"भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन": अवतरणों में अंतर
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! अंतरिक्ष उपग्रह | ! अंतरिक्ष उपग्रह | ||
! प्रक्षेपित उपग्रह | |||
! दिनांक | ! दिनांक | ||
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| पीएसएलवी-डी1 आईआरएस-1ई | | पीएसएलवी-डी1 | ||
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| 20 सितंबर 1993 | | 20 सितंबर 1993 | ||
| विफल। | | विफल। | ||
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| पीएसएलवी-डी2 आईआरएस-पी2 | | पीएसएलवी-डी2 | ||
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| 15 अक्टूबर 1994 | | 15 अक्टूबर 1994 | ||
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| पीएसएलवी-डी3 आईआरएस-पी3 | | पीएसएलवी-डी3 | ||
| आईआरएस-पी3 | |||
| 21 मार्च 1996 | | 21 मार्च 1996 | ||
| सफल | | सफल | ||
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| पीएसएलवी-सी1 आईआरएस-1डी | | पीएसएलवी-सी1 | ||
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| 29 सितंबर 1997 | | 29 सितंबर 1997 | ||
| सफल | | सफल | ||
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| पीएसएलवी-सी1 ओशियनसैट और दो अन्य उपग्रह | | पीएसएलवी-सी1 | ||
| ओशियनसैट और दो अन्य उपग्रह | |||
| 26 मई 1999 | | 26 मई 1999 | ||
| सफल | | सफल | ||
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| पीएसएलवी-सी3 टीईएस | | पीएसएलवी-सी3 | ||
| टीईएस | |||
| 22 अक्टूबर 2001 | | 22 अक्टूबर 2001 | ||
| सफल | | सफल | ||
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| पीएसएलवी-सी4 कल्पना-1 | | पीएसएलवी-सी4 | ||
| कल्पना-1 | |||
| 12 सितंबर 2002 | | 12 सितंबर 2002 | ||
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| पीएसएलवी-सी5 रिसोर्ससैट-1 | | पीएसएलवी-सी5 | ||
| रिसोर्ससैट-1 | |||
| 17 अक्टूबर 2003 | | 17 अक्टूबर 2003 | ||
| सफल | | सफल | ||
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| पीएसएलवी-सी6 काटरेसैट-1 और हैमसैट | | पीएसएलवी-सी6 | ||
| काटरेसैट-1 और हैमसैट | |||
| 5 मई 2005 | | 5 मई 2005 | ||
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| पीएसएलवी-सी7 काटरेसैट-2 और तीन अन्य उपग्रह | | पीएसएलवी-सी7 | ||
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| 10 जनवरी 2007 | | 10 जनवरी 2007 | ||
| सफल | | सफल | ||
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| पीएसएलवी-सी8 एजाइल | | पीएसएलवी-सी8 | ||
| एजाइल | |||
| 23 अप्रैल 2007 | | 23 अप्रैल 2007 | ||
| सफल | | सफल | ||
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| पीएसएलवी-सी10 टीईसीएसएएआर | | पीएसएलवी-सी10 | ||
| टीईसीएसएएआर | |||
| 23 जनवरी 2008 | | 23 जनवरी 2008 | ||
| सफल | | सफल | ||
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| पीएसएलवी-सी9 काटरेसैट- 2ए | | पीएसएलवी-सी9 | ||
आईएमएस-1 और आठ नैनो उपग्रह | | काटरेसैट- 2ए, आईएमएस-1 और आठ नैनो उपग्रह | ||
| 28 अप्रैल 2008 | | 28 अप्रैल 2008 | ||
| सफल | | सफल | ||
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| पीएसएलवी-सी11 चंद्रयान-1 | | पीएसएलवी-सी11 | ||
| चंद्रयान-1 | |||
| 22 अक्टूबर 2008 | | 22 अक्टूबर 2008 | ||
| सफल | | सफल | ||
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| पीएसएलवी-सी12 आरआईसैट-2 और एएनयूसैट | | पीएसएलवी-सी12 | ||
| आरआईसैट-2 और एएनयूसैट | |||
| 20 अप्रैल 2009 | | 20 अप्रैल 2009 | ||
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| पीएसएलवी-सी14 ओशियनसैट-2 और छह अन्य उपग्रह | | पीएसएलवी-सी14 | ||
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| 12 जुलाई 2010 | | 12 जुलाई 2010 | ||
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| पीएसएलवी-सी16 रिसोर्ससैट-2 और दो अन्य उपग्रह | | पीएसएलवी-सी16 | ||
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| 20 अप्रैल 2011 | | 20 अप्रैल 2011 | ||
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| पीएसएलवी-सी17 | |||
| जीसैट-12 | |||
| 15 जुलाई, 2011 | |||
| सफल | |||
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| पीएसएलवी-सी18 | |||
| मेघा-ट्रॉपिक्स, जुगुनू, एसआरएमसैट और वेसेलसैट-1 | |||
| 12 अक्तूबर 2011 | |||
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11:06, 15 मार्च 2012 का अवतरण
![](/w/images/thumb/a/a1/Isro-logo.jpg/250px-Isro-logo.jpg)
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है जिसका मुख्यालय कर्नाटक प्रान्त की राजधानी बंगलुरू में है। संस्थान में लगभग 17,000 कर्मचारी एवं वैज्ञानिक कार्यरत हैं। संस्थान का मुख्य कार्य भारत के लिये अंतरिक्ष संबधी तकनीक उपलब्ध करवाना है। अन्तरिक्ष कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों में उपग्रहों, प्रमोचक यानों, परिज्ञापी राकेटों और भू-प्रणालियों का विकास शामिल है।
स्थापना
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की स्थापना 1969 में की गई। भारत सरकार द्वारा 1972 में 'अंतरिक्ष आयोग' और 'अंतरिक्ष विभाग' के गठन से अंतरिक्ष शोध गतिविधियों को अतिरिक्त गति प्राप्त हुई। 'इसरो' को अंतरिक्ष विभाग के नियंत्रण में रखा गया। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास में 70 का दशक प्रयोगात्मक युग था जिस दौरान 'आर्यभट्ट', 'भास्कर', 'रोहिणी' तथा 'एप्पल' जैसे प्रयोगात्मक उपग्रह कार्यक्रम चलाए गए। इन कार्यक्रमों की सफलता के बाद 80 का दशक संचालनात्मक युग बना जबकि 'इन्सेट' तथा 'आईआरएस' जैसे उपग्रह कार्यक्रम शुरू हुए। आज इन्सेट तथा आईआरएस इसरो के प्रमुख कार्यक्रम हैं। अंतरिक्ष यान के स्वदेश में ही प्रक्षेपण के लिए भारत का मज़बूत प्रक्षेपण यान कार्यक्रम है। यह अब इतना परिपक्व हो गया है कि प्रक्षेपण की सेवाएं अन्य देशों को भी उपलब्ध कराता है। इसरो की व्यावसायिक शाखा एंट्रिक्स, भारतीय अंतरिक्ष सेवाओं का विपणन विश्व भर में करती है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की ख़ास विशेषता अंतरिक्ष में जाने वाले अन्य देशों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और विकासशील देशों के साथ प्रभावी सहयोग है।
उद्देश्य
- इसरो का उद्देश्य है, विभिन्न राष्ट्रीय कार्यों के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और उसके उपयोगों का विकास।
- इसरो ने दो प्रमुख अंतरिक्ष प्रणालियाँ स्थापित की हैं-
- संचार, दूरदर्शन प्रसारण और मौसम विज्ञानीय सेवाओं के लिए इन्सैट
- और संसाधन मॉनीटरन तथा प्रबंधन के लिए भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह (आईआरएस)।
- इसरो ने इन्सैट और आईआरएस उपग्रहों को अपेक्षित कक्षा में स्थापित करने के लिए पीएसएलवी और जीएसएलवी, दो उपग्रह प्रमोचन यान विकसित किए हैं।
- तदनुसार, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने दो प्रमुख उपग्रह प्रणालियाँ, यथा संचार सेवाओं के लिए भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (इन्सैट) और प्राकृतिक संपदा प्रबंधन के लिए भारतीय सुदूर संवेदन (आईआरएस) का, साथ ही, आईआरएस प्रकार के उपग्रहों के प्रमोचन के लिए ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान (पीएसएलवी) और इन्सैट प्रकार के उपग्रहों के प्रमोचन के लिए भूस्थिर उपग्रह प्रमोचन यान (जीएसएलवी) का सफलतापूर्वक प्रचालनीकरण किया है।[1]
महत्वपूर्ण प्रायोगिक परीक्षण[2]
साईट
उपग्रह शैक्षणिक दूरदर्शन परीक्षण (साईट) एक मास कम्युनिकेशन या जन संचार परीक्षण था। इसके अंतर्गत देश के छह राज्यों के 2500 गांवों में अमरीकी उपग्रह ए टी एस-6 के इस्तेमाल से शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवार नियोजन आदि विषयों पर ग्रामीण लोगों को टेलीविजन कार्यक्रमों के माध्यम से जागरुक बनाया गया। यह परीक्षण 1 जुलाई 1975 से 31 जुलाई 1976 तक चला।
स्टेप परीक्षण
1977-79 में उपग्रह दूरसंचार परीक्षण परियोजना के दौरान फ़्रांस और जर्मनी के उपग्रह सिम्फोनी का प्रयोग किया गया। इसके माध्यम से संचार के क्षेत्र के कई महत्वपूर्ण परीक्षण पूरे किए गए। स्टेप परीक्षण ने घरेलू दूरसंचार के लिए एक भू स्थिर उपग्रह तंत्र के प्रचालन का मौका दिया। इससे भू इन्फ्रास्ट्रक्चर के डिजाइन में मदद मिली।
एप्पल
इसका पूरा नाम एरियन पैसेंजर पेलोड एक्सपेरीमेंट था। यह भारत में निर्मित पहला संचार उपग्रह था। यह प्रायोगिक संचार उपग्रह था, जिसमें केवल सी-बैंड ट्रांसपांडर थे। इसकी लॉन्चिंग 19 जून 1981 को यूरोपीय अंतरिक्ष संस्था के एरियन राकेट से की गई। यह एक बेलनाकार उपग्रह था। इसका वजन 350 किलोग्राम था। इस उपग्रह के इस्तेमाल से टेलीविजन कार्यक्रमों के प्रेषण और रेडियो नेटवर्किंग जैसे संचार परीक्षण किए गए।
आर्यभट्ट उपग्रह
भारत का पहला उपग्रह था। इसका नामकरण भारत के प्राचीन गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर किया गया। इसे 19 अप्रॅल 1975 को रूस के लॉन्चिंग स्टेशन कपूस्टिन यार से लॉन्च किया गया। इस उपग्रह का निर्माण एक्स रे खगोलिकी वायुगतिकी और सौर भौतिकी पर परीक्षण करने के लिए किया गया था।
भास्कर उपग्रह
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत भास्कर-1 और भास्कर-2 का निर्माण किया गया। ये देश के पहले निम्न भू कक्षा प्रेक्षण उपग्रह थे। दोनों उपग्रहों को रूस के लॉन्चिंग स्टेशन कपूस्टिन यार से छोड़ा गया। इन्हें क्रमश: 7 जून 1979 और 20 नवंबर 1981 को छोड़ा गया था। दोनों उपग्रहों ने समुद्र विज्ञान, जल विज्ञान आदि से जुड़े कई आंकड़े इकट्ठे किए।
रोहिणी उपग्रह
यह एक उपग्रह श्रृंखला का नाम है। इसकी लॉन्चिंग इसरो ने ही की थी। रोहिणी प्रथम का इस्तेमाल लॉन्चिंग यान एसएलवी-3 के निष्पादन के मापन के लिए किया गया था। रोहिणी-2 और रोहिणी-3 उपग्रहों में लैंड मार्क संवेदक नीतभार लगाए गए थे।
इसरो के प्रमुख केंद्र[2]
- जोधपुर- पश्चिमी आरआरएसएससी
- उदयपुर- सौर वेधशाला
- भोपाल- इनसैट मुख्य नियंत्रण सुविधा
- अहमदाबाद- अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, विकास और शैक्षिक संचार यूनिट
- बैंगलोर- अंतरिक्ष आयोग, अंतरिक्ष विभाग, इसरो मुख्यालय, इनसेट कार्यक्रम कार्यालय, सिविल इंजीनियरिंग प्रभाग, अंतरिक्ष कारपोरेशन, इसरो उपग्रह केंद्र, द्रव नोदन प्रणाली केंद्र, इस्टै्रक, दक्षिणी आरआरएसएससी, एनएनआरएमएस सचिवालय
- हासन- इनसैट मुख्य नियंत्रण सुविधा
- अलुवा- अमोनियम प्रक्लोरेट प्रायोगिक संयंत्र
- तिरुवनंतपुरम- विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, द्रव नोदन प्रणाली केंद्र, इसरो जड़त्वीय प्रणाली केंद्र
- देहरादून- भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, उत्तरी आरआरएसएससी
- नई दिल्ली- अंतरिक्ष विभाग शाखा सचिवालय, इसरो शाखा कार्यालय, दिल्ली पृथ्वी स्टेशन
- लखनऊ- इस्ट्रैक भू-केंद्र
- खड़गपुर- पूर्वी आरआरएसएससी
- नागपुर- मध्य आरआरएसएससी
- हैदराबाद- राष्ट्रीय सुदूर संवेदन एजेंसी
- तिरुपति- एनएमएसटी रडार सुविधा
- श्रीहरिकोटा- सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, शार केंद्र
- महेंद्रगिरि- द्रव नोदन जांच सुविधा केंद्र
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रणेता[2]
- डॉ. विक्रम साराभाई- 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद में जन्मे विक्रम इसरो के पहले चैयरमेन थे।
- डॉ. सतीश धवन- वे 1972 में इसरो के चेयरमैन बने। लंबे कार्यकाल के दौरान देश के अंतरिक्ष कार्यक्रमों ने लंबी छलांग लगाई।
- प्रो. यू. आर. राव- अंतरिक्ष वैज्ञानिक और इसरो के भूतपूर्व चेयरमैन। आर्यभट्ट, एप्पल, इनसैट और आईआरएस तंत्र के विकास में अहम भूमिका।
- डॉ. के. कस्तूरीरंगन- इसरो के भूतपूर्व चेयरमैन जिन्होंने 9 साल तक अंतरिक्ष कार्यक्रम को संभाला।
- जी माधवन नायर- इसरो के वर्तमान में चेयरमैन। वे राकेट तंत्रों के क्षेत्र में मशहूर तकनीकी विशेषज्ञ हैं।
प्रमुख उपलब्धियाँ
अंतरिक्ष उपग्रह | प्रक्षेपित उपग्रह | दिनांक | परिणाम |
---|---|---|---|
पीएसएलवी-डी1 | आईआरएस-1ई | 20 सितंबर 1993 | विफल। |
पीएसएलवी-डी2 | आईआरएस-पी2 | 15 अक्टूबर 1994 | सफल |
पीएसएलवी-डी3 | आईआरएस-पी3 | 21 मार्च 1996 | सफल |
पीएसएलवी-सी1 | आईआरएस-1डी | 29 सितंबर 1997 | सफल |
पीएसएलवी-सी1 | ओशियनसैट और दो अन्य उपग्रह | 26 मई 1999 | सफल |
पीएसएलवी-सी3 | टीईएस | 22 अक्टूबर 2001 | सफल |
पीएसएलवी-सी4 | कल्पना-1 | 12 सितंबर 2002 | सफल |
पीएसएलवी-सी5 | रिसोर्ससैट-1 | 17 अक्टूबर 2003 | सफल |
पीएसएलवी-सी6 | काटरेसैट-1 और हैमसैट | 5 मई 2005 | सफल |
पीएसएलवी-सी7 | काटरेसैट-2 और तीन अन्य उपग्रह | 10 जनवरी 2007 | सफल |
पीएसएलवी-सी8 | एजाइल | 23 अप्रैल 2007 | सफल |
पीएसएलवी-सी10 | टीईसीएसएएआर | 23 जनवरी 2008 | सफल |
पीएसएलवी-सी9 | काटरेसैट- 2ए, आईएमएस-1 और आठ नैनो उपग्रह | 28 अप्रैल 2008 | सफल |
पीएसएलवी-सी11 | चंद्रयान-1 | 22 अक्टूबर 2008 | सफल |
पीएसएलवी-सी12 | आरआईसैट-2 और एएनयूसैट | 20 अप्रैल 2009 | सफल |
पीएसएलवी-सी14 | ओशियनसैट-2 और छह अन्य उपग्रह | 23 सितंबर 2009 | सफल |
पीएसएलवी-सी15 | काटरेसैट-2बी और चार अन्य उपग्रह | 12 जुलाई 2010 | सफल |
पीएसएलवी-सी16 | रिसोर्ससैट-2 और दो अन्य उपग्रह | 20 अप्रैल 2011 | सफल |
पीएसएलवी-सी17 | जीसैट-12 | 15 जुलाई, 2011 | सफल |
पीएसएलवी-सी18 | मेघा-ट्रॉपिक्स, जुगुनू, एसआरएमसैट और वेसेलसैट-1 | 12 अक्तूबर 2011 | सफल |
- वर्ष 2005-06 में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की सबसे प्रमुख उपलब्धि 'पीएसएलवीसी 6' का सफल प्रक्षेपण रही है।
- 5 मई, 2005 को 'पोलर उपग्रह प्रक्षेपण यान' (पीएसएलवी-एफसी 6) की नौवीं उड़ान ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से सफलतापूर्वक दो उपग्रहों - 1560 कि.ग्रा. के कार्टोस्टार-1 तथा 42 कि.ग्रा. के हेमसेट को पूर्व-निर्धारित पोलर सन सिन्क्रोनन आर्बिट (एसएसओ) में पहुंचाया। लगातार सातवीं प्रक्षेपण सफलता के बाद पीएसएलवी-सी 6 की सफलता ने पीएसएलवी की विश्वसनीयता को आगे बढ़ाया तथा 600 कि.मी. ऊंचे पोलर एसएसओ में 1600 कि.ग्रा. भार तक के नीतभार को रखने की क्षमता को दर्शाया है।
- 22 दिसंबर, 2005 को इन्सेट-4ए का सफल प्रक्षेपण, जो कि भारत द्वारा अब तक बनाए गए सभी उपग्रहों में सबसे भारी तथा शक्तिशाली है, वर्ष 2005-06 की अन्य बड़ी उपलब्धि थी। इन्सेट-4ए डाररेक्ट-टू-होम (डीटीएच) टेलीविजन प्रसारण सेवाएं प्रदान करने में सक्षम है।
- इसके अतिरिक्त, नौ ग्रामीण संसाधन केंद्रों (वीआरसीज) के दूसरे समूह की स्थापना करना अंतरिक्ष विभाग की वर्ष के दौरान महत्वपूर्ण मौजूदा पहल है। वीआरसी की धारणा ग्रामीण समुदायों की बदलती तथा महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अंतरिक्ष व्यवस्थाओं तथा अन्य आईटी औजारों से निकलने वाली विभिन्न प्रकार की जानकारी प्रदान करने के लिए संचार साधनों तथा भूमि अवलोकन उपग्रहों की क्षमताओं को संघटित करती है।
समाचार
पीएसएलवी ने तीन उपग्रहों को किया अंतरिक्ष में स्थापित
बुधवार, 20 अप्रॅल, 2011
अंतरिक्ष कार्यक्रमों में भारतीय वैज्ञानिकों ने फिर क़ामयाबी का परचम लहराया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (इसरो) के उपग्रह प्रक्षेपण यान 'पीएसएलवी' ने 20 अप्रॅल, 2011 बुधवार को तीन उपग्रहों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित कर दिया। गत वर्ष दिसंबर में जीएसएलवी के प्रक्षेपण में मिली दो लगातार विफलताओं के बाद इसरो की यह क़ामयाबी बेहद अहम है। पीएसएलवी का यह 18वां मिशन था। इससे पहले पीएसएलवी के ज़रिये किये गये 17 प्रक्षेपणों में से लगातार 16 मिशन में सफलता हासिल हुई थी, जिससे इसकी विश्वसनीयता का पता चलता है। पीएसएलवी ने सफलता के क्रम को बनाये रखते हुए आज 17वें प्रक्षेपण को भी सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
समाचार को विभिन्न स्रोतों पर पढ़ें
- प्रेसनोट डॉट इन
- इस्पात टाइम्स
- प्रात:काल राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक
- मेरी खबर डॉट कॉम
- वेब दुनिया हिन्दी
- पत्रिका डॉट कॉम
पीएसएलवी-17 का सफल प्रक्षेपण
शुक्रवार, 15 जुलाई, 2011
![](/w/images/2/26/PSLV-C12-Satellite-Launcher.jpg)
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार, 15 जुलाई, 2011 को पीएसएलवी सी-17 के जरिए जीसैट-12 ए का श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण किया। इसरो ने इसे भारतीय समयानुसार शाम 4.48 बजे प्रक्षेपित किया, जो अपने निर्धारित समय में धरती की कक्षा में स्थापित हो गया। जीसैट-12 संचार सेटेलाइट का वज़न 1410 किलोग्राम है और इसका जीवन काल आठ सालों का होगा। समाचार एजेंसी के मुताबिक इसरो के प्रकाशन और जनसम्पर्क निदेशक एस. सतीश ने पहले ही इस बात की संभावना जताई थी कि प्रक्षेपण में कोई समस्या नहीं आएगी। यह उपग्रह संचार के क्षेत्र में काफ़ी महत्त्वपूर्ण साबित होगा। इससे दूरस्थ शिक्षा, दूरस्थ चिकित्सा और ग्राम संसाधन केंद्र को उन्नत बनाया जा सकता है।
समाचार को विभिन्न स्रोतों पर पढ़ें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ इसरो के बारे में (हिन्दी) (ए.एस.पी) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन। अभिगमन तिथि: 15 मार्च, 2012।
- ↑ 2.0 2.1 2.2 अंतरिक्ष कार्यक्रम और भारत (हिन्दी) (ए.एस.पी) विस्फ़ोट डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 15 मार्च, 2012।
- ↑ पीएसएलवी (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन। अभिगमन तिथि: 15 मार्च, 2012।