"पृथ्वी सम्मेलन द्वितीय": अवतरणों में अंतर
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[[पर्यावरण]] का | [[पर्यावरण]] का पृथ्वी सम्मेलन द्वितीय [[26 अगस्त]] से [[4 सितंबर]], 2002 तक [[दक्षिण अफ्रीका]] के जोहांसवर्ग में सतत् विकास के पक्ष में राजनीतिक प्रतिबद्धता और इसके लिए वास्तविक कदम उठाये जाने की उम्मीदों के साथ आयोजित किया गया। इस सम्मेलन मे एक मत से ग़रीबी और पर्यावरण पर जारी विवादास्पद 65 पृष्ठीय कार्य योजना को स्वीकृत प्रदान की गई। | ||
सम्मेलन में गरीबी को विश्व के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए इसके उन्मूलन के लिए वैश्विक कोष बनाने पर सहमति व्यक्त की गई। हालांकि इसमें अंशदान को स्वैच्छिक रखा गया है। सम्मेलन में इस बात पर भी सहमति हुई कि [[पृथ्वी]] को बचाने की जिम्मेदारी सभी राष्ट्रों की है लेकिन इसमें होने वाले खर्च का बोझ धनी देशों को अधिक उठाना चाहिए। कार्य योजना में इस बात को भी शामिल किया गया कि वर्ष 2020 तक रसायनों के उत्पादन तथा प्रयोग को मनुष्यों और पर्यावरण के लिए सुरक्षित बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया जाये। साथ ही सदस्यों ने खतरनाक कचरे कें उचित प्रबंधन को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की। सम्मेलन के दौरान देशों के बीच सहमति बनी कि बिना सफाई कर रहे लोगों की संख्या वर्ष 2015 तक आधी कर दी जाये। स्वच्छ [[जल]] को लेकर भी इसी तरह का लक्ष्य रखा जाय। सम्मेलन में [[ऊर्जा]] प्रयोग में कुशलता बढ़ाने और स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाने में भी संकल्प व्यक्त किया गया। | सम्मेलन में गरीबी को विश्व के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए इसके उन्मूलन के लिए वैश्विक कोष बनाने पर सहमति व्यक्त की गई। हालांकि इसमें अंशदान को स्वैच्छिक रखा गया है। सम्मेलन में इस बात पर भी सहमति हुई कि [[पृथ्वी]] को बचाने की जिम्मेदारी सभी राष्ट्रों की है लेकिन इसमें होने वाले खर्च का बोझ धनी देशों को अधिक उठाना चाहिए। कार्य योजना में इस बात को भी शामिल किया गया कि वर्ष 2020 तक रसायनों के उत्पादन तथा प्रयोग को मनुष्यों और पर्यावरण के लिए सुरक्षित बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया जाये। साथ ही सदस्यों ने खतरनाक कचरे कें उचित प्रबंधन को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की। सम्मेलन के दौरान देशों के बीच सहमति बनी कि बिना सफाई कर रहे लोगों की संख्या वर्ष 2015 तक आधी कर दी जाये। स्वच्छ [[जल]] को लेकर भी इसी तरह का लक्ष्य रखा जाय। सम्मेलन में [[ऊर्जा]] प्रयोग में कुशलता बढ़ाने और स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाने में भी संकल्प व्यक्त किया गया। |
07:35, 6 मई 2012 का अवतरण
पर्यावरण का पृथ्वी सम्मेलन द्वितीय 26 अगस्त से 4 सितंबर, 2002 तक दक्षिण अफ्रीका के जोहांसवर्ग में सतत् विकास के पक्ष में राजनीतिक प्रतिबद्धता और इसके लिए वास्तविक कदम उठाये जाने की उम्मीदों के साथ आयोजित किया गया। इस सम्मेलन मे एक मत से ग़रीबी और पर्यावरण पर जारी विवादास्पद 65 पृष्ठीय कार्य योजना को स्वीकृत प्रदान की गई।
सम्मेलन में गरीबी को विश्व के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए इसके उन्मूलन के लिए वैश्विक कोष बनाने पर सहमति व्यक्त की गई। हालांकि इसमें अंशदान को स्वैच्छिक रखा गया है। सम्मेलन में इस बात पर भी सहमति हुई कि पृथ्वी को बचाने की जिम्मेदारी सभी राष्ट्रों की है लेकिन इसमें होने वाले खर्च का बोझ धनी देशों को अधिक उठाना चाहिए। कार्य योजना में इस बात को भी शामिल किया गया कि वर्ष 2020 तक रसायनों के उत्पादन तथा प्रयोग को मनुष्यों और पर्यावरण के लिए सुरक्षित बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया जाये। साथ ही सदस्यों ने खतरनाक कचरे कें उचित प्रबंधन को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की। सम्मेलन के दौरान देशों के बीच सहमति बनी कि बिना सफाई कर रहे लोगों की संख्या वर्ष 2015 तक आधी कर दी जाये। स्वच्छ जल को लेकर भी इसी तरह का लक्ष्य रखा जाय। सम्मेलन में ऊर्जा प्रयोग में कुशलता बढ़ाने और स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाने में भी संकल्प व्यक्त किया गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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