"पारिस्थितिक कारक": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('{{पुनरीक्षण}} {{tocright}} '''पारिस्थितिक कारक''' को 3 भागों में व...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{पुनरीक्षण}}
{{पुनरीक्षण}}
{{tocright}}
{{tocright}}
'''पारिस्थितिक कारक''' को 3 भागों में विभाजित करा गया है: जैविक कारक, वायुमण्डलीय कारक, अग्नि कारक
'''पारिस्थितिक कारक''' अथवा '''पारिस्थितिक नियंत्रण''', एक चर के अर्था में, प्रेक्षण के अन्य वर्ग में परिवर्तन को सहयोग प्रदान करते हैं उदाहरण के लिए जलवायु कारक में अक्षांश, ऊँचाई, स्थल और जल का वितरण, समुद्री धाराएँ, उच्चावच बाधाओं का प्रभाव आदि। पारिस्थितिक कारकको 3 भागों में विभाजित करा गया है:  
==जैविक कारक==
#जैविक कारक
प्रकृति के सभी जीव किसी न किसी रूप में एक दूसरे पर आश्रित रहते हैं तथा एक दूसरे को प्रभावित करते हैं, जिससे उनमें एक जैविक सम्बन्ध स्थापित हो जाता है। इसके अन्तर्गत प्राणियों के जैविक सम्बन्ध प्राणियों का पौधों पर प्रभाव तथा मानव के योगदान का अध्ययन किया जाता है।
#वायुमण्डलीय कारक
#अग्नि कारक
*पर्यावरण कारक के दो भाग हैं -  
*पर्यावरण कारक के दो भाग हैं -  
#पारिस्थितिक कारक  
#पारिस्थितिक कारक  
पंक्ति 25: पंक्ति 26:
#जल कारक  
#जल कारक  
#मृदा कारक  
#मृदा कारक  
==जैविक कारक==
प्रकृति के सभी जीव किसी न किसी रूप में एक दूसरे पर आश्रित रहते हैं तथा एक दूसरे को प्रभावित करते हैं, जिससे उनमें एक जैविक सम्बन्ध स्थापित हो जाता है। इसके अन्तर्गत प्राणियों के जैविक सम्बन्ध प्राणियों का पौधों पर प्रभाव तथा मानव के योगदान का अध्ययन किया जाता है।
==वायुमण्डलीय कारक==  
==वायुमण्डलीय कारक==  
वायु का आवरण जो [[पृथ्वी]] को चारों ओर से घेरे हुए है, 'वायुमण्डल' कहलाता है। पर्यावरण के प्रमुख [[तत्व|तत्वों]] में यह सर्वाधिक गतिशील है, क्योंकि इसमें न केवल ऋतुओं के अनुसार परिवर्तन होते हैं अपितु छोटी-छोटी अवधि में भी परिवर्तन होते है। वायुमण्डल के सम्पूर्ण [[द्रव्यमान]] का 90% भाग पृथ्वी की सतह से 32 किमी की ऊंचाई पर ही पाया जाता है, जो गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी से जुड़ा रहता है।
वायु का आवरण जो [[पृथ्वी]] को चारों ओर से घेरे हुए है, 'वायुमण्डल' कहलाता है। पर्यावरण के प्रमुख [[तत्व|तत्वों]] में यह सर्वाधिक गतिशील है, क्योंकि इसमें न केवल ऋतुओं के अनुसार परिवर्तन होते हैं अपितु छोटी-छोटी अवधि में भी परिवर्तन होते है। वायुमण्डल के सम्पूर्ण [[द्रव्यमान]] का 90% भाग पृथ्वी की सतह से 32 किमी की ऊंचाई पर ही पाया जाता है, जो गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी से जुड़ा रहता है।

12:56, 10 जुलाई 2012 का अवतरण

इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

पारिस्थितिक कारक अथवा पारिस्थितिक नियंत्रण, एक चर के अर्था में, प्रेक्षण के अन्य वर्ग में परिवर्तन को सहयोग प्रदान करते हैं उदाहरण के लिए जलवायु कारक में अक्षांश, ऊँचाई, स्थल और जल का वितरण, समुद्री धाराएँ, उच्चावच बाधाओं का प्रभाव आदि। पारिस्थितिक कारकको 3 भागों में विभाजित करा गया है:

  1. जैविक कारक
  2. वायुमण्डलीय कारक
  3. अग्नि कारक
  • पर्यावरण कारक के दो भाग हैं -
  1. पारिस्थितिक कारक
  2. अजैविक कारक
  • पारिस्थितिक कारक इसके 3 भाग हैं -
  1. जैविक कारक
  2. वायुमण्डलीय कारक
  3. अग्रि कारक
  • अजैविक कारक के दो भाग हैं -
  1. भौतिक कारक
  2. रासायनिक कारक
  • भौतिक कारक इसके दो भाग हैं -
  1. ताप कारक
  2. प्रकाश कारक
  • जैविक कारक इसके चार भाग हैं -
  1. प्रणियों के जैविक सम्बन्ध
  2. पौधों के जैविक सम्बन्ध
  3. प्राणियों का पौधों पर प्रभाव
  4. मानव का योगदान
  • रासायनिक कारक के दो भाग हैं -
  1. जल कारक
  2. मृदा कारक

जैविक कारक

प्रकृति के सभी जीव किसी न किसी रूप में एक दूसरे पर आश्रित रहते हैं तथा एक दूसरे को प्रभावित करते हैं, जिससे उनमें एक जैविक सम्बन्ध स्थापित हो जाता है। इसके अन्तर्गत प्राणियों के जैविक सम्बन्ध प्राणियों का पौधों पर प्रभाव तथा मानव के योगदान का अध्ययन किया जाता है।

वायुमण्डलीय कारक

वायु का आवरण जो पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए है, 'वायुमण्डल' कहलाता है। पर्यावरण के प्रमुख तत्वों में यह सर्वाधिक गतिशील है, क्योंकि इसमें न केवल ऋतुओं के अनुसार परिवर्तन होते हैं अपितु छोटी-छोटी अवधि में भी परिवर्तन होते है। वायुमण्डल के सम्पूर्ण द्रव्यमान का 90% भाग पृथ्वी की सतह से 32 किमी की ऊंचाई पर ही पाया जाता है, जो गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी से जुड़ा रहता है।

अग्नि कारक

ताप की वह अवस्था जिस पर पहुंच कर पदार्थ जलने लगता है, अग्नि कहलाती है। अग्नि प्राकृतिक अथवा कृत्रिम रूप से उत्पन्न की जा सकती है। प्राकृतिक अग्नि तेज हवा चलने पर वृक्षों के आपस में रगड़ने, आकाश में बिजली के चमकने, ज्वालामुखियों के फूटने से उत्पन्न होती है, जबकि कृत्रिम अग्नि मानव द्वारा उत्पन्न की जाती है। तीव्रता एवं फैलाव के आधार पर अग्नि तीन प्रकार की होती है-

  1. शिखर अग्नि
  2. बहिस्तल अग्नि
  3. भ-अग्नि।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख