"ना सखी श्याम हमारे कहे को -शिवदीन राम जोशी": अवतरणों में अंतर
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शीर्षक उदाहरण 1
ना सखी श्याम हमारे कहे को / शिवदीन राम जोशी
शीर्षक उदाहरण 3
शीर्षक उदाहरण 4
थाकी गई यसुधा समुझा, हम बरज थकी, सब राम ही जाने | ओलमू लावत नन्द को नंदन, छेर करे री रह्यो नहीं छाने | गुवालनी ढीठ वे गारी बकैं, और सास हमारी लगी समुझाने | श्यामा भी हार गई शिवदीन, यो श्याम हमारो तो, कहनू न माने ||
दिल देख मेरो धरके छतियां, सखी लागी गयो अब जी घबराने | श्याम न आयो या शाम बही, अब हेरुं कहाँ मिलिहैं न ठिकाने | शिवदीन यकिन दिलावत मोहि, नये करी हैं नित्त और बहाने | श्यामा थकी समुझा समुझा,सखी श्याम की श्यामा,यो श्याम न माने ||
मांगत हैं दधि दान वे रोकि के, राह हमारी व बांह गहे को | झगरो करते न बने हमसों, नितकी नितको दुःख दर्द सहे को | शिवदीन यकिन करो न करो, रंग कारो है कारो ही श्याम बहे को | राधिका बोलि उठी झुंझला,अब ना सखी श्याम हमारे कहे को ||
ओलमों न ल्यावो श्याम श्यामा समुझाय रही,
पर घर न जावो कान्ह मेरी कछु मानो जी |
बांसुरी बजाओं माखन मिश्री तुम खाओ,
रंग घर में जमाओ आपो आपनो पिछानो जी |
यशोदानन्द नन्दलाल गउवन के गोपाल लाल,
ग्वाल बाल ग्वालिनी भी मारे मोही तानो जी |
कहता शिवदीन लाल जानो सब हाल कृष्ण,
राधा कहे ठीक नहीं नित की समझानो जी |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ