"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/4": अवतरणों में अंतर

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-देहमोरासीघुंडई
-देहमोरासीघुंडई
+उपरोक्त सभी
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{किसके शासन काल में 'ब्लैक होल घटना घटित हुई थी?(ल्यूसेंट, पृ. 73, प्र. 61)
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-[[अलीवर्दी ख़ाँ]]
-[[मीर ज़ाफ़र]]
+[[सिराजुद्दौला]]
-[[मीर कासिम]]
||[[चित्र:Black-Hole-Of-Calcutta.jpg|right|100px|कलकत्ता की कालकोठरी]]'[[कलकत्ता की काल कोठरी]]' में घटी घटना [[भारतीय इतिहास]] की प्रमुख घटनाओं में से एक है। [[20 जून]], 1756 ई. को [[बंगाल]] के नवाब [[सिराजुद्दौला]] ने नगर पर क़ब्ज़ा कर लिया। [[कलकत्ता]] स्थित अधिकांश [[अंग्रेज़]] पराजित होने पर जहाज़ों द्वारा नदी के मार्ग से भाग चुके थे और जो थोड़े से भागने में असफल रहे, वे बन्दी बना लिये गये। उन्हें क़िले के भीतर ही एक कोठरी में रखा गया था, जो 'कालकोठरी' नाम से विख्यात थी और जिसके विषय में नवाब सिराजुद्दौला पूर्णतया अनभिज्ञ था। इस कोठरी को 'ब्लेक हॉल' के नाम से भी जाना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिराजुद्दौला]]


{[[पालि भाषा|पालि]] ग्रंथों में गाँव के मुखिया को क्या कहा गया है?(ल्यूसेंट, पृ. 8, प्र. 8)
{[[पालि भाषा|पालि]] ग्रंथों में गाँव के मुखिया को क्या कहा गया है?(ल्यूसेंट, पृ. 8, प्र. 8)
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-एनासिक्रिटिस
-एनासिक्रिटिस
-एरिस्टोबुलस
-एरिस्टोबुलस
{[[मौर्यकालीन भारत]] में 'एग्रोनोमोई' किसे कहा जाता था?(ल्यूसेंट, पृ. 16, प्र. 62)
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-भवन निर्माण अधिकारी
+सड़क निर्माण अधिकारी
-[[कृषि]] विभाग का अधिकारी
-माप-तौल का अधिकारी
||[[मेगस्थनीज़]] के विवरण से पता चलता है कि मार्ग निर्माण कार्य का एक विशेष अधिकारी होता था, जो 'एग्रोनोमोई' कहलाता था। ये सड़कों की देखरेख करते थे और 10 स्टेडिया की दूरी पर एक स्तंभ खड़ा कर देते थे। साम्राज्य के राजमार्गों में उत्तर पश्चिम को [[पाटलिपुत्र]] से मिलाने वाला राजमार्ग था। मेगस्थनीज़ के अनुसार इसकी लम्बाई 1300 मील {{मील|मील=1300}} थी। पाटलिपुत्र के आगे यह मार्ग [[ताम्रलिप्ति]] तक जाता था। [[हिमालय]] की ओर जाने वाले मार्ग की तुलना, दक्षिण को जाने वाले मार्ग से करते हुए [[कौटिल्य]] ने दक्षिण मार्ग अधिक लाभदायक बताया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मौर्यकालीन भारत]]


{[[महात्मा बुद्ध]] के गृह त्याग का प्रतीक क्या है?(ल्यूसेंट, पृ. 10, प्र.25)
{[[महात्मा बुद्ध]] के गृह त्याग का प्रतीक क्या है?(ल्यूसेंट, पृ. 10, प्र.25)
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-[[गया]] में
-[[गया]] में
||'कपिलवस्तु' [[श्रावस्ती]] का समकालीन नगर था। यहाँ पर शाक्य राजा शुद्धोधन की राजधानी थी, जो [[गौतम बुद्ध]] के [[पिता]] थे। परंपरा के अनुसार वहाँ [[कपिल मुनि]] ने तपस्या की थी, इसीलिये यह '[[कपिलवस्तु]]' (अर्थात् महर्षि कपिल का स्थान) नाम से प्रसिद्ध हो गया। नगर के चारों ओर एक परकोटा था, जिसकी ऊँचाई अठारह हाथ थी। गौतम बुद्ध के काल में भारतवर्ष के समृद्धिशाली नगरों में इसकी गणना होती थी। यह उस समय तिजारती रास्तों पर पड़ता था। वहाँ से एक सीधा रास्ता [[वैशाली]], [[पटना]] और [[राजगृह]] होते हुये पूरब की ओर निकल जाता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कपिलवस्तु]]
||'कपिलवस्तु' [[श्रावस्ती]] का समकालीन नगर था। यहाँ पर शाक्य राजा शुद्धोधन की राजधानी थी, जो [[गौतम बुद्ध]] के [[पिता]] थे। परंपरा के अनुसार वहाँ [[कपिल मुनि]] ने तपस्या की थी, इसीलिये यह '[[कपिलवस्तु]]' (अर्थात् महर्षि कपिल का स्थान) नाम से प्रसिद्ध हो गया। नगर के चारों ओर एक परकोटा था, जिसकी ऊँचाई अठारह हाथ थी। गौतम बुद्ध के काल में भारतवर्ष के समृद्धिशाली नगरों में इसकी गणना होती थी। यह उस समय तिजारती रास्तों पर पड़ता था। वहाँ से एक सीधा रास्ता [[वैशाली]], [[पटना]] और [[राजगृह]] होते हुये पूरब की ओर निकल जाता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कपिलवस्तु]]
{[[बौद्ध धर्म]] तथा [[जैन धर्म]] दोनों ही विश्वास करते हैं कि-(ल्यूसेंट, पृ. 12, प्र. 77)
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+कर्म तथा [[पुनर्जन्म]] के सिद्धांत सही हैं।
-मृत्यु के पश्चात ही मोक्ष सम्भव है।
-स्त्री तथा पुरुष दोनों ही मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।
-जीवन में मध्यम मार्ग सर्वश्रेष्ठ है।
||[[चित्र:Changing-bodies2.jpg|right|100px|मनुष्य का जीवन चक्र]]'पुनर्जन्म' का अर्थ है- "पुन: नवीन शरीर प्राप्त होना।" प्रत्येक मनुष्य का मूल स्वरूप [[आत्मा]] है न कि [[मानव शरीर|शरीर]]। हर बार मृत्यु होने पर मात्र शरीर का ही अंत होता है। इसीलिए मृत्यु को 'देहांत' (देह का अंत) कहा जाता है। मनुष्य का असली स्वरूप आत्मा, पूर्व कर्मों का फल भोगने के लिए पुन: नया शरीर प्राप्त करता है। आत्मा तब तक जन्म-मृत्यु के चक्र में घूमता रहता है, जब तक कि उसे मोक्ष प्राप्त नहीं हो जाता। मोक्ष को ही निवार्ण, आत्मज्ञान, पूर्णता एवं कैवल्य आदि नामों से भी जानते हैं। पुनर्जन्म का सिद्धांत मूलत: कर्मफल का ही सिद्धांत है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पुनर्जन्म]]


{[[कौटिल्य]] के '[[अर्थशास्त्र ग्रंथ|अर्थशास्त्र]]' में किस पहलू पर प्रकाश डाला गया है?(ल्यूसेंट, पृ. 15, प्र. 32)
{[[कौटिल्य]] के '[[अर्थशास्त्र ग्रंथ|अर्थशास्त्र]]' में किस पहलू पर प्रकाश डाला गया है?(ल्यूसेंट, पृ. 15, प्र. 32)
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-[[1907]] ई.
-[[1907]] ई.
-[[1906]] ई.
-[[1906]] ई.
{[[बौद्ध धर्म]] तथा [[जैन धर्म]] दोनों ही विश्वास करते हैं कि-(ल्यूसेंट, पृ. 12, प्र. 77)
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+कर्म तथा [[पुनर्जन्म]] के सिद्धांत सही हैं।
-मृत्यु के पश्चात ही मोक्ष सम्भव है।
-स्त्री तथा पुरुष दोनों ही मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।
-जीवन में मध्यम मार्ग सर्वश्रेष्ठ है।
||[[चित्र:Changing-bodies2.jpg|right|100px|मनुष्य का जीवन चक्र]]'पुनर्जन्म' का अर्थ है- "पुन: नवीन शरीर प्राप्त होना।" प्रत्येक मनुष्य का मूल स्वरूप [[आत्मा]] है न कि [[मानव शरीर|शरीर]]। हर बार मृत्यु होने पर मात्र शरीर का ही अंत होता है। इसीलिए मृत्यु को 'देहांत' (देह का अंत) कहा जाता है। मनुष्य का असली स्वरूप आत्मा, पूर्व कर्मों का फल भोगने के लिए पुन: नया शरीर प्राप्त करता है। आत्मा तब तक जन्म-मृत्यु के चक्र में घूमता रहता है, जब तक कि उसे मोक्ष प्राप्त नहीं हो जाता। मोक्ष को ही निवार्ण, आत्मज्ञान, पूर्णता एवं कैवल्य आदि नामों से भी जानते हैं। पुनर्जन्म का सिद्धांत मूलत: कर्मफल का ही सिद्धांत है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पुनर्जन्म]]


{नेताजी [[सुभाषचन्द्र बोस]] ने [[सिंगापुर]] में 'दिल्ली चलो' का नारा कब दिया?(ल्यूसेंट, पृ. 101, प्र. 10)
{नेताजी [[सुभाषचन्द्र बोस]] ने [[सिंगापुर]] में 'दिल्ली चलो' का नारा कब दिया?(ल्यूसेंट, पृ. 101, प्र. 10)
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-उजबेग़ ख़ाँ
-उजबेग़ ख़ाँ
||[[चित्र:The-Tomb-Of-Ghayasuddin-Tughlak.jpg|right|140px|ग़यासुद्दीन तुग़लक़ का मक़बरा]]'ग़ाज़ी मलिक' या 'तुग़लक़ ग़ाज़ी', [[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]] (1320-1325 ई.) के नाम से [[8 सितम्बर]], 1320 ई. को [[दिल्ली]] के सिंहासन पर बैठा। इसे [[तुग़लक़ वंश]] का संस्थापक भी माना जाता है। इसने कुल 29 बार [[मंगोल]] आक्रमण को विफल किया। सुल्तान बनने से पहले वह [[क़ुतुबुद्दीन मुबारक ख़िलजी]] के शासन काल में उत्तर-पश्चिमी सीमान्त प्रान्त का शक्तिशाली गर्वनर नियुक्त हुआ था। वह [[दिल्ली सल्तनत]] का पहला सुल्तान था, जिसने अपने नाम के साथ 'ग़ाज़ी' (काफ़िरों का वध करने वाला) शब्द जोड़ा था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ग़ाज़ी मलिक]]
||[[चित्र:The-Tomb-Of-Ghayasuddin-Tughlak.jpg|right|140px|ग़यासुद्दीन तुग़लक़ का मक़बरा]]'ग़ाज़ी मलिक' या 'तुग़लक़ ग़ाज़ी', [[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]] (1320-1325 ई.) के नाम से [[8 सितम्बर]], 1320 ई. को [[दिल्ली]] के सिंहासन पर बैठा। इसे [[तुग़लक़ वंश]] का संस्थापक भी माना जाता है। इसने कुल 29 बार [[मंगोल]] आक्रमण को विफल किया। सुल्तान बनने से पहले वह [[क़ुतुबुद्दीन मुबारक ख़िलजी]] के शासन काल में उत्तर-पश्चिमी सीमान्त प्रान्त का शक्तिशाली गर्वनर नियुक्त हुआ था। वह [[दिल्ली सल्तनत]] का पहला सुल्तान था, जिसने अपने नाम के साथ 'ग़ाज़ी' (काफ़िरों का वध करने वाला) शब्द जोड़ा था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ग़ाज़ी मलिक]]
{[[मौर्यकालीन भारत]] में 'एग्रोनोमोई' किसे कहा जाता था?(ल्यूसेंट, पृ. 16, प्र. 62)
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-भवन निर्माण अधिकारी
+सड़क निर्माण अधिकारी
-[[कृषि]] विभाग का अधिकारी
-माप-तौल का अधिकारी
||[[मेगस्थनीज़]] के विवरण से पता चलता है कि मार्ग निर्माण कार्य का एक विशेष अधिकारी होता था, जो 'एग्रोनोमोई' कहलाता था। ये सड़कों की देखरेख करते थे और 10 स्टेडिया की दूरी पर एक स्तंभ खड़ा कर देते थे। साम्राज्य के राजमार्गों में उत्तर पश्चिम को [[पाटलिपुत्र]] से मिलाने वाला राजमार्ग था। मेगस्थनीज़ के अनुसार इसकी लम्बाई 1300 मील {{मील|मील=1300}} थी। पाटलिपुत्र के आगे यह मार्ग [[ताम्रलिप्ति]] तक जाता था। [[हिमालय]] की ओर जाने वाले मार्ग की तुलना, दक्षिण को जाने वाले मार्ग से करते हुए [[कौटिल्य]] ने दक्षिण मार्ग अधिक लाभदायक बताया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मौर्यकालीन भारत]]
{किसके शासन काल में 'ब्लैक होल घटना घटित हुई थी?(ल्यूसेंट, पृ. 73, प्र. 61)
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-[[अलीवर्दी ख़ाँ]]
-[[मीर ज़ाफ़र]]
+[[सिराजुद्दौला]]
-[[मीर कासिम]]
||[[चित्र:Black-Hole-Of-Calcutta.jpg|right|100px|कलकत्ता की कालकोठरी]]'[[कलकत्ता की काल कोठरी]]' में घटी घटना [[भारतीय इतिहास]] की प्रमुख घटनाओं में से एक है। [[20 जून]], 1756 ई. को [[बंगाल]] के नवाब [[सिराजुद्दौला]] ने नगर पर क़ब्ज़ा कर लिया। [[कलकत्ता]] स्थित अधिकांश [[अंग्रेज़]] पराजित होने पर जहाज़ों द्वारा नदी के मार्ग से भाग चुके थे और जो थोड़े से भागने में असफल रहे, वे बन्दी बना लिये गये। उन्हें क़िले के भीतर ही एक कोठरी में रखा गया था, जो 'कालकोठरी' नाम से विख्यात थी और जिसके विषय में नवाब सिराजुद्दौला पूर्णतया अनभिज्ञ था। इस कोठरी को 'ब्लेक हॉल' के नाम से भी जाना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिराजुद्दौला]]
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08:19, 1 जून 2012 का अवतरण

इतिहास सामान्य ज्ञान

1 सिन्धु घाटी सभ्यता की विकसित अवस्था में निम्नलिखित में से किस स्थल से घरों में कुओं के अवशेष मिले हैं?(ल्यूसेंट, पृ. 2, प्र.44)

हड़प्पा
कालीबंगा
लोथल
मोहनजोदड़ो

2 हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो की पुरातात्विक खुदाई के प्रभारी कौन थे?(ल्यूसेंट, पृ. 2, प्र.47)

लॉर्ड मैकाले
सर जॉन मार्शल
लॉर्ड क्लाइव
कर्नल टॉड

3 निम्नलिखित में से कौन अफ़ग़ानिस्तान स्थित सिन्धु सभ्यता का स्थल है?(ल्यूसेंट, पृ. 3, प्र.61)

मुंडीगाक
सुर्तोगोई
देहमोरासीघुंडई
उपरोक्त सभी

4 किसके शासन काल में 'ब्लैक होल घटना घटित हुई थी?(ल्यूसेंट, पृ. 73, प्र. 61)

अलीवर्दी ख़ाँ
मीर ज़ाफ़र
सिराजुद्दौला
मीर कासिम

5 पालि ग्रंथों में गाँव के मुखिया को क्या कहा गया है?(ल्यूसेंट, पृ. 8, प्र. 8)

ग्रामक
ग्राम भोजक
जेष्ठक
ग्रामपति

6 निम्न में से कौन सिकन्दर के साथ भारत आने वाला इतिहासकार नहीं था?(ल्यूसेंट, पृ. 9, प्र.48)

हेरोडोट्स
नियाकर्स
एनासिक्रिटिस
एरिस्टोबुलस

7 मौर्यकालीन भारत में 'एग्रोनोमोई' किसे कहा जाता था?(ल्यूसेंट, पृ. 16, प्र. 62)

भवन निर्माण अधिकारी
सड़क निर्माण अधिकारी
कृषि विभाग का अधिकारी
माप-तौल का अधिकारी

8 महात्मा बुद्ध के गृह त्याग का प्रतीक क्या है?(ल्यूसेंट, पृ. 10, प्र.25)

हाथी
बैल
घोड़ा
भेड़

9 गौतम बुद्ध ने 'भिक्षुणी संघ' की स्थापना कहाँ की थी?(ल्यूसेंट, पृ. 10, प्र.26)

सारनाथ में
कपिलवस्तु में
वैशाली में
गया में

10 कौटिल्य के 'अर्थशास्त्र' में किस पहलू पर प्रकाश डाला गया है?(ल्यूसेंट, पृ. 15, प्र. 32)

आर्थिक जीवन
धार्मिक जीवन
सामाजिक जीवन
राजनीतिक जीवन

11 पाटलिपुत्र में स्थित चन्द्रगुप्त का महल मुख्यत: किसका बना था?(ल्यूसेंट, पृ. 15, प्र. 35)

ईंटों का
पत्थरों का
लकड़ी का
मिट्टी का

12 लॉर्ड कर्ज़न ने बंगाल विभाजन किस वर्ष रद्द किया था?(ल्यूसेंट, पृ. 101, प्र. 77)

1911 ई.
1904 ई.
1907 ई.
1906 ई.

13 बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म दोनों ही विश्वास करते हैं कि-(ल्यूसेंट, पृ. 12, प्र. 77)

कर्म तथा पुनर्जन्म के सिद्धांत सही हैं।
मृत्यु के पश्चात ही मोक्ष सम्भव है।
स्त्री तथा पुरुष दोनों ही मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।
जीवन में मध्यम मार्ग सर्वश्रेष्ठ है।

14 नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने सिंगापुर में 'दिल्ली चलो' का नारा कब दिया?(ल्यूसेंट, पृ. 101, प्र. 10)

1942 ई.
1943 ई.
1944 ई.
1945 ई.

15 भारत एवं पाकिस्तान के बीच सीमांकन किसने किया?(ल्यूसेंट, पृ. 104, प्र. 70)

लॉर्ड माउंटबेटन
सीरिल रेडक्लिफ़
स्ट्रेफ़र्ड क्रिप्स
जॉन लॉरेन्स

16 अलाउद्दीन ख़िलजी के निम्न सेनाध्यक्षों में से कौन तुग़लक़ वंश का प्रथम सुल्तान बना?(ल्यूसेंट, पृ. 41, प्र. 106)

ग़ाज़ी मलिक
मलिक काफ़ूर
जफ़र ख़ाँ
उजबेग़ ख़ाँ