"ऐ वतन ऐ वतन": अवतरणों में अंतर

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तेरी जानिब उठी जो कहर की नज़र
तेरी जानिब उठी जो कहर की नज़र
उस नज़र को झुका के ही दम लेंगे हम
उस नज़र को झुका के ही दम लेंगे हम
तेरी धरती पे है जो कदम ग़ैर का
तेरी धरती पे है जो क़दम ग़ैर का
उस कदम का निशां तक मिटा देंगे हम
उस क़दम का निशां तक मिटा देंगे हम
जो भी दीवार आयेगी अब सामने
जो भी दीवार आयेगी अब सामने
ठोकरों से उसे हम गिरा जायेंगे
ठोकरों से उसे हम गिरा जायेंगे

14:15, 11 मई 2012 का अवतरण

संक्षिप्त परिचय
  • फ़िल्म : शहीद (1965)
  • संगीतकार : प्रेम धवन
  • गायक : मोहम्मद रफ़ी
  • गीतकार: प्रेम धवन

जलते भी गये कहते भी गये
आज़ादी के परवाने
जीना तो उसी का जीना है
जो मरना देश पर जाने

जब शहीदों की डोली उठे धूम से
देशवालों तुम आँसू बहाना नहीं
पर मनाओ जब आज़ाद भारत का दिन
उस घड़ी तुम हमें भूल जाना नहीं

ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी क़सम
तेरी राहों में जां तक लुटा जायेंगे
फूल क्या चीज़ है तेरे कदमों पे हम
भेंट अपने सरों की चढ़ा जायेंगे
ऐ वतन ऐ वतन...

कोई पंजाब से, कोई महाराष्ट्र से
कोई यूपी से है, कोई बंगाल से
तेरी पूजा की थाली में लाये हैं हम
फूल हर रंग के, आज हर डाल से
नाम कुछ भी सही पर लगन एक है
जोत से जोत दिल की जगा जायेंगे
ऐ वतन ऐ वतन...

तेरी जानिब उठी जो कहर की नज़र
उस नज़र को झुका के ही दम लेंगे हम
तेरी धरती पे है जो क़दम ग़ैर का
उस क़दम का निशां तक मिटा देंगे हम
जो भी दीवार आयेगी अब सामने
ठोकरों से उसे हम गिरा जायेंगे
ऐ वतन ऐ वतन...


टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

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