"गुड़ का सनीचर -आदित्य चौधरी": अवतरणों में अंतर
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<div style=text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;><font color=#003333 size=5>गुड़ का 'सनीचर' -<small>आदित्य चौधरी</small></font></div> | <div style=text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;><font color=#003333 size=5>गुड़ का 'सनीचर' -<small>आदित्य चौधरी</small></font></div> | ||
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"मैं अच्छी तरह समझ गया सास्तरी जी ! अब मेरा सनीचर तो जिंदगी भर को परमानेन्ट उतर गया" | "मैं अच्छी तरह समझ गया सास्तरी जी ! अब मेरा सनीचर तो जिंदगी भर को परमानेन्ट उतर गया" | ||
ये क़िस्सा तो यहीं ख़त्म हुआ... | ये क़िस्सा तो यहीं ख़त्म हुआ... | ||
अब ज़रा ये सोचें कि अपनी असफलता को कुण्डली के दोष से जोड़ना कहाँ की अक़्लमंदी है। | अब ज़रा ये सोचें कि अपनी असफलता को कुण्डली के दोष से जोड़ना कहाँ की अक़्लमंदी है। | ||
कहते हैं कि ज़िम्मेदारियाँ सदैव 'ज़िम्मेदार इंसान' को ढूँढ लेती हैं। यदि लोग किसी को एक ज़िम्मेदार इंसान नहीं समझते तो ग़लती लोगों की नहीं बल्कि उसकी ख़ुद की ही है। | कहते हैं कि ज़िम्मेदारियाँ सदैव 'ज़िम्मेदार इंसान' को ढूँढ लेती हैं। यदि लोग किसी को एक ज़िम्मेदार इंसान नहीं समझते तो ग़लती लोगों की नहीं बल्कि उसकी ख़ुद की ही है। | ||
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12:55, 31 मार्च 2012 का अवतरण
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