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[[भारतकोश सम्पादकीय 5 मई 2012|बस एक चान्स !]]
      इस बात का पता 'चंद लोगों' को ही था कि छोटे पहलवान दुनियाँ का सबसे अक़्लमंद लड़का है। इन 'चंद लोगों' में थे- एक तो छोटे पहलवान ख़ुद और बाक़ी उसके माता-पिता और परिवारी जन। बाहर की दुनियाँ से छोटे का ज़्यादा सम्पर्क हुआ नहीं था। इसी दौर में उसे यह भी महसूस होने लगा कि वह दुनियाँ का महानतम विद्वान भी है।... [[भारतकोश सम्पादकीय 5 मई 2012|पूरा पढ़ें]]
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| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] →
| [[भारतकोश सम्पादकीय 28 अप्रॅल 2012|मैं तो एक भूत हूँ]] ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 21 अप्रॅल 2012|सफलता का शॉर्ट-कट]]
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14:02, 5 मई 2012 का अवतरण

साप्ताहिक सम्पादकीय-आदित्य चौधरी

बस एक चान्स !
      इस बात का पता 'चंद लोगों' को ही था कि छोटे पहलवान दुनियाँ का सबसे अक़्लमंद लड़का है। इन 'चंद लोगों' में थे- एक तो छोटे पहलवान ख़ुद और बाक़ी उसके माता-पिता और परिवारी जन। बाहर की दुनियाँ से छोटे का ज़्यादा सम्पर्क हुआ नहीं था। इसी दौर में उसे यह भी महसूस होने लगा कि वह दुनियाँ का महानतम विद्वान भी है।... पूरा पढ़ें

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