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11:51, 3 अप्रैल 2012 का अवतरण

मसाला उद्यान कृषि की एक मुख्‍य फसल है जिसका प्रयोग खाद्य पदार्थों को सुगंधित करने और स्‍वादिष्‍ट बनाने के लिए किया जाता हैं। यह मूलत: वनस्‍पति उत्‍पाद या उनका मिश्रण होता हैं, बिना किसी बाह्य द्रव्‍य के और खाद्य पदार्थों को सुगन्धित करने के लिए प्रयोग किया जाता हैं। सही मसाले आपके खाने के स्वाद को कई गुना बढ़ा देते हैं, ठीक वैसे ही मसालों की प्रकृति के बारे में सही जानकारी कई बीमारियों को आपसे कोसों दूर भगा सकती है। मसाला खाना पकाने के एक पूरक घटक हैं। इन खुशबूदार पदार्थ, सब्जियां, जड़ी बूटी, जड़ें, बीज से आ रही स्वाद के भोजन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इसे और अधिक स्वादिष्ट और कभी कभी इसे संरक्षण भी बनाते हैं। प्रत्येक देश के अपने पसंदीदा मसाले है। भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के उदारीकरण के कारण, भारत के मसाला उद्योग ने बहुत तेजी से प्रगति की हैं। यह देश में लोगों की बड़ी संख्‍या के लिए, विशेषत: ग्रामीण लोगों के लिए, आजीविका और रोजगार का मुख्य स्रोत हैं।

विश्व मसाला उत्‍पादन में भारत की स्थिति

भारत को मसालों का घर कहा जाता है। यहाँ विविध प्रकार के मसाले उत्त्पन्न किये जाते हैं, यथा काली मिर्च, इलायची (छोटी और बड़ी), अदरक, लहसुन, हल्‍दी, लाल मिर्च आदि। भारत, मसालों और मसाला उत्‍पादों का सबसे बड़ा उत्‍पादक, उपभोक्‍ता और निर्यातक हैं। आईएसओ द्वारा सूचीबद्ध 109 मसालों में से भारत, अपने विविधतापूर्ण कृषि जलवायुवीय प्रदेशों के कारण 75 पैदा करता हैं। देश के लगभग सभी राज्‍य और संघ राज्‍यक्षेत्र कोई न कोई मसाला उगाते हैं। विश्‍व मसाला व्‍यापार में, वैश्विक निर्यात में भारत का हिस्‍सा 48 प्रतिशत है और निर्यात मूल्‍य में 44 प्रतिशत हैं। यह हर वर्ष 0.40 मिलियन टन से अधिक मसालों का निर्यात करता हैं। पिछले वर्षों में मसालों के आयात में क्रमिक वृद्धि हुई हैं। इस सब से पता चलता है कि विश्व मसाला उत्‍पादन में भारत की प्रमुख स्थिति हैं। सारे संसार के उद्यमी इस क्षेत्र में अवसरो की खोज कर रहे हैं। सरकार ने, केंद्र और राज्‍य दोनों स्‍तरों पर मसाला उद्योग के ठोस विकास के लिए उपाय और उपक्रम किए हैं। इस क्षेत्र में अनुसंधान को प्रोत्‍सहित करने और निर्यात की गतिविधियों को तेज करने के लिए मुख्‍य संगठन 'कृषि और सहकारिता विभाग' और 'भारतीय मसाला बोर्ड' हैं।[1]

विश्व मसाला कांग्रेस

हर 2 या 3 वर्ष में एक बार अखिल भारतीय मसाला निर्यातक मंच और मसाला बोर्ड द्वारा संयुक्‍त रूप से 'विश्व मसाला कांग्रेस' का आयोजन किया जाता हैं। यह विभिन्‍न देशों से मसाला निर्यातकों और आयातकों का एक आवधिक सम्‍मेलन होता हैं। यह विभिन्‍न पहलुओं पर चर्चा करने एक दूसरे की आवश्‍यकताओं / क्षमताओं को समझने का एक अवसर होता हैं और मसाला व्‍यापार में एक महत्त्‍वपूर्ण अंतरराष्‍ट्रीय घटना सिद्ध हुआ हैं। हाल ही में 10वीं विश्व मसाला कांग्रेस फ़रवरी 2010 में नई दिल्ली में आयोजित की गई थी।[1]

महत्त्वपूर्ण आंकड़े

मसाला बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2010 में मसालों का कुल निर्यात 5,02,750 टन था जो वित्त वर्ष 2009 में हुए 4,70,520 टन के निर्यात से 7 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2009-10 में मिर्च का निर्यात 2,04,000 टन था जबकि विदेशों में गई काली मिर्च की खेप 19,750 टन की ही थी। पिछले वित्त वर्ष के पहले 11 महीनों में भारत ने 4,71,165 टन मसालों का निर्यात किया। मसाला बोर्ड ने वर्ष 2010 के 1.17 अरब डॉलर के निर्यात को वर्ष 2017 तक 3 अरब डॉलर और उससे आगे वर्ष 2025 तक 10 अरब डॉलर करने का लक्ष्य किया है।[2]

भारत के कुछ प्रमुख मसाले


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 मसाले (हिन्दी) (पी.एच.पी) business.gov.in। अभिगमन तिथि: 2 अप्रॅल, 2012।
  2. विदेशों में बढ़ा भारतीय मसाले का स्वाद (हिन्दी) (पी.एच.पी) बिज़नेस स्टैंडर्ड। अभिगमन तिथि: 2 अप्रॅल, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

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