"मैरी कॉम": अवतरणों में अंतर
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मैरी कॉम का पूरा नाम '''मैंगते चंग्नेइजैंग मैरी कॉम''' है परंतु मैरी कॉम अधिक लोकप्रिय नाम है। मैरी कॉम एक भारतीय महिला मुक्केबाज हैं। मैरी कॉम [[भारत]] के [[मणिपुर]] राज्य से हैं। | मैरी कॉम का पूरा नाम '''मैंगते चंग्नेइजैंग मैरी कॉम''' है परंतु मैरी कॉम अधिक लोकप्रिय नाम है। मैरी कॉम एक भारतीय महिला मुक्केबाज हैं। मैरी कॉम [[भारत]] के [[मणिपुर]] राज्य से हैं। | ||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
मैरी कॉम का जन्म [[1 मार्च]], [[1983]] को मणिपुर के [[चुराचांदपुर ज़िला|चुराचांदपुर ज़िले]] में एक ग़रीब किसान के परिवार में हुआ। मैरी काम के जीवन की कहानी मुश्किलों में भी हार न मानने के जज्बे को बयान करती है। [[परिवार]] की आर्थिक स्थिति को देखते हुए मैरी कॉम के लिए खेलों में अपनी रूचि के आधार पर इस क्षेत्र में प्रोफेशनल ट्रेनिंग और उपलब्धियों का ख्वाब संजोना कठिन था, पर जहाँ चाह हो, वहाँ राह निकल ही आती है। पूर्व में मैरी कॉम एथलीट थीं। उनके भीतर बॉक्सिंग का शौक 1999 में उस समय उत्पन्न हुआ जब उन्होंने खुमान लम्पक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में कुछ लड़कियों को बॉक्सिंग रिंग में लड़कों के साथ बॉक्सिंग के दांव-पेंच आजमाते देखा। ''मैरी कॉम बताती है कि मैं वह नजारा देख कर स्तब्ध थी। मुझे लगा कि जब वे लड़कियां बॉक्सिंग कर सकती है तो मैं क्यों नहीं? मैंने बॉक्सिंग के क्षेत्र में अपनी कोशिशों को परखने का फैसला किया, जिसकी बदौलत आज मैं इतना कुछ हासिल कर सकी हूँ।'' मैरी कॉम के अनुसार शुरुआत में उनके [[पिता]] उनके इस फैसले के खिलाफ थे। पिता को लगता था कि बॉक्सिंग महिलाओं के लिए निषेध है।{{cite web |url=http://in.jagran.yahoo.com/news/features/general/8_14_5049408.html |title=सफलता के लिए मजबूत इरादा जरूरी: मैरी कॉम |accessmonthday=21 मई |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language= }} | मैरी कॉम का जन्म [[1 मार्च]], [[1983]] को मणिपुर के [[चुराचांदपुर ज़िला|चुराचांदपुर ज़िले]] में एक ग़रीब किसान के परिवार में हुआ। मैरी काम के जीवन की कहानी मुश्किलों में भी हार न मानने के जज्बे को बयान करती है। [[परिवार]] की आर्थिक स्थिति को देखते हुए मैरी कॉम के लिए खेलों में अपनी रूचि के आधार पर इस क्षेत्र में प्रोफेशनल ट्रेनिंग और उपलब्धियों का ख्वाब संजोना कठिन था, पर जहाँ चाह हो, वहाँ राह निकल ही आती है। पूर्व में मैरी कॉम एथलीट थीं। उनके भीतर बॉक्सिंग का शौक 1999 में उस समय उत्पन्न हुआ जब उन्होंने खुमान लम्पक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में कुछ लड़कियों को बॉक्सिंग रिंग में लड़कों के साथ बॉक्सिंग के दांव-पेंच आजमाते देखा। ''मैरी कॉम बताती है कि मैं वह नजारा देख कर स्तब्ध थी। मुझे लगा कि जब वे लड़कियां बॉक्सिंग कर सकती है तो मैं क्यों नहीं? मैंने बॉक्सिंग के क्षेत्र में अपनी कोशिशों को परखने का फैसला किया, जिसकी बदौलत आज मैं इतना कुछ हासिल कर सकी हूँ।'' मैरी कॉम के अनुसार शुरुआत में उनके [[पिता]] उनके इस फैसले के खिलाफ थे। पिता को लगता था कि बॉक्सिंग महिलाओं के लिए निषेध है।<ref>{{cite web |url=http://in.jagran.yahoo.com/news/features/general/8_14_5049408.html |title=सफलता के लिए मजबूत इरादा जरूरी: मैरी कॉम |accessmonthday=21 मई |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=जागरण याहू इंडिया |language=हिन्दी}} </ref> | ||
====पहली सफलता==== | ====पहली सफलता==== | ||
मैरी कॉम ने वर्ष 2001 में पहली बार नेशनल वुमन्स बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती। प्रथम अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के अपने अनुभव के बारे में वह बताती है कि मैं काफी घबराई हुई थी। तब मैंने सोचा मेरे पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है, पर पाने के लिए बहुत कुछ है। इस सोच के साथ मैरी कॉम ने वर्ल्ड वुमन्स बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया। | मैरी कॉम ने वर्ष 2001 में पहली बार नेशनल वुमन्स बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती। प्रथम अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के अपने अनुभव के बारे में वह बताती है कि मैं काफी घबराई हुई थी। तब मैंने सोचा मेरे पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है, पर पाने के लिए बहुत कुछ है। इस सोच के साथ मैरी कॉम ने वर्ल्ड वुमन्स बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया। | ||
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==सम्मान और पुरस्कार== | ==सम्मान और पुरस्कार== | ||
मुक्केबाज की दुनिया में भारत का नाम रोशन करने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2003 में उन्हें [[अर्जुन पुरस्कार]] से नवाजा एवं वर्ष 2006 में उन्हें [[पद्म श्री]] से सम्मानित किया गया। [[29 जुलाई,]] 2009 को वे भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान [[राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार]] के लिए मुक्केबाज [[विजेन्द्र कुमार सिंह|विजेंदर कुमार]] तथा पहलवान [[सुशील कुमार पहलवान|सुशील कुमार]] के साथ संयुक्त रूप से चुनीं गयीं। | मुक्केबाज की दुनिया में भारत का नाम रोशन करने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2003 में उन्हें [[अर्जुन पुरस्कार]] से नवाजा एवं वर्ष 2006 में उन्हें [[पद्म श्री]] से सम्मानित किया गया। [[29 जुलाई,]] 2009 को वे भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान [[राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार]] के लिए मुक्केबाज [[विजेन्द्र कुमार सिंह|विजेंदर कुमार]] तथा पहलवान [[सुशील कुमार पहलवान|सुशील कुमार]] के साथ संयुक्त रूप से चुनीं गयीं। | ||
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07:40, 21 मई 2012 का अवतरण
मैरी कॉम का पूरा नाम मैंगते चंग्नेइजैंग मैरी कॉम है परंतु मैरी कॉम अधिक लोकप्रिय नाम है। मैरी कॉम एक भारतीय महिला मुक्केबाज हैं। मैरी कॉम भारत के मणिपुर राज्य से हैं।
जीवन परिचय
मैरी कॉम का जन्म 1 मार्च, 1983 को मणिपुर के चुराचांदपुर ज़िले में एक ग़रीब किसान के परिवार में हुआ। मैरी काम के जीवन की कहानी मुश्किलों में भी हार न मानने के जज्बे को बयान करती है। परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए मैरी कॉम के लिए खेलों में अपनी रूचि के आधार पर इस क्षेत्र में प्रोफेशनल ट्रेनिंग और उपलब्धियों का ख्वाब संजोना कठिन था, पर जहाँ चाह हो, वहाँ राह निकल ही आती है। पूर्व में मैरी कॉम एथलीट थीं। उनके भीतर बॉक्सिंग का शौक 1999 में उस समय उत्पन्न हुआ जब उन्होंने खुमान लम्पक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में कुछ लड़कियों को बॉक्सिंग रिंग में लड़कों के साथ बॉक्सिंग के दांव-पेंच आजमाते देखा। मैरी कॉम बताती है कि मैं वह नजारा देख कर स्तब्ध थी। मुझे लगा कि जब वे लड़कियां बॉक्सिंग कर सकती है तो मैं क्यों नहीं? मैंने बॉक्सिंग के क्षेत्र में अपनी कोशिशों को परखने का फैसला किया, जिसकी बदौलत आज मैं इतना कुछ हासिल कर सकी हूँ। मैरी कॉम के अनुसार शुरुआत में उनके पिता उनके इस फैसले के खिलाफ थे। पिता को लगता था कि बॉक्सिंग महिलाओं के लिए निषेध है।[1]
पहली सफलता
मैरी कॉम ने वर्ष 2001 में पहली बार नेशनल वुमन्स बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती। प्रथम अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के अपने अनुभव के बारे में वह बताती है कि मैं काफी घबराई हुई थी। तब मैंने सोचा मेरे पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है, पर पाने के लिए बहुत कुछ है। इस सोच के साथ मैरी कॉम ने वर्ल्ड वुमन्स बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया।
प्रमुख उपलब्धियाँ
सम्मान और पुरस्कार
मुक्केबाज की दुनिया में भारत का नाम रोशन करने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2003 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से नवाजा एवं वर्ष 2006 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया। 29 जुलाई, 2009 को वे भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए मुक्केबाज विजेंदर कुमार तथा पहलवान सुशील कुमार के साथ संयुक्त रूप से चुनीं गयीं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सफलता के लिए मजबूत इरादा जरूरी: मैरी कॉम (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) जागरण याहू इंडिया। अभिगमन तिथि: 21 मई, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
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