"जियो जियो अय हिन्दुस्तान -रामधारी सिंह दिनकर": अवतरणों में अंतर
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जियो, जियो अय देश! कि पहरे पर ही जगे हुए हैं हम। | जियो, जियो अय देश! कि पहरे पर ही जगे हुए हैं हम। | ||
वन, पर्वत, हर तरफ़ चौकसी में ही लगे हुए हैं हम। | वन, पर्वत, हर तरफ़ चौकसी में ही लगे हुए हैं हम। | ||
हिन्द-सिन्धु की कसम, कौन इस पर | हिन्द-सिन्धु की कसम, कौन इस पर जहाज़ ला सकता। | ||
सरहद के भीतर कोई दुश्मन कैसे आ सकता है ? | सरहद के भीतर कोई दुश्मन कैसे आ सकता है ? | ||
पर कि हम कुछ नहीं चाहते, अपनी किन्तु बचायेंगे, | पर कि हम कुछ नहीं चाहते, अपनी किन्तु बचायेंगे, |
13:56, 24 मार्च 2012 का अवतरण
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जाग रहे हम वीर जवान, |
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