"रोटी और स्वाधीनता -रामधारी सिंह दिनकर": अवतरणों में अंतर
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हो रहे खड़े आज़ादी को हर ओर दगा देने वाले, | हो रहे खड़े आज़ादी को हर ओर दगा देने वाले, | ||
पशुओं को रोटी दिखा उन्हें फिर साथ लगा लेने वाले। | पशुओं को रोटी दिखा उन्हें फिर साथ लगा लेने वाले। | ||
इनके जादू का | इनके जादू का ज़ोर भला कब तक बुभुक्षु सह सकता है ? | ||
है कौन, पेट की ज्वाला में पड़कर मनुष्य रह सकता है ? | है कौन, पेट की ज्वाला में पड़कर मनुष्य रह सकता है ? | ||
14:44, 27 मई 2012 के समय का अवतरण
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