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'''इलाहाबाद''' | |||
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एक प्राचीन किंवदन्ती के अनुसार [[प्रयाग]] का एक नाम इलाबास भी था जो मनु की पुत्री इला के नाम पर था। प्रयाग के निकट भुसी या प्रतिष्ठानपुर में चन्द्रवंशी राजाओं की राजधानी थी। इसका पहला राजा इला और बुध का पुत्र पुरुरवा एल हुआ। उसी ने अपनी राजधानी को इलाबास की संज्ञा दी जिसका रूपांतर अकबर के समय में इलाहाबाद हो गया। | |||
==स्थापना== | |||
वर्तमान इलाहाबाद शहर की स्थापना 1583 में मुग़ल बादशाह [[अकबर]] ने की थी और इसका नाम अल-इलाहाबाद (अल्लाह का शहर) रखा था। मुग़ल सल्तनत में यह प्रांतीय राजधानी रहा और 1599 से 1604 तक यह बाग़ी शहज़ादा [[सलीम]] का (जो बाद में मुग़ल बादशाह [[जहाँगीर]] बना) मुख्यालय था। इलाहाबाद क़िले के बाहर जहाँगीर के बाग़ी पुत्र ख़ुसरो की क़ब्र है। मुग़ल साम्राज्य के पतन के बाद 1801 में अंग्रेज़ों द्वारा इलाहाबाद पर कब्ज़ा किए जाने तक यह शहर कई शासकों के हाथों में गया। 1857 में ब्रिटिश सत्ता के ख़िलाफ़ हुए भारतीय विद्रोह में यहाँ भारी रक्तपात हुआ। 1904 से 1949 तक इलाहाबाद संयुक्त प्रांत (वर्तमान उत्तर प्रदेश) की राजधानी था। | |||
==स्थिति== | |||
इलाहाबाद शहर, दक्षिणी [[उत्तर प्रदेश]] राज्य के उत्तरी भारत में स्थित है। इलाहाबाद [[गंगा नदी|गंगा]] और [[यमुना नदी|यमुना]] नदी पर बसा हुआ है। इलाहाबाद गंगा और यमुना के संगम के लिए बहुत प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि इस संगम पर भूमिगत रूप से [[सरस्वती नदी]] भी आकर मिलती है। गंगा और यमुना नदियों के संगम पर बसा इलाहाबाद [[वाराणसी]] (भूतपूर्व बनारस) व [[हरिद्वार]] के समकक्ष पवित्र प्राचीन प्रयाग की भूमि पर स्थित है। यह स्थान सामरिक दृष्टि से बड़ा महत्त्वपूर्ण है। इलाहाबाद उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक महत्वपूर्ण ज़िला है। | |||
==इतिहास== | |||
इलाहाबाद का प्राचीन नाम प्रयाग है और यह तीर्थराज कहा जाता है। ईसा की चौथी और पाँचवीं शताब्दी में [[गुप्त वंश]] के राज में वह उनकी एक राजधानी भी रहा है। सातवीं शताब्दी में सम्राट् [[हर्षवर्धन]], वहाँ पाँच-पाँच वर्ष के अनन्तर, सत्र का आयोजन किया करता था। ऐसे एक सत्र में चीनी यात्री | |||
[[ह्वेन त्सांग]] ने 643 ई॰ में भाग लिया था। इलाहाबाद में सबसे प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक अशोक (273-232 ई॰ पू॰) के 6 स्तम्भ-लेखों में से एक है। इस पर गुप्त सम्राट् [[समुद्र गुप्त]] (330-380 ई॰) की कवि हरिषेण रचित प्रसिद्ध प्रशस्ति है। इसमें उसके दिग्विजय होने का वर्णन है। इस स्थान के सामरिक महत्त्व को देखकर [[अकबर]] ने 1583 ई॰ में यहाँ गंगा-यमुना के संगम पर क़िला बनवाया था और प्रयाग के स्थान पर इसका नाम इलाहाबाद रखा दिया था। यह नगर इलाहाबाद सूबे की राजधानी बनाया गया। यह नगर बाद में उत्तर प्रदेश (संयुक्त प्रांत आगरा अबध) की राजाधानी रहा था। | |||
==इलाहाबाद का महत्व== | |||
* यहाँ उत्तर प्रदेश का उच्च न्यायालय और एजी कार्यालय भी है । | |||
* इलाहाबाद का अपना ऐतिहासिक महत्व है [[रामायण]] में इलाहाबाद, प्रयाग के नाम से वर्णित है। | |||
* संगम का धार्मिक महत्व भी बहुत है । | |||
* इलाहाबाद शहर का हिन्दी साहित्य में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है । | |||
* पूर्वी उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के किनारे बसा इलाहाबाद भारत का पवित्र और लोकप्रिय तीर्थस्थल है । इस शहर का उल्लेख भारत के धार्मिक ग्रन्थों में भी मिलता है । [[वेद]], [[पुराण]], रामायण और [[महाभारत]] में इस स्थान को प्रयाग कहा गया है । गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का यहाँ संगम होता है, इसलिए हिन्दुओं के लिए इस शहर का विशेष महत्व है। 12 साल बाद यहाँ [[कुम्भ मेला|कुम्भ]] के मेले का आयोजन होता है । कुम्भ के मेले में 2 करोड़ की भीड़ इकट्ठा होने का अनुमान किया जाता है जो सम्भवत: विश्व में सबसे बड़ा जमावड़ा है। | |||
==यातायात और परिवहन== | |||
====वायु मार्ग==== | |||
इलाहाबाद का निकटतम हवाई अड्डा वाराणसी में है जो इलाहाबाद से 147 किमी. की दूरी पर स्थित है। लखनऊ हवाई अड्डा 210 किमी. की दूरी पर है। | |||
====रेल मार्ग==== | |||
इलाहाबाद [[दिल्ली]]-[[कोलकाता]] के रास्ते पर स्थित है। देश के किसी भी हिस्से से यहाँ रेल से पहुँचा जा सकता है। [[कोलकाता]],[[ दिल्ली]], [[पटना]], [[गुवाहाटी]], [[चैन्नई]], [[मुम्बई]], [[ग्वालियर]], [[मेरठ]], [[लखनऊ]], [[कानपुर]], वाराणसी आदि शहरों से इलाहाबाद के लिए सीधी रेलें हैं। | |||
====सड़क मार्ग==== | |||
उत्तर प्रदेश और देश के अनेक शहरों से इलाहाबाद के लिए नियमित बसें चलती हैं। | |||
==कृषि और खनिज== | |||
इलाहाबाद शहर के चारों ओर का इलाका गंगा के मैदानी क्षेत्र में आता है इसलिए यह कृषि उत्पादों का बाज़ार भी है। धान, गेहूं, जौ, चना यहाँ की मुख्य फ़सलें हैं। | |||
==उद्योग और व्यापार== | |||
मुख्यतः शैक्षणिक व प्रशासनिक केंद्र होने के साथ-साथ इलाहाबाद में कुछ उद्योग (खाद्य प्रसंस्करण व विनिर्माण) हैं। | |||
==शिक्षण संस्थान== | |||
इलाहाबाद विश्वविद्यालय (1887) से संबद्ध अनेक महाविद्यालयों के साथ-साथ यहाँ एक उड्डयन प्रशिक्षण केंद्र भी है। यहाँ प्रसिद्ध पर कई प्रसिद्ध विश्वविद्यालय भी है। | |||
== जनसंख्या== | |||
इलाहाबाद की कुल जनसंख्या (2001 की गणना के अनुसार) 9,90,298 है। इलाहाबाद के कुल ज़िले की जनसंख्या 49,41,510 है। | |||
==पर्यटन== | |||
पर्यटकों के लिये यहाँ ब्रिटिश काल का एक सरकारी बंगला, आंग्ल व रोमन कैथॅलिक गिरजाघर और जामी मस्जिद भी हैं। | |||
====इलाहाबाद क़िला==== | |||
[[अकबर]] ने 1583 ई॰ में यहाँ गंगा-यमुना के संगम पर क़िला बनवाया था। यह क़िला दोनों नदियों के संगम स्थल पर ख़ासतौर पर निर्मित किया गया था। इस किले में तीन बड़ी गैलरी हैं जहाँ पर ऊँची मीनारें हैं। सैलानियों को अशोक स्तंभ, सरस्वती कूप और जोधाबाई महल देखने की इजाज़त है। भारतीय इतिहास के प्राचीन बौद्ध काल में प्रयाग की महत्ता का प्रमाण अशोक स्तंभ के ऊपर उत्कीर्ण अभिलेखों से भी मिलता है, जो आज भी प्राचीन इलाहाबाद क़िले के मुख्य द्वार के भीतर मौजूद है। | |||
====संगम==== | |||
इस स्थान पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का मिलन होता है। साधु सन्तों को यहाँ हमेशा पूजा पाठ करते हुए देखा जा सकता है। 12 साल में लगने वाले कुंभ मेले के अवसर पर संगम विभिन्न गतिविधियों का केन्द्र बन जाता है। यहाँ से सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा बेहद सुन्दर लगता है। | |||
====स्वराज भवन==== | |||
इस ऐतिहासिक इमारत को [[मोतीलाल नेहरू]] ने बनवाया था। 1930 में उन्होंने इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। इसके बाद यहाँ कांग्रेस कमेटी का मुख्यालय बनाया गया। भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी का जन्म यहीं पर हुआ था। | |||
====आनंद भवन==== | |||
भारतीय स्वाधीनता संग्राम का एक प्रमुख केंद्र होने के साथ यहाँ नेहरू परिवार का पुश्तैनी घर भी था। अब इसे संग्रहालय का रूप दे दिया गया है। यहाँ पर गाँधी-नेहरू परिवार की पुरानी निशानियों को देखा जा सकता है। | |||
====हनुमान मंदिर==== | |||
मंदिर में [[हनुमान]] की विशाल मूर्ति आराम की मुद्रा में स्थापित है। यह एक छोटा मंदिर है फिर भी प्रतिदिन सैकड़ों की तादाद में यहाँ भक्तगण आते हैं। | |||
====शिवकुटी==== | |||
गंगा नदी के किनार स्थित शिवकुटी भगवान [[शिव]] को समर्पित है। शिवकुटी को कोटीतीर्थ के रूप में भी जाना जाता है। सावन माह में यहाँ एक मेला लगता है। | |||
====इलाहाबाद म्युजियम==== | |||
यह चन्द्र शेखर आजाद पार्क के निकट स्थित है। इस संग्रहालय का मुख्य आकर्षण निकोलस रोरिच की पेंटिग्स, राजस्थानी लघु आकृतियाँ, सिक्कों और दूसरी शताब्दी से आधुनिक युग की पत्थरों की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। संग्रहालय में 18 गैलरी हैं और यह सोमवार के अलावा प्रतिदिन 10 से 5 बजे तक खुला रहता है। |
06:14, 29 मई 2010 का अवतरण
इलाहाबाद
एक प्राचीन किंवदन्ती के अनुसार प्रयाग का एक नाम इलाबास भी था जो मनु की पुत्री इला के नाम पर था। प्रयाग के निकट भुसी या प्रतिष्ठानपुर में चन्द्रवंशी राजाओं की राजधानी थी। इसका पहला राजा इला और बुध का पुत्र पुरुरवा एल हुआ। उसी ने अपनी राजधानी को इलाबास की संज्ञा दी जिसका रूपांतर अकबर के समय में इलाहाबाद हो गया।
स्थापना
वर्तमान इलाहाबाद शहर की स्थापना 1583 में मुग़ल बादशाह अकबर ने की थी और इसका नाम अल-इलाहाबाद (अल्लाह का शहर) रखा था। मुग़ल सल्तनत में यह प्रांतीय राजधानी रहा और 1599 से 1604 तक यह बाग़ी शहज़ादा सलीम का (जो बाद में मुग़ल बादशाह जहाँगीर बना) मुख्यालय था। इलाहाबाद क़िले के बाहर जहाँगीर के बाग़ी पुत्र ख़ुसरो की क़ब्र है। मुग़ल साम्राज्य के पतन के बाद 1801 में अंग्रेज़ों द्वारा इलाहाबाद पर कब्ज़ा किए जाने तक यह शहर कई शासकों के हाथों में गया। 1857 में ब्रिटिश सत्ता के ख़िलाफ़ हुए भारतीय विद्रोह में यहाँ भारी रक्तपात हुआ। 1904 से 1949 तक इलाहाबाद संयुक्त प्रांत (वर्तमान उत्तर प्रदेश) की राजधानी था।
स्थिति
इलाहाबाद शहर, दक्षिणी उत्तर प्रदेश राज्य के उत्तरी भारत में स्थित है। इलाहाबाद गंगा और यमुना नदी पर बसा हुआ है। इलाहाबाद गंगा और यमुना के संगम के लिए बहुत प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि इस संगम पर भूमिगत रूप से सरस्वती नदी भी आकर मिलती है। गंगा और यमुना नदियों के संगम पर बसा इलाहाबाद वाराणसी (भूतपूर्व बनारस) व हरिद्वार के समकक्ष पवित्र प्राचीन प्रयाग की भूमि पर स्थित है। यह स्थान सामरिक दृष्टि से बड़ा महत्त्वपूर्ण है। इलाहाबाद उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक महत्वपूर्ण ज़िला है।
इतिहास
इलाहाबाद का प्राचीन नाम प्रयाग है और यह तीर्थराज कहा जाता है। ईसा की चौथी और पाँचवीं शताब्दी में गुप्त वंश के राज में वह उनकी एक राजधानी भी रहा है। सातवीं शताब्दी में सम्राट् हर्षवर्धन, वहाँ पाँच-पाँच वर्ष के अनन्तर, सत्र का आयोजन किया करता था। ऐसे एक सत्र में चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने 643 ई॰ में भाग लिया था। इलाहाबाद में सबसे प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक अशोक (273-232 ई॰ पू॰) के 6 स्तम्भ-लेखों में से एक है। इस पर गुप्त सम्राट् समुद्र गुप्त (330-380 ई॰) की कवि हरिषेण रचित प्रसिद्ध प्रशस्ति है। इसमें उसके दिग्विजय होने का वर्णन है। इस स्थान के सामरिक महत्त्व को देखकर अकबर ने 1583 ई॰ में यहाँ गंगा-यमुना के संगम पर क़िला बनवाया था और प्रयाग के स्थान पर इसका नाम इलाहाबाद रखा दिया था। यह नगर इलाहाबाद सूबे की राजधानी बनाया गया। यह नगर बाद में उत्तर प्रदेश (संयुक्त प्रांत आगरा अबध) की राजाधानी रहा था।
इलाहाबाद का महत्व
- यहाँ उत्तर प्रदेश का उच्च न्यायालय और एजी कार्यालय भी है ।
- इलाहाबाद का अपना ऐतिहासिक महत्व है रामायण में इलाहाबाद, प्रयाग के नाम से वर्णित है।
- संगम का धार्मिक महत्व भी बहुत है ।
- इलाहाबाद शहर का हिन्दी साहित्य में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है ।
- पूर्वी उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के किनारे बसा इलाहाबाद भारत का पवित्र और लोकप्रिय तीर्थस्थल है । इस शहर का उल्लेख भारत के धार्मिक ग्रन्थों में भी मिलता है । वेद, पुराण, रामायण और महाभारत में इस स्थान को प्रयाग कहा गया है । गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का यहाँ संगम होता है, इसलिए हिन्दुओं के लिए इस शहर का विशेष महत्व है। 12 साल बाद यहाँ कुम्भ के मेले का आयोजन होता है । कुम्भ के मेले में 2 करोड़ की भीड़ इकट्ठा होने का अनुमान किया जाता है जो सम्भवत: विश्व में सबसे बड़ा जमावड़ा है।
यातायात और परिवहन
वायु मार्ग
इलाहाबाद का निकटतम हवाई अड्डा वाराणसी में है जो इलाहाबाद से 147 किमी. की दूरी पर स्थित है। लखनऊ हवाई अड्डा 210 किमी. की दूरी पर है।
रेल मार्ग
इलाहाबाद दिल्ली-कोलकाता के रास्ते पर स्थित है। देश के किसी भी हिस्से से यहाँ रेल से पहुँचा जा सकता है। कोलकाता,दिल्ली, पटना, गुवाहाटी, चैन्नई, मुम्बई, ग्वालियर, मेरठ, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी आदि शहरों से इलाहाबाद के लिए सीधी रेलें हैं।
सड़क मार्ग
उत्तर प्रदेश और देश के अनेक शहरों से इलाहाबाद के लिए नियमित बसें चलती हैं।
कृषि और खनिज
इलाहाबाद शहर के चारों ओर का इलाका गंगा के मैदानी क्षेत्र में आता है इसलिए यह कृषि उत्पादों का बाज़ार भी है। धान, गेहूं, जौ, चना यहाँ की मुख्य फ़सलें हैं।
उद्योग और व्यापार
मुख्यतः शैक्षणिक व प्रशासनिक केंद्र होने के साथ-साथ इलाहाबाद में कुछ उद्योग (खाद्य प्रसंस्करण व विनिर्माण) हैं।
शिक्षण संस्थान
इलाहाबाद विश्वविद्यालय (1887) से संबद्ध अनेक महाविद्यालयों के साथ-साथ यहाँ एक उड्डयन प्रशिक्षण केंद्र भी है। यहाँ प्रसिद्ध पर कई प्रसिद्ध विश्वविद्यालय भी है।
जनसंख्या
इलाहाबाद की कुल जनसंख्या (2001 की गणना के अनुसार) 9,90,298 है। इलाहाबाद के कुल ज़िले की जनसंख्या 49,41,510 है।
पर्यटन
पर्यटकों के लिये यहाँ ब्रिटिश काल का एक सरकारी बंगला, आंग्ल व रोमन कैथॅलिक गिरजाघर और जामी मस्जिद भी हैं।
इलाहाबाद क़िला
अकबर ने 1583 ई॰ में यहाँ गंगा-यमुना के संगम पर क़िला बनवाया था। यह क़िला दोनों नदियों के संगम स्थल पर ख़ासतौर पर निर्मित किया गया था। इस किले में तीन बड़ी गैलरी हैं जहाँ पर ऊँची मीनारें हैं। सैलानियों को अशोक स्तंभ, सरस्वती कूप और जोधाबाई महल देखने की इजाज़त है। भारतीय इतिहास के प्राचीन बौद्ध काल में प्रयाग की महत्ता का प्रमाण अशोक स्तंभ के ऊपर उत्कीर्ण अभिलेखों से भी मिलता है, जो आज भी प्राचीन इलाहाबाद क़िले के मुख्य द्वार के भीतर मौजूद है।
संगम
इस स्थान पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का मिलन होता है। साधु सन्तों को यहाँ हमेशा पूजा पाठ करते हुए देखा जा सकता है। 12 साल में लगने वाले कुंभ मेले के अवसर पर संगम विभिन्न गतिविधियों का केन्द्र बन जाता है। यहाँ से सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा बेहद सुन्दर लगता है।
स्वराज भवन
इस ऐतिहासिक इमारत को मोतीलाल नेहरू ने बनवाया था। 1930 में उन्होंने इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। इसके बाद यहाँ कांग्रेस कमेटी का मुख्यालय बनाया गया। भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी का जन्म यहीं पर हुआ था।
आनंद भवन
भारतीय स्वाधीनता संग्राम का एक प्रमुख केंद्र होने के साथ यहाँ नेहरू परिवार का पुश्तैनी घर भी था। अब इसे संग्रहालय का रूप दे दिया गया है। यहाँ पर गाँधी-नेहरू परिवार की पुरानी निशानियों को देखा जा सकता है।
हनुमान मंदिर
मंदिर में हनुमान की विशाल मूर्ति आराम की मुद्रा में स्थापित है। यह एक छोटा मंदिर है फिर भी प्रतिदिन सैकड़ों की तादाद में यहाँ भक्तगण आते हैं।
शिवकुटी
गंगा नदी के किनार स्थित शिवकुटी भगवान शिव को समर्पित है। शिवकुटी को कोटीतीर्थ के रूप में भी जाना जाता है। सावन माह में यहाँ एक मेला लगता है।
इलाहाबाद म्युजियम
यह चन्द्र शेखर आजाद पार्क के निकट स्थित है। इस संग्रहालय का मुख्य आकर्षण निकोलस रोरिच की पेंटिग्स, राजस्थानी लघु आकृतियाँ, सिक्कों और दूसरी शताब्दी से आधुनिक युग की पत्थरों की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। संग्रहालय में 18 गैलरी हैं और यह सोमवार के अलावा प्रतिदिन 10 से 5 बजे तक खुला रहता है।