद्राओं को प्रस्तुत करते हैं। इस गुफ़ा में शिल्‍प कला के कक्षो में अर्धनारीश्‍वर, कल्‍याण सुंदर शिव, [[रावण]] द्वारा [[कैलाश पर्वत]] को ले जाने, अंधकारी मूर्ति और [[नटराज]] शिव की उल्‍लेखनीय छवियाँ दिखाई गई हैं। एलिफेंटा में भगवान शंकर के कई लीलारूपों की मूर्तिकारी, एलौरा और अजंता की मूर्तिकला के समकक्ष ही है। एलिफेंटा की गुफ़ाएँ में चट्टानों को काट कर मूर्तियाँ बनाई गई है।
*एलिफेंटा की गुफ़ाएँ के पर्वत पर भगवान [[शिव]] की मूर्ति भी है।
 
*इसके अलावा यहाँ एक मंदिर भी है जिसके भीतर गुफ़ा बनी हुई है।
इस गुफ़ा के बाहर बहुत ही मज़बूत चट्टान भी है। इसके अलावा यहाँ एक मंदिर भी है जिसके भीतर गुफ़ा बनी हुई है। एलिफेंटा की गुफ़ाएँ से हर तीस मिनट के बाद एक नाव जाती है जो केवल सुबह के नौ बजे से लेकर दोपहर के बारह बजे के बीच ही चलती है। अपोलो बंडर से एलीफेंटा के बीच नाव चलने का समय दोपहर के एक बजे से लेकर शाम बजे के बीच वापस आती है।
*मंदिर में एक बड़ा हॉल है जिसमें भगवान शिव की नौ मूर्तियों के खण्ड विभिन्न मुद्राओं को प्रस्तुत करते हैं।  
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*अपोलो बंडर से एलीफेंटा के बीच नाव चलने का समय दोपहर के एक बजे से लेकर शाम बजे के बीच वापस आती है।


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07:46, 6 मार्च 2012 का अवतरण

एलिफेंटा की गुफ़ाएँ
एलीफेंटा की गुफ़ाएँ, मुम्बई
एलीफेंटा की गुफ़ाएँ, मुम्बई
विवरण एलिफेंटा की गुफ़ाएँ मुम्बई महानगर के पास स्थित पर्यटकों का एक बड़ा आकर्षण केन्‍द्र हैं।
राज्य महाराष्ट्र
ज़िला मुम्बई
निर्माण काल छठी शताब्दी
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 18°57′30″; पूर्व- 72°55′50″
मार्ग स्थिति एलिफेंटा की गुफ़ाएँ मुंबई से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
प्रसिद्धि 1987 में एलिफेंटा की गुफ़ाएँ को विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल किया गया था।
कब जाएँ नवम्बर से मार्च
कैसे पहुँचें जलयान, हवाई जहाज़, रेल, बस आदि से पहुँचा जा सकता है।
हवाई अड्डा छ्त्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र
रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी टर्मिनस
यातायात ऑटो-रिक्शा, टैक्सी, सिटी बस
कहाँ ठहरें होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह
एस.टी.डी. कोड 022
ए.टी.एम लगभग सभी
गूगल मानचित्र
संबंधित लेख कन्हेरी गुफ़ाएँ, गेटवे ऑफ़ इंडिया, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, जुहू चौपाटी, जोगेश्‍वरी गुफ़ा, ताजमहल होटल, तारापोरवाला एक्वेरियम


अन्य जानकारी एलिफेंटा की गुफ़ाएँ के लिये हर तीस मिनट पर एक नाव जाती है जो केवल सुबह के नौ बजे से लेकर दोपहर के बारह बजे के बीच ही चलती है।
अद्यतन‎

एलिफेंटा की गुफ़ाएँ महाराष्ट्र राज्य के मुंबई शहर में स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं। ये गुफ़ाएँ मुंबई से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।एलिफेंटा की गुफ़ाएँ मुम्‍बई महानगर के पास स्थित पर्यटकों का एक बड़ा आकर्षण केन्‍द्र हैं। एलिफेंटा की गुफ़ाएँ 7 गुफ़ाओं का सम्मिश्रण हैं, जिनमें से सबसे महत्‍वपूर्ण है महेश मूर्ति गुफ़ा।

पुर्तगाल के यात्री वाँन लिंसकोटन के 'डिस्कोर्स आव वायेजेज' नामक ग्रंथ से सूचित होता है कि 16वीं शती में (1579 ई. के लगभग) यह द्वीप पोरी अथवा पुरी नाम से प्रसिद्ध था। द्वीप की पहाड़ियों में 5वीं-6वीं शती ई. में बनी हुई और पहाड़ियों के पार्श्व में तराशी हुई पांच गुफाएं हैं। इनमें हिंदू धर्म से संबंधित अनेक मूर्तियां, विशेषकर, शिव की मूर्तियां गुप्तकालीन कला के उत्तम उदाहरण हैं। इन गुफ़ाओं को घारापुरी के पुराने नाम से जाना जाता है जो कोंकणी मौर्य की द्वीप राजधानी थी।

पुर्तगालियों ने इसका उल्लेख भी किया है। एलिफेंटा पर 16वीं शती में मुम्बई तट पर बसने वाले पुर्तगालियों का अधिकार था। इन कलाशून्य व्यापारियों ने इस द्वीप की सुंदर गुफाओं का गोशालाओं, चारा रखने के गोदामों, यहां तक कि चांदमारी के लिए प्रयोग करके इनका कलावैभव नष्टप्राय कर दिया। 16वीं शती ई. तक राजघाट नामक स्थान पर हाथी की एक विशाल मूर्ति अवस्थित थी। इसी कारण पुर्तगालियों ने द्वीप को एलिफेंटा का नाम दिया था।

एलिफेंटा की गुफ़ाएँ के पर्वत पर भगवान शिव की मूर्ति भी है। मंदिर में एक बड़ा हॉल है जिसमें भगवान शिव की नौ मूर्तियों के खण्ड विभिन्न मुद्राओं को प्रस्तुत करते हैं। इस गुफ़ा में शिल्‍प कला के कक्षो में अर्धनारीश्‍वर, कल्‍याण सुंदर शिव, रावण द्वारा कैलाश पर्वत को ले जाने, अंधकारी मूर्ति और नटराज शिव की उल्‍लेखनीय छवियाँ दिखाई गई हैं। एलिफेंटा में भगवान शंकर के कई लीलारूपों की मूर्तिकारी, एलौरा और अजंता की मूर्तिकला के समकक्ष ही है। एलिफेंटा की गुफ़ाएँ में चट्टानों को काट कर मूर्तियाँ बनाई गई है।

इस गुफ़ा के बाहर बहुत ही मज़बूत चट्टान भी है। इसके अलावा यहाँ एक मंदिर भी है जिसके भीतर गुफ़ा बनी हुई है। एलिफेंटा की गुफ़ाएँ से हर तीस मिनट के बाद एक नाव जाती है जो केवल सुबह के नौ बजे से लेकर दोपहर के बारह बजे के बीच ही चलती है। अपोलो बंडर से एलीफेंटा के बीच नाव चलने का समय दोपहर के एक बजे से लेकर शाम बजे के बीच वापस आती है।

एलिफेंटा की गुफ़ाएँ, मुम्बई


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