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'''ध्यानपुर''' [[बटाला]] तहसील, [[गुरदासपुर ज़िला]], [[पंजाब]] का एक छोटा-सा ग्राम है। इस गाँव की प्रसिद्धि का कारण यहाँ स्थित वैरागी संत बाबा लाल जी की समाधि है। बाबा लाल जी [[मुग़ल]] बादशाह [[शाहजहाँ]] के ज्येष्ठ पुत्र [[दारा शिकोह]] के [[गुरु]] थे। | '''ध्यानपुर''' [[बटाला]] तहसील, [[गुरदासपुर ज़िला]], [[पंजाब]] का एक छोटा-सा ग्राम है। इस गाँव की प्रसिद्धि का कारण यहाँ स्थित वैरागी संत बाबा लाल जी की समाधि है। बाबा लाल जी [[मुग़ल]] बादशाह [[शाहजहाँ]] के ज्येष्ठ पुत्र [[दारा शिकोह]] के [[गुरु]] थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=469|url=}}</ref> | ||
*बादशाह शाहजहाँ का ज्येष्ठ पुत्र दारा उदार [[हृदय]] का व्यक्ति था और [[हिन्दु]] तथा [[मुसलमान|मुसलमानों]] की धर्म परम्पराओं में समानता स्थापित करने का इच्छुक था। | *बादशाह शाहजहाँ का ज्येष्ठ पुत्र दारा उदार [[हृदय]] का व्यक्ति था और [[हिन्दु]] तथा [[मुसलमान|मुसलमानों]] की धर्म परम्पराओं में समानता स्थापित करने का इच्छुक था। | ||
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10:03, 2 जून 2012 के समय का अवतरण
ध्यानपुर बटाला तहसील, गुरदासपुर ज़िला, पंजाब का एक छोटा-सा ग्राम है। इस गाँव की प्रसिद्धि का कारण यहाँ स्थित वैरागी संत बाबा लाल जी की समाधि है। बाबा लाल जी मुग़ल बादशाह शाहजहाँ के ज्येष्ठ पुत्र दारा शिकोह के गुरु थे।[1]
- बादशाह शाहजहाँ का ज्येष्ठ पुत्र दारा उदार हृदय का व्यक्ति था और हिन्दु तथा मुसलमानों की धर्म परम्पराओं में समानता स्थापित करने का इच्छुक था।
- बाबा लाल जी की समाधि के बीच वाले प्रकोष्ठ में बैठकर दारा अपना समय इसी समस्या के चिंतन में व्यतीत करता था।
- इस प्रकोष्ठ की छतों और दीवारों पर दारा ने सुंदर चित्र बनवाये थे, जो अब धुंधले पड़ गये हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 469 |
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