"दक्षिणायण": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''दक्षिणायण''' में सूर्य [[कर्क रेखा]] से [[मकर रेखा]] की ओर अर्थात [[भूमध्य रेखा]] से दक्षिण दिशा की ओर भ्रमण करता है।  
'''दक्षिणायण''' अथवा '''दक्षिणायन''' में सूर्य [[कर्क रेखा]] से [[मकर रेखा]] की ओर अर्थात [[भूमध्य रेखा]] से दक्षिण दिशा की ओर भ्रमण करता है।  
*दक्षिणायण का समय [[देवता|देवताओं]] की रात्रि माना जाता है।
*दक्षिणायण का समय [[देवता|देवताओं]] की रात्रि माना जाता है।
*जब [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] कर्क राशि अर्थात 21-22 [[जून]] से ले कर 6 [[माह]] तक अर्थात धनु राशि तक रहता है, तब तक दक्षिणायण कहलाता है। इसे 'याम्य अयण' भी कहते हैं।  
*जब [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] कर्क राशि अर्थात 21-22 [[जून]] से ले कर 6 [[माह]] तक अर्थात धनु राशि तक रहता है, तब तक दक्षिणायण कहलाता है। इसे 'याम्य अयण' भी कहते हैं।  

14:03, 17 मई 2012 का अवतरण

दक्षिणायण अथवा दक्षिणायन में सूर्य कर्क रेखा से मकर रेखा की ओर अर्थात भूमध्य रेखा से दक्षिण दिशा की ओर भ्रमण करता है।

  • दक्षिणायण का समय देवताओं की रात्रि माना जाता है।
  • जब सूर्य कर्क राशि अर्थात 21-22 जून से ले कर 6 माह तक अर्थात धनु राशि तक रहता है, तब तक दक्षिणायण कहलाता है। इसे 'याम्य अयण' भी कहते हैं।
  • दक्षिणायन में वर्षा, शरद और हेमंत आदि ऋतु होती है।
  • इस काल में सूर्य, पितरों का अधिपति माना जाता है।
  • इस काल में षोड़श कर्म और अन्य मांगलिक कर्मों के आतिरिक्त अन्य कर्म ही मान्य है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख