"ऐ वतन ऐ वतन": अवतरणों में अंतर
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तेरी जानिब उठी जो कहर की नज़र | तेरी जानिब उठी जो कहर की नज़र | ||
उस नज़र को झुका के ही दम लेंगे हम | उस नज़र को झुका के ही दम लेंगे हम | ||
तेरी धरती पे है जो | तेरी धरती पे है जो क़दम ग़ैर का | ||
उस | उस क़दम का निशां तक मिटा देंगे हम | ||
जो भी दीवार आयेगी अब सामने | जो भी दीवार आयेगी अब सामने | ||
ठोकरों से उसे हम गिरा जायेंगे | ठोकरों से उसे हम गिरा जायेंगे |
14:15, 11 मई 2012 का अवतरण
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जलते भी गये कहते भी गये |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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