"अगरुपत्र (लेखन सामग्री)": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
*सांचीपातीय हस्तलिपियाँ बड़ी संख्या में प्राप्त हुई हैं। | *सांचीपातीय हस्तलिपियाँ बड़ी संख्या में प्राप्त हुई हैं। | ||
*इनमें से कुछ हस्तलिपियाँ विदेशों में भी पहुँच गई हैं। | *इनमें से कुछ हस्तलिपियाँ विदेशों में भी पहुँच गई हैं। | ||
*तत्कालीन तमिल साहित्य में दक्षिण भारतीय लोगों में प्रचलित आभूषण, सुवासित मालाओं, सुगंधि, [[चंदन]], अगरु के आलेप, सुवासित चूर्ण के उल्लेख हैं।{{cite book | last =गिरि| first =कमल| title =भारतीय श्रृंगार| edition = | publisher = | location = | language = | pages = | chapter =}} | *तत्कालीन तमिल साहित्य में दक्षिण भारतीय लोगों में प्रचलित आभूषण, सुवासित मालाओं, सुगंधि, [[चंदन]], अगरु के आलेप, सुवासित चूर्ण के उल्लेख हैं।<ref>{{cite book | last =गिरि| first =कमल| title =भारतीय श्रृंगार| edition = | publisher = | location = | language = | pages = | chapter =}} </ref> | ||
*प्रसाधन सामग्री में प्रारम्भ से ही चंदन और अगरु का प्रमुख स्थान रहा है। [[असम]] में अगरु के वृक्ष होते थे। | *प्रसाधन सामग्री में प्रारम्भ से ही चंदन और अगरु का प्रमुख स्थान रहा है। [[असम]] में अगरु के वृक्ष होते थे। | ||
*शरीर पर चंदन का आलेप कर काले अगरु से नमूना बनाया जाता था जिसमें मकर की आकृति विशेष प्रचलित थी।<ref>हर्ष चरित, पृ.39</ref> | *शरीर पर चंदन का आलेप कर काले अगरु से नमूना बनाया जाता था जिसमें मकर की आकृति विशेष प्रचलित थी।<ref>हर्ष चरित, पृ.39</ref> |
10:50, 1 जुलाई 2012 का अवतरण
लेखन सामग्री विषय सूची
अगरुपत्र प्राचीन भारत की लेखन सामग्री है।
- ‘अगरु’ सुगन्धित वृक्ष की लकड़ी का नाम है, इसका उपयोग पूजा में सुगन्धि के लिए होता है। व्यापारी-लोग प्राय: ‘अगरु को ‘अगर’ भी बोलते और लिखते हैं, यथा ‘अगर-बत्ती’।[1]
- अगरु वृक्ष की छाल भी, जिसे असम में 'सांचीपात' कहते हैं, ग्रन्थ लिखने और चित्र बनाने के लिए प्रयोग होती थी।
- पूर्वोत्तर भारत में इस छाल का हस्तलिपि-लेखन के लिए काफ़ी उपयोग हुआ है।
- अगरु की छाल लिखने के लिए तैयार करने में बहुत श्रम करना पड़ता था।
- सांचीपातीय हस्तलिपियाँ बड़ी संख्या में प्राप्त हुई हैं।
- इनमें से कुछ हस्तलिपियाँ विदेशों में भी पहुँच गई हैं।
- तत्कालीन तमिल साहित्य में दक्षिण भारतीय लोगों में प्रचलित आभूषण, सुवासित मालाओं, सुगंधि, चंदन, अगरु के आलेप, सुवासित चूर्ण के उल्लेख हैं।[2]
- प्रसाधन सामग्री में प्रारम्भ से ही चंदन और अगरु का प्रमुख स्थान रहा है। असम में अगरु के वृक्ष होते थे।
- शरीर पर चंदन का आलेप कर काले अगरु से नमूना बनाया जाता था जिसमें मकर की आकृति विशेष प्रचलित थी।[3]
- कभी कभी चक्राकार नमूने सफेद अगरु से भी बने थे।[4]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ व्यावहारिक हिन्दी शुद्ध प्रयोग (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 1 जुलाई, 2012।
- ↑ गिरि, कमल भारतीय श्रृंगार।
- ↑ हर्ष चरित, पृ.39
- ↑ कुमारसम्भव 7/9