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'''बारीन्द्र कुमार घोष''' (जन्म: [[5 जनवरी]], [[1880]] - मृत्यु: [[18 अप्रैल]], [[1959]]) [[अरविन्द घोष]] के क्रांतिकारी विचारों से प्रभावित थे।  
*स्वदेशी आंदोलन के परिणामस्वरूप बारीन्द्र कुमार ने क्रातिकारी विचारों का प्रचार करने के लिए [[1906]] में बंगाली साप्ताहिक युगान्तर का प्रकाशन प्रारम्भ किया।  
*'स्वदेशी आंदोलन' के परिणामस्वरूप बारीन्द्र कुमार ने क्रातिकारी विचारों का प्रचार करने के लिए [[1906]] में [[बंगाली भाषा|बंगाली]] 'साप्ताहिक युगान्तर' का प्रकाशन प्रारम्भ किया।  
*1907 में क्रातिकारी आतंकवाद की गतिविधियों का संयोजन करने के लिए मणिकतल्ला पार्टी का गठन किया।  
*[[1907]] में क्रांतिकारी आतंकवाद की गतिविधियों का संयोजन करने के लिए 'मणिकतल्ला पार्टी' का गठन किया।  
*1908 में इन्हे गिरफ्तार कर मृत्यु दण्ड की सजा सुनाई गई। किन्तु बाद में इसे आजीवन कारावास में बदल दिया गया।  
*[[1908]] में इन्हें गिरफ़्तार कर मृत्यु दण्ड की सजा सुनाई गई, किन्तु बाद में इसे आजीवन कारावास में बदल दिया गया।  
*[[सेल्‍यूलर जेल|अण्डमान जेल]] में दस वर्ष व्यतीत करने के बाद इन्होने अपना शेष समय पत्रकारिता में लगाया।  
*[[सेल्‍यूलर जेल|अण्डमान जेल]] में दस [[वर्ष]] व्यतीत करने के बाद इन्होंने अपना शेष समय पत्रकारिता में लगाया।  
*बारीन्द्र कुमार घोष बंगाली दैनिक दि स्टेट्समैन और वसुमित्र से भी जुड़े थे।
*बारीन्द्र कुमार घोष बंगाली दैनिक 'द स्टेट्समैन' और 'वसुमित्र' से भी जुड़े थे।


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बारीन्द्र कुमार घोष (जन्म: 5 जनवरी, 1880 - मृत्यु: 18 अप्रैल, 1959) अरविन्द घोष के क्रांतिकारी विचारों से प्रभावित थे।

  • 'स्वदेशी आंदोलन' के परिणामस्वरूप बारीन्द्र कुमार ने क्रातिकारी विचारों का प्रचार करने के लिए 1906 में बंगाली 'साप्ताहिक युगान्तर' का प्रकाशन प्रारम्भ किया।
  • 1907 में क्रांतिकारी आतंकवाद की गतिविधियों का संयोजन करने के लिए 'मणिकतल्ला पार्टी' का गठन किया।
  • 1908 में इन्हें गिरफ़्तार कर मृत्यु दण्ड की सजा सुनाई गई, किन्तु बाद में इसे आजीवन कारावास में बदल दिया गया।
  • अण्डमान जेल में दस वर्ष व्यतीत करने के बाद इन्होंने अपना शेष समय पत्रकारिता में लगाया।
  • बारीन्द्र कुमार घोष बंगाली दैनिक 'द स्टेट्समैन' और 'वसुमित्र' से भी जुड़े थे।


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