"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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||[[ | ||[[चित्र:Narsing-Rao.jpg|right|100px|पी. वी. नरसिम्हा राव]]पी. वी. नरसिम्हा राव [[भारत]] के नौवें [[प्रधानमंत्री]] के रूप में जाने जाते हैं। [[पी. वी. नरसिम्हा राव]] का जन्म [[28 जून]], [[1921]] को [[आंध्र प्रदेश]] के 'वांगरा' ग्राम करीम नगर में हुआ था। इनका पूरा नाम 'परबमुल पार्थी वेंकट नरसिम्हा राव' था। इन्हें पूरे नाम से बहुत कम लोग ही जानते थे। इनके [[पिता]] का नाम पी. रंगा था। नरसिम्हा राव ने 'उस्मानिया विश्वविद्यालय' तथा [[नागपुर]] और मुम्बई विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने [[तेलुगु भाषा|तेलुगु]] और [[हिन्दी]] में कविताएँ भी लिखी थीं। समग्र रूप से इन्हें साहित्य में भी काफ़ी रुचि थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पी. वी. नरसिम्हा राव]] | ||
{[[बिहार]] विधान सभा में पहली बार 'पृथक झारखण्ड' प्रस्ताव कब पारित हुआ?(अरिहंत, झा.वि.अ., पृ. 267, प्र. 43) | {[[बिहार]] विधान सभा में पहली बार 'पृथक झारखण्ड' प्रस्ताव कब पारित हुआ?(अरिहंत, झा.वि.अ., पृ. 267, प्र. 43) | ||
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||[[चित्र:Charminar-Hyderabad-1.jpg|right|120px|चार मीनार ,हैदराबाद ]]स्वतंत्रता के पश्चात [[तेलुगु भाषा|तेलुगु भाषी]] क्षेत्र को [[मद्रास]] प्रांत से अलग करके [[1 अक्तूबर]], [[1953]] को नए प्रदेश का निर्माण किया गया, जिसका नाम [[आंध्र प्रदेश]] रखा गया। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 बनने के बाद [[हैदराबाद]] राज्य को आंध्र प्रदेश में मिला कर [[1 नवंबर]], 1956 में 'आंध्र प्रदेश' राज्य का निर्माण हुआ। आंध्र प्रदेश के उत्तर में [[उड़ीसा]] राज्य और [[छत्तीसगढ़]], पश्चिम में [[महाराष्ट्र]] और [[कर्नाटक]], दक्षिण में [[तमिलनाडु]] और पूर्व में लगभग 975 किलोमीटर की तट रेखा [[बंगाल की खाड़ी]] है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[आन्ध्र प्रदेश]] | |||
{निम्नलिखित में से कौन-सी [[झारखण्ड]] राज्य की मुख्य फ़सल है?(अरिहंत, झा.वि.अ., पृ. 271, प्र. 15) | {निम्नलिखित में से कौन-सी [[झारखण्ड]] राज्य की मुख्य फ़सल है?(अरिहंत, झा.वि.अ., पृ. 271, प्र. 15) | ||
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+[[जैन]] | +[[जैन]] | ||
-[[ईसाई]] | -[[ईसाई]] | ||
||[[चित्र:Parasnath-Hills.jpg|right|120px|पारसनाथ पहाड़ी]][[जैन धर्म]] [[भारत]] की श्रमण परम्परा से निकला [[धर्म]] और [[दर्शन]] है। प्राचीन समय से ही जैन धर्म का प्रचार-प्रसार भारत में होने लगा था। जैन धर्म के सातवें [[तीर्थंकर]] [[सुपार्श्वनाथ]] का विहार [[मथुरा]] में हुआ था। विहार-स्थल पर 'कुबेरा देवी' द्वारा जो [[स्तूप]] बनाया गया था, वह जैन धर्म के इतिहास में बड़ा प्रसिद्ध रहा है। [[पारसनाथ पहाड़ी]], जो कि [[झारखण्ड]] राज्य के [[बोकारो]] शहर में स्थित है, जैन लोगों का एक प्रमुख दार्शनिक स्थल है। इस पवित्र स्थान को '[[सम्मेद शिखर]]' भी कहा जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जैन]] | |||
{[[झारखण्ड]] की किस नदी को 'बंगाल का शोक' कहा जाता था?(भारतकोश) | {[[झारखण्ड]] की किस नदी को 'बंगाल का शोक' कहा जाता था?(भारतकोश) | ||
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-खरकई नदी | -खरकई नदी | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||[[चित्र:Damodar-River.jpg|right|120px|दामोदर नदी]]दामोदर नदी [[छोटा नागपुर]] की पहाड़ियों से 610 मीटर की ऊँचाई से निकलकर लगभग 290 किलोमीटर [[झारखण्ड]] में प्रवाहित होने के बाद [[पश्चिम बंगाल]] में प्रवेश कर 240 किलोमीटर प्रवाहित होकर [[हुगली नदी]] में मिल जाती है। झारखण्ड में इसे 'देवनद' के नाम से जाना जाता है। पहले [[दामोदर नदी]] अपनी बाढ़ों के लिए कुख्यात थी। इस नदी को पहले 'बंगाल का शोक' कहा जाता था। इसकी सहायक नदियों में कोनार तथा [[बराकर नदी|बराकर]] प्रमुख हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दामोदर नदी]] | |||
{[[बिरसा मुंडा]] को आम जनजातियाँ क्या कहती थीं?(अरिहंत, झा.वि.अ., पृ. 281, प्र. 14) | {[[बिरसा मुंडा]] को आम जनजातियाँ क्या कहती थीं?(अरिहंत, झा.वि.अ., पृ. 281, प्र. 14) |
07:58, 2 जुलाई 2012 का अवतरण
झारखण्ड सामान्य ज्ञान
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